एक्जिट पोल के बाद जिस तरह विपक्षी खेमे में खलबली मची है उसी तरह सट्टा बाज़ार भी सकते में है. बड़े नुकसान से बचने के लिए सटोरिये चुनाव के दौरान खुले भावों को बंद कर अब सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस की सीटों पर ही सट्टा ले रहे हैं. सभी चैनलों के एग्जिट पोल में एक बार फिर मोदी सरकार के आसार दिखते ही बीजेपी ने जहां लड्डू बनवाने शुरू कर दिए वहीं विपक्ष की तरह सट्टा बाज़ार भी सकते में है. इसलिए अब पहले के सभी सट्टों पर बोली बंद कर सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेंगी उस पर सट्टा लग रहा है. सट्टा बाजार के मुताबिक बीजेपी 260 से 262 के करीब सीट ला सकती है तो कांग्रेस जो 80 से 90 तक सीटें ला रही थी अब घट कर 68 से 70 तक हो गई है. जबकि इसके पहले सट्टाबाजार में भाजपा का भाव अकेले दम पर सरकार बनाने पर भी खुला था जो 3 रुपये 50 पैसे था. जबकि एनडीए की सरकार बनाने पर सिर्फ 12 पैसे का भाव था. वहीं कांग्रेस को 272 सीटें मिलने पर 100 रुपए का भाव तो यूपीए के सरकार बनाने पर 50 रुपए का भाव था. महागठबंधन का भाव 80 रुपए था.
किसकी सरकार बना रहा है सट्टा बाजार, जानें- BJP और कांग्रेस को मिलेंगी कितनी सीटें
लेकिन एग्जिट पोल आने के बाद अब ये सब सट्टे बंद कर दिए गए हैं. मुंबई पुलिस के पूर्व एसीपी का दावा है कि सटोरियों का अंदाज ज्यादा भरोसेमंद होता है क्योंकि उसमें उनका खुद का पैसा लगा होता है. इसलिए वो अपना नफा नुकसान देख कर ही भाव खोलते हैं. सिर्फ महागठबंधन ही नहीं प्रधानमंत्री पद के लिए खुला सट्टा भी अब बंद कर दिया गया है क्योंकि सटोरियों को भी लगता है कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है. जबकि एग्जिट पोल के पहले प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी का भाव 15 पैसे, राहुल गांधी का 60 रुपए, मायावती का 110 रुपए तो ममता बनर्जी के लिए 150 रुपए का भाव खुला था.
बता दें, NDTV ने सभी एक्जिट पोल्स (Exit Polls) को मिलाकर पोल ऑफ पोल्स (Poll Of Polls) बनाया. NDTV के पोल ऑफ पोल्स के अनुसार केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार की वापसी हो रही है. पोल ऑफ पोल्स के अनुसार बीजेपी गठबंधन को 300 से अधिक सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, यूपीए 122 और अन्य 118 सीटों पर सिमटते दिख रहे हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 435 सीटों पर लड़ी है और बाकी सीटें उसने सहयोगियों के साथ बांटी हैं. जबकि कांग्रेस कुल 420 सीटों पर चुनाव लड़ी है. बीजेपी की अगुवाई में एनडीए में इस बार 21 पार्टियां शामिल हैं. बिहार में उसको नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के आने से मजबूती मिली है और वोट प्रतिशत के हिसाब से उसका पलड़ा भारी है. वहीं यूपीए में इस बार कांग्रेस की अगुवाई में 25 पार्टियां शामिल हैं.
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