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महाराष्ट्र में बंपर वोट, किस पर चोट? EXIT Poll के बाद भी पिक्चर अभी बाकी है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आए ज्यादातर एग्जिट पोल्स में महायुति गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने की बात कही गई है. जबकि कुछ एग्जिट पोल्स के अनुसार इस बार महाराष्ट्र में बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा.

महाराष्ट्र में बंपर वोट, किस पर चोट? EXIT Poll के बाद भी पिक्चर अभी बाकी है
महाराष्ट्र के एग्जिट पोल किस ओर कर रहे हैं इशारा? किस गठबंधन को मिलेगा बहुमत
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र को लेकर आए एग्जिट पोल्स से ये तो साफ है कि इस बार यहां का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है. हालांकि, ज्यादातर एग्जिट पोल्स में महायुति गठबंधन को बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है लेकिन कई एग्जिट पोल्स ऐसे भी हैं जिनमें महाविकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर दिख रही है. इस चुनाव को लेकर अगर ज्यादातर एग्जिट पोल्स सही साबित हुए तो इस बार महाराष्ट्र में निर्दलीय भी किंग मेकर की भूमिका निभा सकते हैं. ये चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि बीते 30 सालों में इस बार विधानसभा चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत (65.1) सबसे ज्यादा रहा है. अगर बात मुंबई की करें तो यहां क 36 में से 34 सीटों पर वोटिंग का प्रतिशत पहले के मुकाबले ज्यादा रहा है. 

महाराष्ट्र का EXIT POLLS

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महायुति को सत्ता में बहुमत के साथ वापसी का है भरोसा

मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब अलग-अलग गठबंधन अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. महायुति गठबंधन में शामिल दलों का कहना है कि इस चुनाव में उनके लिए लाडली बहन योजना गेम चेंजर साबित हुई है और इसका असर उन्हें चुनाव परिणाम में जरूर दिखेगा. महायुति के अनुसार इस बार के चुनाव में वो पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में दोबारा आ रही है. महायुति गठबंधन का मानना है लाडली बहन योजना के तहत महिलाओं के खातों में सीधे पैसे डालने की घोषणा उनके लिए बड़ी बात के तौर पर सामने आई है. 

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महाविकास अघाड़ी को सहानुभूति वोट और स्थानीय मुद्दों पर है भरोसा 

वहीं, दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी गठबंधन के तहत आने वाले दलों का मानना है कि वो इस चुनाव को बड़े अंतर से जीतने जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस गठबंधन को महाराष्ट्र की जनता की सहानुभूति मिली है. साथ ही उन्हें स्थानीय मुद्दों जैसे की महंगाई, बेरोजगारी और मराठा आरक्षण आंदोलन जैसे मुद्दों पर भी भरोसा है. इस गठबंधन को लग रहा है कि वो इस बार इन मुद्दों के सहारे महाराष्ट्र के चुनावी रण में महायुति को पीछे छोड़ देंगे. 

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त्रिशंकु विधानसभा की भी है संभावना

बात अगर एग्जिट पोल्स की करें तो कई एग्जिट पोल्स ऐसे भी हैं जिनमें महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलते नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल्स अगर नतीजों में तब्दील हुए तो महाराष्ट्र की आगामी विधानसभा त्रिशंकु विधानसभा भी बन सकती है. इसका मतलब ये हुआ कि इस स्थिति में छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास सत्ता की चाबी हो सकती है. और इस स्थिति में एआईएमआईएम, एमएनएस और वंचित बहुजन आघाड़ी जैसी पार्टियों का रोल बेहद अहम हो जाएगा. 

निर्दलीय निभा सकते हैं बड़ी भूमिका 

अलग-अलग एग्जिट पोल्स को देखें तो सबने निर्दलीय उम्मीदवारों को भी ठीक ठाक सीटें जीतने का अनुमान लगाया है. कई एग्जिट पोल्स तो ऐसे हैं जिसमें कहा गया है कि इस बार के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार 25 के करीब सीटें जीत सकते हैं. ऐसे में अगर निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर किया जा रहा दावा सही साबित हुआ तो इस बार महाराष्ट्र की राजनीति में निर्दलीय की अलग ही भूमिका हो सकती है. 

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कैसे बन सकते हैं समीकरण : 

अगर महायुति की सरकार बनी तो 

एग्जिट पोल्स के अनुसार अगर महायुति गठबंधन को 145 से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो वह स्पष्ट तौर पर पूर्ण बहुमत के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में लगातार वापसी करेगी. और महायुति गठबंधन की इस जीत का श्रेय सत्ता में रहते हुए उनके द्वारा चलाई जा रही योजना को जाएगा. खास तौर पर लाडली बहन योजना एक बड़ा गेमचेंजर साबित हुआ है. इसके साथ-साथ शहरी इलाकों में एनडीए ने अपना लोहा मनवाया है. साथ ही साथ एनडीए दलों के बीच आपसी तालमेल भी इस जीत के लिए जिम्मेदार है. 

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अगर महाविकास अघाड़ी की बनी सरकार

ऐसा तब संभव है कि जब इस गठबंधन को जनता 145 से ज्यादा सीटें दे. अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा सा मतलब ये होगा कि लोकसभा की तरह ही विधानसभा चुनाव में जनता ने जोड़-तोड़ की राजनीति को सिरे से नाकार दिया है. साथ ही साथ ये भी साबित हो जाएगा कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं को उनकी पार्टी टूटने का फायदा मतदाताओं के सहानुभूति वोट के तौर पर मिला है. वहीं, ये गठबंधन स्थानीय मुद्दों को भी भुनाने में सफल रहा है. 

त्रिशंकु विधानसभा का मतलब 

अगर महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन अपने दम पर इस चुनाव में सत्ता तक नहीं पहुंचती है तो ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों किसी भी दल को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है. आपको बता दें कि अलग-अलग एग्जिट पोल्स ने 25 से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने की बात की है.

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