चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) पर रोक नहीं लगेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे सभी दल, जिनको चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिए चंदा मिला है वो सील कवर में चुनाव आयोग को ब्योरा देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिये मिली रकम की जानकारी सील कवर में चुनाव आयोग के साथ साझा करें. कोर्ट ने जानकारी साझा करने के लिए 30 मई की समय-सीमा निर्धारित की है और कहा है कि पार्टियां प्रत्येक दानदाता का ब्योरा सौंपे. चुनाव आयोग इसे सेफ कस्टडी में रखेगा.
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं, सभी दल EC को देंगे ब्योरा
क्या है चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond)
चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा जुटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से चुनावी बॉन्ड घोषणा की थी. चुनावी बॉन्ड एक ऐसा बॉन्ड है जिसमें एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है. ये बॉन्ड पैसा दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस बॉन्ड के जरिए आम आदमी राजनीतिक पार्टी, व्यक्ति या किसी संस्था को पैसे दान कर सकता है. इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार रुपए जबकि अधिकतम एक करोड़ रुपए होती है. चुनावी बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं.
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जानिए खास बातें...
* कोई भी भारतीय नागरिक, संस्था या फिर कंपनी चुनावी बॉन्ड को खरीद सकती है.
* बॉन्ड खरीदने के लिए KYC फॉर्म भरना होगा.
* जिसने बॉन्ड दिया है उसका नाम गुप्त रखा जाएगा. खरीदने वाले का भी नाम गुप्त रहेगा, लेकिन बैंक खाते की जानकारी रहेगी.
* चुनावी बॉन्ड की अवधी 15 दिन के लिए होगी. जिसमें राजनीतिक दलों को दान किया जा सकेगा.
* हर पॉलिटिकल पार्टी को चुनाव आयोग को बताना होगा कि बॉन्ड के जरिए उनके कितनी राशी मिली है.
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