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This Article is From Jul 03, 2019

मध्यप्रदेश में अवैध रेत खनन पर नहीं लग रही लगाम, 15 दिन में नौ लोगों की मौत

सरकार की नई रेत खनन नीति में राजस्व की ही फिक्र, पर्यावरण के नुकसान और खदानों में सुरक्षा को लेकर भी कोई खास ज़िक्र नहीं

मध्यप्रदेश में अवैध रेत खनन पर नहीं लग रही लगाम, 15 दिन में नौ लोगों की मौत
मध्यप्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने के सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.
भोपाल:

मध्यप्रदेश में पिछले 15 दिनों में अवैध रेत खदानों में नौ मजदूरों की मौत हो चुकी है. सरकार अब रेत माफिया पर शिकंजा कसने की बात कह रही है. बताया जा रहा है कि अवैध रेत का परिवहन करने वाली गाड़ियों से 25000 रुपये से लेकर चार लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जा सकता है. हालांकि सरकार नई रेत खनन नीति लेकर आई है लेकिन इसमें राजस्व की ही फिक्र है, पर्यावरण के नुकसान की नहीं. इन खदानों में सुरक्षा को लेकर भी कोई खास ज़िक्र नहीं है.
      
गत 22 जून को मध्यप्रदेश के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव में सुबह खदान धंस गई और पांच मज़दूरों की मौत हो गई. जहां खुदाई हो रही थी वह सरकारी ज़मीन थी, जहां नदी किनारे बड़े-बड़े मिट्‌टी के टीले हैं. इन टीलों के नीचे रेत है. इसी की खुदाई के लिए पांच लोग आए थे. दो दिन बाद सोमवार को पार्वती नदी के किनारे रेत की अवैध खदान धंसने से दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत हो गई. दोपहर एक बजे हादसा हुआ जब मजदूर रेत का अवैध खनन कर रहे थे. उनके साथ दो बच्चे भी खदान में खेल रहे थे. इसी दौरान खदान धंस गई. मजदूरों और बच्चों को संभलने का मौका ही नहीं मिला और वे कई फीट रेत में दब गए.
    
बड़वानी गृह मंत्री बाला बच्चन का गृह क्षेत्र है, लेकिन सरकार वहां भी अवैध खनन रोकने में नाकाम रही है. सरकार कह रही है कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा, वहीं श्रम मंत्री इसे सिर्फ दुर्घटना मान रहे हैं. गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा यह जो धुंआधार रेत का कारोबार चल रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जो जो शामिल हैं, खनिज विभाग-पुलिस विभाग, उनको मैं सज़ा दिलवाऊंगा. वहीं श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने कहा यह एक्सीडेंट है. कमलनाथ जी की सरकार गंभीर है इस मुद्दे को लेकर. जो संभव होगा कार्रवाई की जाएगी.


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कहीं लोगों की मौत हो रही है, तो कहीं करोड़ों का जुर्माना लगाया जा रहा है फिर भी नर्मदा के किनारे अवैध उत्खनन रुक नहीं रहा. खरगौन के सेल्दा में बन रहे थर्मल पावर प्लांट के लिए काम कर रहे ठेकेदारों पर तो प्रशासन ने करोड़ों का जुर्माना लगाया है. इस खनन ने ऐतिहासिक बाजीराव पेशवा की समाधि को भी कथित तौर पर बहुत नुकसान पहुंचाया. ज़िले के कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड ने कहा उस कंपनी को कुछ माइनिंग अप्रूवल दिए गए थे लेकिन उसकी जगह दूसरी जगह मिट्टी खोदकर वहां से सप्लाई की. उसको रंगे हाथों पकड़ा गया. लगभग 10000 क्यूबिक मीटर मिट्टी का खनन किया. उसमें 3 करोड़ 10 लाख का जुर्माना प्रपोज किया है.
      
वहीं बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार के कई नेता, मंत्री खुद अवैध रेत खनन में लगे हैं. बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए. इस बार एनजीटी ने एक महीने देरी से रोक लगाई इसके बाद भी मध्यप्रदेश में जिस तरह से मंत्री रेत उत्खनन में लगे हैं, यह सबके सामने है. सरकार को इतना नुकसान पहले कभी नहीं हुआ, 250 करोड़ की रॉयल्टी 90 करोड़ पर आ गई. मुझे लगता है पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. जिनकी मौत हुई, उन्हें मुआवजा भी देना चाहिए.

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मध्यप्रदेश के कई जिलों में अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी की रोक के बाद भी कई इलाकों में खनन माफिया बेखौफ काम कर रहा है. सरकार ने शिकंजा कसने नई रेत नीति लागू की है जिसके तहत कहा गया कि पंचायतों की जगह राज्य का खनिज निगम रेत खदानों की नीलामी करेगा. नीलामी की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. सरकार का मानना है नई नीति से उसे चार गुना मुनाफा होगा. मुनाफे का तो नहीं पता लेकिन इस नीति में परिवहन वाहनों में जीपीएस रेत खदानों की जियो टैगिंग जैसे काम का ज़िक्र नहीं है.
    
यह बेफिक्री तब जब पिछले साल केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में दिए गए जवाब में माना है कि मध्य प्रदेश अवैध खनन के मामले में नंबर दो पर है. आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 से 2017-18 के बीच अवैध उत्खनन के सबसे ज्यादा 144784 मामले महाराष्ट्र में आए, लेकिन एफआईआर 794 में दर्ज हुई. मध्य प्रदेश में 50,259 मामले आए, लेकिन एफआईआर दर्ज हुई 516 में. आंध्र प्रदेश से 40790 मामले आए, एफआईआर हुई तीन में. यूपी में 36054 मामले आए, एफआईआर हुई 562 में. जबकि कर्नाटक में 34680 मामले आए, और 1798 में एफआईआर दर्ज हुई.

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फरवरी 2019 में सरकार ने विधासनभा में खुद माना कि 2009 से 2015 तक 42,152 खनन से जुड़े मामले दर्ज कराए गए हैं, लेकिन किसी में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई. यही नहीं फरवरी 2018 में रेत माफिया ने आईएफएस अभिषेक तोमर की हत्या की कोशिश की. 2017 में मुरैना में रेत माफिया ने पुलिसकर्मी धर्मेंद्र चौहान को कुचल दिया. 2017 में ही आएएस सोनिया मीणा को खनन माफिया ने धमकी दी. अवैध खनन की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर भी मध्यप्रदेश में खूब हमले हुए. 2015 में रेत माफिया ने पत्रकारों पर 19 दफे तो 2016 में 24 बार जानलेवा हमले किए.

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