मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में भूख से परेशान एक आदिवासी बच्चे ने कथित तौर पर कीटनाशक पी लिया. यह घटना 29 दिसंबर की है. इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की.
जिला प्रशासन ने जो रिपोर्ट सौंपी उस पर भी बच्चे के परिजन का कहना है कि हम पर दबाव बनाकर जांच के कागजों पर अंगूठे लगवाए और जो राशन मिला वह भी उन्हें नहीं बल्कि पड़ोस में उनके भाई के परिवार को मिला.
बच्चे के मां-बाप मजदूरी करते हैं. वे पड़ोसी राज्य राजस्थान में रोजी कमाने गए थे. परिवार का कहना है कि बच्चा अपने गांव बाजना से पिछले 10 दिनों तक निरंतर अंबापाड़ा की सरकारी राशन की दुकान जाता रहा लेकिन दुकान वाले ने गेहूं नहीं दिया. आखिरकार उसने परेशान होकर जहर पी लिया. बच्चे के पिता नानू राम ने बताया कि 'कर्ज ज्यादा हो गया था तो मैं कोटा गया था मजदूरी करने. वहां कल भाई का फोन आया कि बच्चा दवाई पी गया. बच्चे से पूछा तो उसने कहा अंबापाड़ा गया था गेंहू लेने नहीं दिया तो उसने दवाई पी लिया.'
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इस घटना की खबर अस्पताल से निकलकर स्थानीय अखबारों में आई तो प्रशासन ने जांच की. एक टीम परिजनों से मिलने घर गई, सरकार को रिपोर्ट सौंप दी कि अनाज की कमी जैसा कोई मामला नहीं है. हालांकि खाद्यान्न मंत्री और आदिवासी कल्याण मंत्री दोनों कह रहे हैं कि जरूरत पड़ी तो फिर जांच होगी. खाद्य मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा 'कलेक्टर की जो रिपोर्ट है उसमें कहा है खाद्यान्न न मिलने का कारण नहीं है, फिर भी मैंने कहा है पूरी तथ्यात्मक जांच मुझे भेजिए.' वहीं आदिवासी कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा 'सबसे पहले बच्चा स्वस्थ हो इसके लिए ईश्वर से कामना करता हूं. इस मामले में इसकी जो भी बेहतर जांच हो वह कराएंगे.'
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वैसे प्रशासन ने जो रिपोर्ट भेजी उस पर बच्चे के परिजन सवाल उठा रहे हैं. बच्चे के दादा ज्योति ने बताया 'अनाज मेरे छोटे बच्चे के पास था मक्की पड़ी थी. पुलिस आई और बोली दरवाजा खोल, सामान दिखा. मैंने कहा नानू राम तो मजदूरी करता है तो मुझसे जबर्दस्ती साइन कराके ले गए. बर्तन खोले, आटा देखा ...... नानू बाजू में रहता है ... पांच भाई के बंटवारे में घर मिला है.'
बीजेपी का कहना है कि सरकार सुनिश्चित करे कि गरीबों को राशन मिले. पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता पारस जैन ने कहा 'सरकार का दायित्व है बीपीएल कार्डधारी को राशन मिले. ये जांच का विषय है लेकिन सबसे पहले इलाज करके राहत देना चाहिए.'
यूएन की रिपोर्ट कहती है कि हिन्दुस्तान में भयानक गरीबी के हालात में रहने वाले लोगों की संख्या करीब 30 करोड़ है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक देश में तकरीबन 19 करोड़ लोगों को जरूरत के मुताबिक भोजन नहीं मिलता है. देश में पांच साल से कम उम्र के 40 फीसदी से ज्यादा बच्चों का वजन तय मानकों से बेहद कम है.
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फिलहाल इस मामले में एनसीपीसीआर ने भी जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है.
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