
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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कांग्रेस ने मंत्री व मुख्यमंत्री के निजी सचिव को आरोपी बनाने की मांग की.
कहा, जानबूझकर रसूखदारों को बचाया गया है.
कहा, सीबीआई ने अपनी प्रतिष्ठा अनुसार बारीकी से जांच नही की.
इस आरोप पत्र में मुख्यमंत्री के निजी सचिव रह चुके प्रेमसिंह का भी नाम नहीं था, जिनकी बेटी का इसी परीक्षा में चयन हुआ था. इन्हें बाद में जमानत पर भी छोड़ा गया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसी तरह इस आरोप पत्र में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित सत्ता शीर्ष से जुड़े लोगों को आरोपी नहीं बनाया गया है.
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नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि जब चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अजय तिर्की का नाम उसमें है तो फिर उसी विभाग के मंत्री उसमें कैसे छूट गए? जबकि किसी फाइल में अंतिम अनुमोदन में मंत्री के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं. इससे लगता है कि सीबीआई ने अपनी प्रतिष्ठा अनुसार बारीकी से या तो जांच नहीं की या जानबूझकर रसूखदारों को बचाया गया है.
नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा है कि सीबीआई को इस मानसिकता के साथ काम करना चाहिए कि व्यापमं महाघोटाला बगैर राजनीतिक संरक्षण और समर्थन के संभव नहीं था. सीबीआई ने इसकी जड़ में जो लोग हैं, जिनकी वजह से प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद हुआ उनकी अनदेखी की है.
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नेता प्रतिपक्ष ने सीबीआई डायरेक्टर से आग्रह किया कि इस मामले में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री एवं वर्तमान में संसदीय कार्य, जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित उन सभी के नाम शामिल किए जाएं, जो इसमें शामिल रहे हैं, ताकि सीबीआई जैसी संस्था की प्रतिष्ठा बनी रहे और लोगों का भरोसा भी कायम रहे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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