मध्यप्रदेश के सागर शहर में लाखा बंजारा झील की सफाई करते हुए वाइस चांसलर प्रो आरपी तिवारी सहित अन्य नागरिक.
नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश के सागर शहर की ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील की सफाई के लिए इन दिनों एक बड़ा जन अभियान चल रहा है जिसमें कई संगठन शिरकत कर रहे हैं. खास बात यह है कि झील की सफाई में करीब सभी वर्गों के लोग जुटे हुए हैं. यहां सागर के डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर स्वास्थ्य विभाग के पूर्व संयुक्त संचालक तक को तालाब की गंदगी सिर पर उठाते हुए देखा जा सकता है.
सागर शहर के लोग प्रदूषण से घिरी लाखा बंजारा झील की सफाई की मांग राज्य सरकार से लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. पूर्व के वर्षों में तालाब की सफाई के लिए समय-समय पर राशि तो आवंटित की गई लेकिन उसका न तो कोई युक्तिसंगत उपयोग किया गया, न ही सार्थक नतीजे सामने आ सके.
दिनोंदिन मरती इस झील को बचाने के लिए अंतत: आम लोग ही सामने आए. लाखा बंजारा झील की सफाई के लिए करीब एक माह से सफाई अभियान चल रहा है. इस दौरान झील के अलग-अलग तटीय इलाकों से कचरा हटाया जा रहा है.
यह भी पढ़ें : बेंगलुरु : आग और झाग उगलने वाली बेलंदूर लेक की सफाई एनजीटी की तयशुदा समय सीमा में संभव नहीं
सफाई अभियान में सागर की डॉ हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरपी तिवारी के अलावा विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य प्रो आरके त्रिवेदी, ईएमआरसी के डायरेक्टर पंकज तिवारी सहित अनेक प्राध्यापक और कर्मचारी भी जुटे हैं. एक तरफ जहां विश्वविद्यालय, प्रजा मंडल सहित कई संस्थाएं सफाई अभियान में भागीदार हैं वहीं स्थानीय समाचार पत्र 'नवदुनिया' ने इस सफाई अभियान को प्रोत्साहित करने में बड़ी भूमिका निभाई है. वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद चौबे के अलावा स्वास्थ्य विभाग के पूर्व संयुक्त संचालक डॉ दिवाकर मिश्रा, संदीप वाल्मिकी, श्रीकांत शुक्ला, डॉ रंजन मोहंती, शंकर पटेल, बहादुर सिंह यादव, मनीष पुरोहित और डॉ दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित हैं, लेकिन अपनी दैनिक व्यस्तताओं के बावजूद समय निकालकर रोज सुबह झील में श्रमदान कर रहे हैं.
डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरपी तिवारी ने एनडीटीवी को बताया कि झील की सफाई में विश्वविद्यालय भागीदारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि झील का कचरा जंगल में ले जाकर फेंका जा रही है. इसके पश्चात तालाब को गहरा किया जाएगा और इससे निकलने वाली उपजाऊ मिट्टी यूनिवर्सिटी के बॉटनीकल गार्डन में काम आएगी.
युवक मनीष गौतम ने कहा कि तालाब की सफाई के लिए वे और उनके साथी स्वप्रेरणा से आ रहे हैं. यदि इस तालाब को समय रहते बचाया नहीं गया तो इसकी अस्तित्व जल्द समाप्त हो जाएगा. तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराने की भी जरूरत है.
VIDEO : क्या हम झीलों को बचाने के लिए चिंतित हैं..
बलिदान से बनी झील
सागर की लाखा बंजारा झील के बारे में जनश्रुति है कि इसका निर्माण लख्खी शाह, जिसे लाखा बंजारा भी कहा जाता है, ने 17वीं शताब्दी में कराया था. इस झील के निर्माण के दौरान बाधाएं आती रहीं और पानी नहीं आया. एक दिन लाखा बंजारा को सपना आया कि यदि झील में हिंडोला (झूला) लगाकर उसमें वह अपने बेटे और बहू को झूलने के लिए कहे तो पानी आ जाएगा, लेकिन इस तरह उन दोनों की बलि भी होगी. तब लाखा बंजारा ने अपने बेटे और बहू की बलि दे दी और झील पानी से भर गई.
सागर शहर के लोग प्रदूषण से घिरी लाखा बंजारा झील की सफाई की मांग राज्य सरकार से लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. पूर्व के वर्षों में तालाब की सफाई के लिए समय-समय पर राशि तो आवंटित की गई लेकिन उसका न तो कोई युक्तिसंगत उपयोग किया गया, न ही सार्थक नतीजे सामने आ सके.
दिनोंदिन मरती इस झील को बचाने के लिए अंतत: आम लोग ही सामने आए. लाखा बंजारा झील की सफाई के लिए करीब एक माह से सफाई अभियान चल रहा है. इस दौरान झील के अलग-अलग तटीय इलाकों से कचरा हटाया जा रहा है.
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सफाई अभियान में सागर की डॉ हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरपी तिवारी के अलावा विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य प्रो आरके त्रिवेदी, ईएमआरसी के डायरेक्टर पंकज तिवारी सहित अनेक प्राध्यापक और कर्मचारी भी जुटे हैं. एक तरफ जहां विश्वविद्यालय, प्रजा मंडल सहित कई संस्थाएं सफाई अभियान में भागीदार हैं वहीं स्थानीय समाचार पत्र 'नवदुनिया' ने इस सफाई अभियान को प्रोत्साहित करने में बड़ी भूमिका निभाई है. वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद चौबे के अलावा स्वास्थ्य विभाग के पूर्व संयुक्त संचालक डॉ दिवाकर मिश्रा, संदीप वाल्मिकी, श्रीकांत शुक्ला, डॉ रंजन मोहंती, शंकर पटेल, बहादुर सिंह यादव, मनीष पुरोहित और डॉ दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित हैं, लेकिन अपनी दैनिक व्यस्तताओं के बावजूद समय निकालकर रोज सुबह झील में श्रमदान कर रहे हैं.
डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरपी तिवारी ने एनडीटीवी को बताया कि झील की सफाई में विश्वविद्यालय भागीदारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि झील का कचरा जंगल में ले जाकर फेंका जा रही है. इसके पश्चात तालाब को गहरा किया जाएगा और इससे निकलने वाली उपजाऊ मिट्टी यूनिवर्सिटी के बॉटनीकल गार्डन में काम आएगी.
युवक मनीष गौतम ने कहा कि तालाब की सफाई के लिए वे और उनके साथी स्वप्रेरणा से आ रहे हैं. यदि इस तालाब को समय रहते बचाया नहीं गया तो इसकी अस्तित्व जल्द समाप्त हो जाएगा. तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराने की भी जरूरत है.
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बलिदान से बनी झील
सागर की लाखा बंजारा झील के बारे में जनश्रुति है कि इसका निर्माण लख्खी शाह, जिसे लाखा बंजारा भी कहा जाता है, ने 17वीं शताब्दी में कराया था. इस झील के निर्माण के दौरान बाधाएं आती रहीं और पानी नहीं आया. एक दिन लाखा बंजारा को सपना आया कि यदि झील में हिंडोला (झूला) लगाकर उसमें वह अपने बेटे और बहू को झूलने के लिए कहे तो पानी आ जाएगा, लेकिन इस तरह उन दोनों की बलि भी होगी. तब लाखा बंजारा ने अपने बेटे और बहू की बलि दे दी और झील पानी से भर गई.
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