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This Article is From Dec 12, 2019

मध्यप्रदेश में यूरिया का संकट : देवरी में लगी लंबी कतार, शमशाबाद में लूट ली गईं बोरियां

मध्यप्रदेश में यूरिया की किल्लत से अराजकता के हालात बन रहे, जगह-जगह से धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम, पथराव की खबरें

मध्यप्रदेश में यूरिया की कमी के कारण किसान परेशान हैं.

भोपाल:

मध्यप्रदेश में यूरिया संकट गहराता जा रहा है, राज्य में चौतरफा कोहराम और अराजकता के हालात बन रहे हैं. यूरिया लेने सहकारी समितियों की चौखट पर लंबी-लंबी कतारों में किसान थक-हारकर अपना धैर्य खो रहे हैं. जगह-जगह से धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम, पथराव की खबरें आ रही हैं. इस मुद्दे को लेकर सियासत काफी गर्मा गई है. सत्ता पक्ष यूरिया की कमी का ठीकरा केन्द्र पर फोड़ रहा है, वहीं बीजेपी का कहना है कि सरकार की नाकामी इसके लिए जिम्मेदार है.
         
सागर के देवरी में यूरिया के लिए लंबी कतार लगी, तो हरदा में यूरिया के संकट को देखते हुए ट्रकों पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है. रैक पाइंट से गोदाम तक यूरिया पहुंचाने के लिए फोर्स की तैनाती हुई है. पुलिसकर्मी ट्रक के साथ चल रहे हैं. उनकी मौजूदगी में खाद बांटी जा रही है फिर भी नाराजगी ऐसी कि चारखेड़ा में किसानों ने खाद से भरे ट्रक को रोककर चक्काजाम कर दिया. एसडीएम अंकिता त्रिपाठी ने कहा हर सोसायटी पर पुलिस मोबाइल दिया है, कोई दिक्कत आएगी तो एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट है पुलिस बल है.

       

खातेगांव में यूरिया के इंतजार में हजारों किसान जमा हो गए. ट्रक आया तो उसमें सिर्फ 360 बोरी यूरिया थी. पर्ची देखने के बाद प्रति किसान सिर्फ दो बोरी यूरिया दिया गया. हजारों की भीड़ में चंद बोरियां बांटने के लिए पुलिस थाने में किसानों की लाइन लगवाकर वहां से टोकन बांटे गए. टोकन दिखाने पर व्यापारी की दुकान से यूरिया मिला.

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कटनी में भी हालात खराब हैं. घंटाघर स्थित कोऑपरेटिव सोसायटी में किसानों की लंबी कतार है. एक एकड़ में एक बोरी यूरिया का आवंटन हो रहा है. वहां मुख्य कार्यपालन अधिकारी धनीराम पांडे ने कहा हर किसान को रकबे के नाम पर दे रहे हैं,एक एकड़ में एक बोरी. किसान ज्यादा मांग रहे हैं लेकिन अभी जो स्टॉक है उस हिसाब से दे रहे हैं.
    
आदिवासी बहुल झाबुआ में भी यूरिया की भारी किल्लत है. यूरिया के लिए किसानों को सुबह सात बजे से लाइन में लगना पड़ता है फिर भी खाद नहीं मिल रही. सिंचाई के लिए बिजली भी नहीं. किसान देवीसिंह मेडा ने बताया कि सुबह छह बजे उठकर ठंड में आते हैं. अभी तक आधार कार्ड से दो बोरी की बात थी, किसान दिन भर भूखे भटकेगा तो सरकार क्या व्यवस्था कर रही है? बिजली भी नहीं मिल रही. शंभू हटीला ने कहा खाद नहीं मिला मुझे, कोई काम नहीं हुआ. मेरा पूरा दिन बर्बाद हो गया. बाबू कटारा की भी वही शिकायत है, सात बजे से खड़े हैं, कोई खाद नहीं मिला, पैसा लेते हैं खाद नहीं आई है.

        
अशोक नगर में यूरिया नहीं मिलने से परेशान किसानों ने विपणन संघ के गोदाम के बाहर धरना दिया. विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की.  इस दौरान उनमें आपस में भी भिड़ंत भी हो गई. वहां यूरिया लेने आए सुमित रघुवंशी ने कहा खाद लेने आए हैं. कुछ लोग 4 रोज से पड़े हैं, खाद नहीं मिल रहा, समस्या शॉर्टेज की बता रहे हैं, लेकिन इंतजाम खराब हैं यहां.

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विदिशा जिले के शमशाबाद में किसानों को यूरिया बांटा जा रहा था लेकिन जब ट्रक में सिर्फ 50 से 60 बोरी बची तो वहां अफरा-तफरी मच गई. कोई किसी के कंधे पर चढ़कर यूरिया लेने लगा, कोई दोनों हाथों से बोरियां खींचने लगा, तो कोई ऐसा भी था जिसके हाथ कुछ नहीं लगा. वहां मौजूद सहकारी सोसायटी के मैनेजर पवन गुप्ता ने कहा कि तीन बोरी प्रति किसान के हिसाब से बांट रहे थे, लेकिन आखिर में 60-70 बोरी बची थी उसे किसानों ने लूट लिया.
      
राजगढ़ में कलेक्ट्रेट के सामने वेयर हाउस खुलता उससे पहले किसानों का सब्र टूट गया, कोई गेट लांघने लगा तो कोई धक्का देकर अंदर घुस गया, हंगामा मचा. किसानों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. वहां खाद लेने आए किसान विजय सिंह ने कहा हम खाद के लिए परेशान हैं, ब्लैक से खाद बेच रहे हैं, यहां नहीं मिल रहा है. यूरिया की किल्लत की वजह से नाराज़ किसान सड़क पर हैं.

ऐसे ही हालात गुना, सागर, खंडवा, उज्जैन, विदिशा, रायसेन, सीहोर, जैसे कई जिलों से हैं. सागर के गढ़ाकोटा में विपणनन संघ के कर्मचारी किसानों की भीड़ देखकर ऐसे घबराए कि थाने के अंदर बैठकर पर्ची काटी, तब जाकर किसान यूरिया ले पाए. किसानों का यह भी आरोप है कि दुकानदार यूरिया के साथ जबरन सल्फर, डीएपी बेच रहे हैं, 268 रुपए का यूरिया 350 से लेकर 500 रुपये प्रति कट्टा बेचा जा रहा है.

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सीहोर के किसान दिनेश प्रजापति ने कहा 10 परसेंट यूरिया मिला, इस बार फसल में बहुत दिक्कत आई. बाजार में 300 की बोरी 500 में मिल रही है. इस जिले से उस जिले जाना पड़ रहा है.
     
मध्यप्रदेश में औसत से 30 से 40 फीसद ज्यादा बारिश होने की वजह से हर किसान रबी फसलें अधिक से अधिक लेना चाहता है, जिसके लिए उसे यूरिया चाहिए. राज्य ने इस वजह से केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी दो लाख 60 हजार मीट्रिक टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन तय कर दिया. अक्टूबर में 4,25,000 मीट्रिक टन की मांग थी, मिले 2,98,000 मीट्रिक टन. नवंबर में 4,50,000 मीट्रिक टन मांगे तो मिला 4 लाख टन.
    
कांग्रेस कह रही है कि केन्द्र मदद नहीं कर रहा, तो वहीं बीजेपी का आरोप है कि सरकार झूठ बोल रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा बहुत कमी है यूरिया की. ये मुद्दा हमने सरकार के सामने उठाया है. अफसोस की बात है कि जो केन्द्र को मदद करना चाहिए, चाहे किसान के मुद्दे हों, यूरिया की कमी हो, हर साल ये बात आती है कि रेक्स काफी नहीं आते हैं. जब मुद्दा उठाया जाता है किसानों की लाइन लगी होती है.
      
वहीं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि प्रदेश में 27000 टन यूरिया स्टॉक में है. डीएपी 1118 टन स्टॉक में है. मध्यप्रदेश के गोदामों में मौजूद है. भारत सरकार के रिकॉर्ड में हैं. सरकार से यही कहना चाहता हूं कि वितरण के सिस्टम को सही रखें, कालाबाजारी हो रही है. जो बोरी 250 की है वो 475 तक मिल रही है.

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इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी केन्द्र को घेरते हुए दनादन ट्वीट किए तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया कि मैं अग्रिम भंडारण करके रखता था किसानों से कहता था घर ले जाओ और तीन महीने का जो ब्याज है वो भी सरकार के खजाने से भरवाते थे. एडवांस प्लानिंग करनी थी, इस सरकार ने नहीं की.
     
जानकार कहते हैं कि एक एकड़ गेंहू की फसल के लिए औसतन दो से ढाई बोरी यूरिया लगता है, यानी लगभग 90 किलो. वक्त पर यूरिया नहीं मिला तो फसल प्रभावित होना तय है. किसान कांग्रेस के अध्यक्ष केदार सिरोही ने कहा कि यूरिया हमारे गेंहू का बहुत अहम उवर्रक है. नाइट्रोजन सबसे ज्यादा यूरिया से मिलता है. गेंहू के लिए वेजेटिटव ग्रोथ करना होता है, दाने का बनना है, इसलिए यूरिया बहुत महत्वपूर्ण है.
     
कृषि मंत्री सचिन यादव ने खाद की कमी की खबर दिल्ली में उर्वरक मंत्री तक पहुंचाई है. कह रहे हैं भरोसा मिल गया है कि खाद मिल जाएगी. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा दिसंबर के माह में जो 13 लाख मीट्रिक टन आवंटन है उसकी पूर्ति का भरोसा उवर्रक मंत्री ने दिलाया है. इसके अलावा जो बढ़ा रकबा है उसमें मध्यप्रदेश की मांग को पूरा करने का भरोसा भी उन्होंने दिया है.

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वैसे सरकार का कहना है कि कुछ रैक अभी परिवहन में हैं, जिलों में पहुंचने से हालात सुधरेंगे. एक रैक में 26 हजार मीट्रिक टन यूरिया आता है. सरकार ने हालात सुधारने के लिए 80 फीसद यूरिया सहकारी समितियों और 20 फीसदी खाद विक्रेताओं के माध्यम से देने की बात भी कही है.
 

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ज्यादा बारिश और बाढ़ की वजह से खरीफ फसलें चौपट होने के बाद किसान रबी फसलों से उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन यूरिया की किल्लत उसे परेशान कर रही है. तकलीफ दो तरफा है मसलन प्याज खराब हुई तो ग्राहक को महंगाई ने मारा, रसोई से प्याज रूठ गई. अब गेंहू के लिए यूरिया नहीं तो आने वाले दिनों में कहीं रोटी भी थाली से दूर न हो जाए.

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