फाइल फोटो
मुंबई:
मुंबई के बीड जिले में 28 वर्षीय एक महिला कॉन्स्टेबल द्वारा लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के वास्ते छुट्टी लेने के लिए दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के लिए बंबई उच्च न्यायालय ने 27 नवंबर की तारीख तय की है. इस याचिका में सर्जरी के लिए महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को उन्हें छुट्टी देने का निर्देश देने की मांग की गई है. ललिता साल्वे को अब ललित कहलाना पसंद है.
उन्होंने पिछले महीने लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिये एक महीने की छुट्टी मांगी थी. लेकिन बीड पुलिस अधिकारियों ने उनके इस अनुरोध को ठुकरा दिया. इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. साल्वे के वकील एजाज नकवी ने आज न्यायाधीश एस एम केमकर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी वाली खंडपीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया. पीठ ने याचिका की सुनवाई 27 नवंबर को तय की है.
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याचिका के अनुसार, जून 1988 में जन्मी साल्वे ने तीन साल पहले अपने शरीर में बदलाव देखा और मेडिकल जांच कराई. इसमें पाया गया कि उनके शरीर में वाई क्रोमोसोम की अधिकता है. याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता ने सरकारी जे जे अस्पताल में मनोचिकित्सकों से परामर्श लिया. चिकित्सकों ने पाया कि उसे लैंगिक असंतोष विकृति है और सलाह दी कि अगर वह इच्छुक हैं और उनकी दिमागी हालत ठीक है तो लिंग परिवर्तन सर्जरी करा लें.'
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साल्वे ने इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया और लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिये एक महीने का चिकित्सीय अवकाश मांगा. याचिका में कहा गया है, 'पिछले सप्ताह, बीड जिले के पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता को सूचित किया कि वह लिंग परिवर्तन सर्जरी नहीं करा सकती हैं और उन्हें छुट्टी देने से मना कर दिया.' याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फैसला याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन है.
VIDEO: दिल्ली : बवाना में बदमाशों ने कॉन्स्टेबल की गोली मारकर हत्या की
उन्होंने पिछले महीने लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिये एक महीने की छुट्टी मांगी थी. लेकिन बीड पुलिस अधिकारियों ने उनके इस अनुरोध को ठुकरा दिया. इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. साल्वे के वकील एजाज नकवी ने आज न्यायाधीश एस एम केमकर और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी वाली खंडपीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया. पीठ ने याचिका की सुनवाई 27 नवंबर को तय की है.
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याचिका के अनुसार, जून 1988 में जन्मी साल्वे ने तीन साल पहले अपने शरीर में बदलाव देखा और मेडिकल जांच कराई. इसमें पाया गया कि उनके शरीर में वाई क्रोमोसोम की अधिकता है. याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता ने सरकारी जे जे अस्पताल में मनोचिकित्सकों से परामर्श लिया. चिकित्सकों ने पाया कि उसे लैंगिक असंतोष विकृति है और सलाह दी कि अगर वह इच्छुक हैं और उनकी दिमागी हालत ठीक है तो लिंग परिवर्तन सर्जरी करा लें.'
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साल्वे ने इस संबंध में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया और लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिये एक महीने का चिकित्सीय अवकाश मांगा. याचिका में कहा गया है, 'पिछले सप्ताह, बीड जिले के पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता को सूचित किया कि वह लिंग परिवर्तन सर्जरी नहीं करा सकती हैं और उन्हें छुट्टी देने से मना कर दिया.' याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह फैसला याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का हनन है.
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