महाराष्ट्र के सियासी संकट को सुलझाने के लिए शिवसेना अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रही है. इसी कोशिश के तहत राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे ने बागी तेवर अख्तियार किए पार्टी नेता एकनाथ शिंदे के साथ आज शाम को फोन पर 10 मिनट बाद की, हालांकि यह बातचीत भी गतिरोध को दूर करने में नाकाम रही है. सूत्रों के अनुसार, बातचीत के दौरान शिंदे ने केवल मतभेद की बात मानी है. गौरतलब है कि शिंदे और 21 अन्य विधायक एकांतवास में चले गए हैं और उन्होंने सूरत के एक होटल में डेरा डाल लिया है. इस कदम से राज्य की महाविकास अघाडी (एमवीए) सरकार की स्थिरता सवालों के घेरे में आ गई है.
जानकारी के अनुसार, शिंदे ने दावा किया कि वो पार्टी की भलाई के लिए यह कदम उठा रहे हैं. अब तक उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है और न ही किसी दस्तावेज़ पर दस्तखत किए हैं. जब सीएम उद्धव ठाकरे ने शिंदे से पुनर्विचार कर वापस आने के लिए कहा है तो शिंदे ने मांग की कि शिवसेना को बीजेपी के साथ अपने गठजोड़ का नवीनीकरण (Renew)करना चाहिए और संयुक्त रूप से महाराष्ट्र पर शासन करना चाहिए. सूत्रों ने बताया, "अभी तक इस बातचीत के दौरान कोई समाधान हम नहीं निकल सका है."
शिवसेना और कांग्रेस ने इस संकट के लिए बीजेपी पर दोष मढ़ा है, दूसरी ओर शिंदे ने अपने कदम को वैचारिक फैसला बताया है. उन्होंने कहा, "बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व की सीख दी. "मिलिंद नारवेकर के साथ सूरत में हुई मुलाकात में एकनाथ शिंदे ने साफ़ तौर पर कहा, "मैं हिंदुत्व के साथ हूं और शिवसेना ने हिंदुत्व छोड़ दिया है. अब वह शिवसेना में नहीं लौटेंगे."
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