अपने 'राष्ट्रवाद' में शहीदों और उनकी शहादत का खासा ख्याल करने वाली बीजेपी के लिए यह असहज होने का मौका था, जब उसे देश के लिए जाने देने वाले एक शहीद के मुद्दे पर ही घिर जाना पड़ा. विपक्षी दलों के नेता शहीद के अपमान को मुद्दा बनाकर बीजेपी पर तीखे वार करते नजर आए. मामला, भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर(Pragya Singh Thakur के उस बयान से जुड़ा रहा, जिसमें उन्होंने मुंबई हमले के दौरान आतंकियों की गोली से शहीद हुए हेमंत करकरे को लेकर गलतबयानी की था. कहा था कि हेमंत करकरे को उन्होने श्राप दिया था, जिससे मौत हो गई. विरोधियों ने शहीद की शहादत के अपमान के मुद्दे को गरमाया तो मौके की नजाकत भांपते हुए बीजेपी को दिल्ली हेडक्वार्टर से सफाई जारी करना पड़ी कि प्रज्ञा के बयान से बीजेपी का लेना-देना नहीं है, उत्पीड़न की शिकार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भावावेश में आकर ऐसा कुछ कह दिया होगा, हालांकि बीजेपी शहीद हेमंत करकरे का सम्मान करती है.
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चुनावी मौसम में अभी इस बयान से मचा तूफान थमा ही था कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) के एक और बयान ने हलचल मचा दी. यह बयान था अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने से जुड़ा. साध्वी प्रज्ञा ने मस्जिद ढहाए जाने पर किसी तरह की अफसोस की जगह गर्व की बात कहते हुए कहा कि वह भी उसमें शामिल थीं. जितना खुल्लमखुल्ला बयान प्रज्ञा ने दिया, अमूमन वैसा बयान देने से बीजेपी के वे फायरब्रांड नेता भी बचते रहे हैं, जो अक्सर विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं. एक के बाद एक विवादित बयानों के कारण लगातार चुनाव आयोग से नोटिस भी जारी होती रही. अयोध्या से जुड़े विवादित बयान पर संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयोग ने केस भी दर्ज कराया. इस बीच प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर उन्हें आतंकी बता दिया.
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सूत्र बताते हैं कि पहली बार चुनाव लड़ रहीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) के अपनी चुनावी कैंपेनिंग से ज्यादा विवादित बयानों से सुर्खियों में बने रहने से बीजेपी ही नहीं संघ पदाधिकारी भी चिंतित हुए. अन्य विवादित बयानों से बीजेपी को उतनी दिक्कत नजर नहीं आई, जितनी की शहीद हेमंत करकरे की शहादत पर उठाए गए सवाल से. संघ को लगा कि इससे बीजेपी के वे वोटर्स भी नाराज हो सकते हैं, जो शहीदों को लेकर भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं. बीजेपी के अंदरखाने भी इस बयान की आलोचना हुई. संघ और विहिप के करीबी माने जाने और वाजपेयी सरकार में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने तो सोशल मीडिया पर ही प्रज्ञा के बयान को गलत ठहराया. उनके शब्दों में," प्रज्ञा ने पहाड़ जैसी ग़लती की है और दिग्गी राजा के ख़िलाफ़ अपने अभियान को बहुत कमज़ोर कर लिया है,उनके इस बयान से मिलने वाली जन सहानुभूति खो दी है जो उनकी बहुत बड़ी पूंजी थी !"
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संघ के समझाने पर बयान से लिया यू-टर्न
सूत्र बताते हैं कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) के विवादित बयान बीजेपी के चुनावी माहौल के खिलाफ जाते दिखे तो संघ नेता भी चिंतित हुए. यही वजह के उन्हें भोपाल स्थित संघ कार्यालय "समिधा" पर संघ ने बुलाया. यहां आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक ने उन्हें बोलते समय संयत रहने की सलाह दी. समझाया गया कि जमीनी स्तर पर व्यापक जनसंपर्क से कहीं ज्यादा आसानी से चुनाव जीता जा सकता है, न कि विवादित बयान देकर. वैसे भी भोपाल में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति खराब है. लिहाजा शहीदों आदि को लेकर ऐसा कुछ न कहा जाए, जिससे बीजेपी के राष्ट्रवाद पर ही विरोधी दलों को सवाल खडे़ करने का मौका मिले. सूत्र बताते हैं कि संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के समझाने पर ही प्रज्ञा ठाकुर ने दिग्विजय सिंह को आतंकी कहने वाले बयान पर यूटर्न ले लिया.
दिग्विजय सिंह को आतंकी बताए जाने वाले बयान पर प्रज्ञा ठाकुर ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने दिग्विजय को आतंकी नहीं कहा. प्रज्ञा ने सफाई में कहा है, "मैंने नहीं कहा आतंकी, वह कह सकते हैं. उन्होंने कहा है, हमने नहीं कहा." दरअसल, भोपाल के सीहोर में गुरुवार को प्रचार कार्यालय के उद्घाटन का मौका था. इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था, "राज्य में 16 साल पहले उमा दीदी ने हराया था और वह 16 साल मुंह नहीं उठा पाया, और राजनीति करने की कोशिश नहीं कर पाया. अब फिर से सिर उठा है तो दूसरी सन्यासी सामने आ गई है, जो उसके कर्मो का प्रत्यक्ष प्रमाण है."एक बार फिर ऐसे आतंकी का समापन करने के लिए, बेरोजगारी बढ़ाने वाले लोगों के लिए फिर से सन्यासी को खड़ा होना पड़ा है. अब जब समापन होगा, तो फिर कभी उग नहीं पाएगा. बता दें कि भोपाल में 12 मई को मतदान होना है.
वीडियो- भोपाल में प्रज्ञा के रोड शो में काले झंडे दिखाने की कोशिश
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