 
                                            बंबई उच्च न्यायालय(फाइल फोटो)
                                                                                                                        - 29 सितंबर को हुए हादसे में 23 लोग मारे गए थे और 30 से ज्यादा घायल हुए थे
- तीन हफ्ते बाद याचिका पर सुनवाई होगी
- रेलवे और राष्ट्रीय जांच एजेन्सी से तीन सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब मांगा
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                                                                                मुंबई: 
                                        मुंबई के एलिफिंस्टन रोड और परेल स्टेशनों को जोड़ने वाले ओवरब्रिज पर पिछले शुक्रवार को मची भगदढ़  में 23 लोगों की मौत हो गई थी. बंबई उच्च न्यायालय ने इस घटना की राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर एजेंसी और पश्चिम रेलवे को गुरुवार को नोटिस जारी किया. गत 29 सितंबर को हुए हादसे में 23 लोग मारे गए थे और 30 से ज्यादा घायल हुए थे. न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा, ‘प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए. तीन हफ्ते बाद याचिका पर सुनवाई होगी.’
रेलवे और राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को तीन सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है. अदालत ने कहा कि एनआईए की वकील अरूणा कामत पाई और पश्चिम रेलवे के वकील सुरेश कुमार अगली सुनवाई के दौरान जवाब दें. स्थानीय निवासी फैजल बनारसवाला और अब्दुल कुरैशी ने जनहित याचिका में भारतीय रेलवे से इस तरह के पुलों से अवरोधों को हटाने, रास्ता साफ करने, एस्कलेटर लगाने तथा प्रवेश और निकास के कई बिंदु बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
यह भी पढ़ें : मुंबई भगदड़ : शवों के माथे पर नंबर चिपकाने के मामले ने तूल पकड़ा, डॉक्टर को पीटा
याचिका के अनुसार, ‘नियमित रूप से पुल का इस्तेमाल करने वाले कई यात्रियों ने रेल अधिकारियों और सरकार को पत्रों एवं ट्वीट के जरिये पुल की हालत को लेकर आगाह किया था.
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लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.’ इसमें दावा किया गया कि अफवाह फैली थी कि पुल गिरने जा रहा है जिसके बाद भगदड़ मची. याचिका में कहा गया, ‘अफवाह से यात्रियों में कोलाहल शुरू हो गया. पुलिस से इस बात की जांच कराने की जरूरत है कि क्या घटना एक तरह का आतंकी हमला तो नहीं. एनआईए को इस कोण की जांच करने का निर्देश दिया जाए.’
(इनपुट भाषा से)
                                                                        
                                    
                                रेलवे और राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को तीन सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है. अदालत ने कहा कि एनआईए की वकील अरूणा कामत पाई और पश्चिम रेलवे के वकील सुरेश कुमार अगली सुनवाई के दौरान जवाब दें. स्थानीय निवासी फैजल बनारसवाला और अब्दुल कुरैशी ने जनहित याचिका में भारतीय रेलवे से इस तरह के पुलों से अवरोधों को हटाने, रास्ता साफ करने, एस्कलेटर लगाने तथा प्रवेश और निकास के कई बिंदु बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
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याचिका के अनुसार, ‘नियमित रूप से पुल का इस्तेमाल करने वाले कई यात्रियों ने रेल अधिकारियों और सरकार को पत्रों एवं ट्वीट के जरिये पुल की हालत को लेकर आगाह किया था.
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लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.’ इसमें दावा किया गया कि अफवाह फैली थी कि पुल गिरने जा रहा है जिसके बाद भगदड़ मची. याचिका में कहा गया, ‘अफवाह से यात्रियों में कोलाहल शुरू हो गया. पुलिस से इस बात की जांच कराने की जरूरत है कि क्या घटना एक तरह का आतंकी हमला तो नहीं. एनआईए को इस कोण की जांच करने का निर्देश दिया जाए.’
(इनपुट भाषा से)
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