मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान.
भोपाल:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा का कानून बनने के बाद प्रदेश में मासूम बेटियों के साथ दुष्कर्म करने के मामले में 10 से ज्यादा लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है.
देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में प्रदेश के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण करने के बाद चौहान ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘एक बात हमको तकलीफ देती है. एक तरफ हमने बेटियों को पुलिस में भर्ती किया, वहीं दूसरी तरफ ऐसे नरपिशाच पैदा हो जाते हैं, ऐसे राक्षस पैदा हो जाते हैं, जो मासूम बेटियों के साथ भी दुराचार करते हैं.’’
चौहान ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश की विधानसभा में हमने सबसे पहले एक विधेयक प्रस्तुत करके कानून बनाया कि मासूम बिटिया के साथ अगर कोई दुराचार करेगा तो सीधे फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा, सजा ए मौत. इससे कम कुछ नहीं.’’ चौहान ने कहा, ‘‘ये नरपिशाच धरती पर बोझ हैं. इस बोझ से हमको अपनी धरती को मुक्त करना है.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहने में संकोच है कि मध्यप्रदेश की इस धरती पर यह कानून बनने पर मध्यप्रदेश उदाहरण बन गया कि 10 से ज्यादा पापियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है.’’ इसके लिए चौहान ने मध्यप्रदेश पुलिस एवं अभियोजन के विशेष प्रयासों के साथ-साथ न्यायपालिका के त्वरित निर्णय की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि बालिकाओं से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के अपराध को मृत्युदंड से दंडनीय बनाने वाला कानून विधानसभा में पास कराने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है. ऐसे अपराधों के निराकरण के लिए प्रदेश में 50 विशेष न्यायालय कार्यरत हैं.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश एक दफा फिर से देश के सभी राज्यों में सबसे पहले स्थान पर दर्ज किया गया है. मध्यप्रदेश में मासूम बच्चियों से बलात्कार करने के मामले में 28 फरवरी 2018 से लेकर अब तक कम से कम 10 दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है. प्रदेश के सागर जिले के रहली की अदालत ने एक बालिका से पिछले महीने दुष्कर्म करने के मामले में 40 वर्षीय एक व्यक्ति को मंगलवार को ही मृत्युदंड की सजा सुनाई है. इस मामले में अदालत ने केवल छह दिन सुनवाई की और अपराध करने के मात्र 27 दिन बाद फैसला सुनाया है.
VIDEO : नए कानून से 50 दिन में 7 को फांसी
चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक उपाय किए हैं. पंचायतों में आरक्षण के बाद सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. शिक्षकों में 50 प्रतिशत और वन विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में 30 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के विस्तार का निर्णय लिया है. इस शिक्षा सत्र से दतिया, विदिशा, खंडवा एवं रतलाम में नए मेडिकल कॉलेज शुरू कर एमबीबीएस पाठ्यक्रम में 500 सीटों की वृद्धि की गई है. चौहान ने कहा कि इसके अलावा सिवनी एवं छतरपुर में नए मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति प्रदान की गई है. इस प्रकार आने वाले समय में शहडोल, शिवपुरी, सतना और छिंदवाड़ा सहित छह नए मेडिकल कॉलेज प्रदेश में और कार्य करना प्रारंभ कर देंगे.
(इनपुट भाषा से)
देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में प्रदेश के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण करने के बाद चौहान ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘एक बात हमको तकलीफ देती है. एक तरफ हमने बेटियों को पुलिस में भर्ती किया, वहीं दूसरी तरफ ऐसे नरपिशाच पैदा हो जाते हैं, ऐसे राक्षस पैदा हो जाते हैं, जो मासूम बेटियों के साथ भी दुराचार करते हैं.’’
चौहान ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश की विधानसभा में हमने सबसे पहले एक विधेयक प्रस्तुत करके कानून बनाया कि मासूम बिटिया के साथ अगर कोई दुराचार करेगा तो सीधे फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा, सजा ए मौत. इससे कम कुछ नहीं.’’ चौहान ने कहा, ‘‘ये नरपिशाच धरती पर बोझ हैं. इस बोझ से हमको अपनी धरती को मुक्त करना है.’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहने में संकोच है कि मध्यप्रदेश की इस धरती पर यह कानून बनने पर मध्यप्रदेश उदाहरण बन गया कि 10 से ज्यादा पापियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है.’’ इसके लिए चौहान ने मध्यप्रदेश पुलिस एवं अभियोजन के विशेष प्रयासों के साथ-साथ न्यायपालिका के त्वरित निर्णय की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि बालिकाओं से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के अपराध को मृत्युदंड से दंडनीय बनाने वाला कानून विधानसभा में पास कराने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है. ऐसे अपराधों के निराकरण के लिए प्रदेश में 50 विशेष न्यायालय कार्यरत हैं.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश एक दफा फिर से देश के सभी राज्यों में सबसे पहले स्थान पर दर्ज किया गया है. मध्यप्रदेश में मासूम बच्चियों से बलात्कार करने के मामले में 28 फरवरी 2018 से लेकर अब तक कम से कम 10 दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है. प्रदेश के सागर जिले के रहली की अदालत ने एक बालिका से पिछले महीने दुष्कर्म करने के मामले में 40 वर्षीय एक व्यक्ति को मंगलवार को ही मृत्युदंड की सजा सुनाई है. इस मामले में अदालत ने केवल छह दिन सुनवाई की और अपराध करने के मात्र 27 दिन बाद फैसला सुनाया है.
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चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक उपाय किए हैं. पंचायतों में आरक्षण के बाद सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. शिक्षकों में 50 प्रतिशत और वन विभाग को छोड़कर अन्य विभागों में 30 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के विस्तार का निर्णय लिया है. इस शिक्षा सत्र से दतिया, विदिशा, खंडवा एवं रतलाम में नए मेडिकल कॉलेज शुरू कर एमबीबीएस पाठ्यक्रम में 500 सीटों की वृद्धि की गई है. चौहान ने कहा कि इसके अलावा सिवनी एवं छतरपुर में नए मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति प्रदान की गई है. इस प्रकार आने वाले समय में शहडोल, शिवपुरी, सतना और छिंदवाड़ा सहित छह नए मेडिकल कॉलेज प्रदेश में और कार्य करना प्रारंभ कर देंगे.
(इनपुट भाषा से)
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