मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. (फाइल फोटो)
भोपाल:
मध्य प्रदेश में मज़दूरों की तादाद लगभग 2 करोड़ है. श्रमिक कल्याण योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. चौंकाने वाले इसलिये क्योंकि मध्यप्रदेश की आबादी लगभग 7 करोड़ है, यानी राज्य का हर चौथा शख्स मज़दूर है. भोपाल में मज़दूरी करने वाले पंकज को 6 लोगों का परिवार चलाना है. दिन भर मज़दूरी करते हैं तो 300 रुपये मिलते हैं. इंदर के भी घर में 4 लोग हैं. 10 साल से मजदूरी कर रहे हैं. ऐसे असंगठित श्रमिकों की आर्थिक असुरक्षा दूर करने, उनके बच्चों की पढ़ाई, परिवार के स्वास्थ्य के लिये मध्य प्रदेश सरकार योजना लेकर आई जिसके लिये रजिस्ट्रेशन जरूरी था. लेकिन पंकज, इंदर जैसे लोगों को योजना के बारे में कुछ पता ही नहीं चला. वैसे 7 अप्रैल तक आवेदन खत्म होने पर लगभग 2 करोड़ लोग मजदूर के रूप में अपना नाम दर्ज करा चुके थे, यानी राज्य का हर चार में से एक शख्स मजदूर है.
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श्रम मंत्री बालकृष्ण पाटीदार से जब हमने इस बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि 'लिस्ट में छंटनी होगी. जो इनकम टैक्स देते हैं, जिनको पेंशन की पात्रता है, ढाई एकड़ के किसान हैं, वो हटेंगे. पात्रता उनकी होगी जिनको कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता है.'
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कांग्रेस को लगता है कि ये आंकड़े एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रहे हैं. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा, '1 मई को मजदूर दिवस है. देखते हैं उस दिन 2 करोड़ की फौज इकट्ठा कर पाएगी फर्जी नामों से विधवा, विकलांगों की पेंशन खाई गई है, वैसा ही बड़ा घोटाला मजदूरों के नाम पर हो रहा है.
VIDEO : मध्य प्रदेश की टॉयलेट एक स्कैम कथा...
डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश की सत्ता पर बीजेपी काबिज है, इस दौरान राज्य महिला अपराध, कुपोषण से मौत में अव्वल रहा. अब 7 करोड़ में 2 करोड़ की आबादी ने बतौर मजदूर आवेदन दिया है. वो राज्य जो मनरेगा के तहत सबसे कम मज़दूरी देने वाले राज्यों में शुमार है.
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