मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कोरोना काल के दौरान (Coronavirus) ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है. मरीज़ बढ़ रहे हैं, साथ ही ऑक्सीजन की ज़रूरत भी लेकिन इस बीच महाराष्ट्र ने ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी है. देवास जिले के कोविड सेंटर अमलतास कॉलेज में बुधवार को कोरोना मरीज 7 घंटे तक ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे. कोरोना मरीजों को मंगलवार रात 2 से बुधवार सुबह 9 बजे तक नॉन इन्वेसिव वेंटिलेटर से कम मात्रा में ऑक्सीजन मिली. 4 मरीज़ों की मौत हो गई, हालांकि प्रशासन का कहना है इसकी वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं.
मध्यप्रदेश में #कोरोना काल में #ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है, मरीज़ बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीच महाराष्ट्र ने सप्लाई रोक दी है. देवास जिले के कोविड सेंटर अमलतास कॉलेज में बुधवार को कोरोना मरीज 7 घंटे तक ऑक्सीजन के लिए परेशान रहे @ndtvindia #coronavirus #COVID19 #Covid_19 pic.twitter.com/KovMxM8mkf
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) September 10, 2020
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देवास जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने कहा, ''उनके पास 400 सिलेंडर हैं, हर दिन 200 लगते हैं, जो वेंडर सप्लाई करता था गाड़ी खराब होने की वजह से कम्यूनिकेशन गैप हुआ, यह समस्या ऑक्सीजन की हर जगह चल रही है. जैसे-जैसे कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं.''
ये हालात ग्वालियर, भिंड, शिवपुरी, जबलपुर जैसे कई ज़िलों में थे. किल्लत इसलिए हुई, क्योंकि राज्य में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र पूरी करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र ने अचानक सप्लाई रोक दी. हालात से निबटने शिवराज सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को फोन घुमा दिया और कहा, ''आज मैंने कोरोना की पूरी समीक्षा की है, ऑक्सीजन की कमी का विषय महत्वपूर्ण था. मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जी से फोन पर बात की है, उन्होंने मुझसे कहा कि दिक्कत उनको भी है लेकिन जो सप्लाई होती है, राज्य को वो सुनिश्चित करेंगे. उसमें दिक्कत ना हो, हमने वैकल्पिक व्यवस्था भी की है. पहले उपलब्धता थी 50 टन अब 130 टन. 30 सितंबर तक 150 टन की व्यवस्था कर लेंगे.''
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वहीं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने बात की है, उस कंपनी ने कहा यूपी, गुजरात से कमी की भरपाई कर देंगे. लोकल वेंडर से सौ प्रतिशत उत्पादन हो इसका निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया है, ऑक्सीजन की सप्लाई इंडिस्ट्रियल यूनिट में बंद होकर, मेडिकल में होगी.
मध्यप्रदेश में जुलाई में हर दिन 40 टन तो अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन लगी. सितंबर में हर दिन 1500 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और हर दिन ऑक्सीजन खपत 130 टन हो गई है. राज्य में 44.5 टन ऑक्सीजन हर दिन बनता है, लेकिन इसका उपयोग उद्योग करते हैं, प्रदेश में 160 टन ऑक्सीजन स्टोरेज क्षमता है.
मध्यप्रदेश में जुलाई में हर दिन 40 टन तो अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन लगी। सितंबर में हर दिन 1500 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और हर दिनऑक्सीजन खपत 130 टन हो गई है। राज्य में 44.5 टन ऑक्सीजन हर दिन बनता है, pic.twitter.com/cTufTLktxK
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विपक्ष का आरोप है कि यह सरकार की विफलता है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा सरकार को मध्यप्रदेश की कोई फिक्र नहीं है सिर्फ सत्ता को बचाये रखने के प्रयास हो रहे हैं. हर प्रदेश में ऑक्सीजन की जरूरत है सरकार ने वैकल्पिक इंतज़ाम क्या किये यह बताये. जनता तक को मालूम है ऑक्सजीन की जरूरत है लेकिन सरकार बेपरवाह है.
वैसे मध्यप्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी है, तो इसकी वजह सरकारी नीतियां भी हैं, 2018 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मेडिकल ऑक्सीजन गैस सिलेडंरों का बाजार 2018 में 60,590 करोड़ रुपए का था, जो 2025 में बढ़कर 1,05,193 करोड़ रुपए का होने की उम्मीद है. मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि 31 अक्टूबर तक मप्र में 3600 ऑक्सीजन बेड और बढ़ाए जाएंगे, जाहिर सी बात है तब और ऑक्सीजन सप्लाई की जरूरत होगी. महाराष्ट्र की कमी दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट से ज्यादा ऑक्सीजन मांगी गई है.
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