छिंदवाड़ा ज़िले के पांढुर्णा में परंपरागत गोटमार मेले में लगभग 400 लोग घायल हो गये. कुछ लोगों को गंभीर चोट भी आई है जिन्हें नागपुर रेफर किया गया है. शनिवार सुबह 9 बजे पांढुर्णा की जाम नदी में गोटमार मेले की शुरूआत चंडिका देवी की पूजन के बाद पलाश के पेड़ पर झंडा लगाकर हुई. इसके बाद पांढुर्णा और सांवरगांव के लोगों में नदी में लगे झंडे को तोड़ने के लिए दोनों तरफ से पथराव हुआ. सालों बाद इस बार पांढुर्णा के लोगों ने झंडा जीत लिया. छिंदवाड़ा जिला कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा ने बताया कि इस परंपरा को पूरी तरह से रोकना मुश्किल है लेकिन इस बार मेले के दौरान शराब पीने और गोफन के इस्तेमाल को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया.
@ndtvindia आस्था के नाम पर फिर बहा खून, गोटमार मेले में 400 से ज्यादा घायल pic.twitter.com/DF5JWA10Z4
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) September 1, 2019
मेले में घायल लोगों के लिये वहीं इंतज़ाम किया गया. वहीं एसपी मनोज राय ने कहा लोगों पर नज़र रखने के लिये ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का इंतज़ाम किया गया. गोटमार मेले में सात एसडीएम, 19 टीआई, 36 एसआई, 55 एएसआई, दो सौ एसएफ जवान, 139 वन विभाग के जवान, 300 से ज्यादा पुलिस के जवान तैनात किए गए.
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छिन्दवाड़ा के पांढुर्णा में जाम नदी पर होने वाले गोटमार खेल के पीछे वैसे तो कई कहानियां प्रचलित है. लेकिन मुख्य रूप से यह कहानी ज्यादा लोगों से सुनने को मिलती है. कहा जाता है कि वर्षों पहले सावरगांव गांव की लड़की को पांढुर्णा का लड़का शादी के लिए भगाकर ले जा रहा था तभी लडक़ी के पक्ष वालो ने इन भागते हूए प्रेमी युगल पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए.
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इन पत्थरों की मार से गंभीर प्रेमी युगल को लड़के पक्ष के लोग चंडी माता के पास दर्शन के लिए ले गये जहां चमत्कार स्वरूप प्रेमी युगल ठीक हो गए तभी इस गोटमार मेले ने एक परंपरा का रूप ले लिया और सैंकड़ो वर्षो से लगातार इस खूनी खेल में दोनों गांव वाले एक दूसरे का खून बहा रहे हैं. (छिंदवाड़ा से सचिन पांडे के इनपुट के साथ)
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