कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) का नाम भी गिना जाता रहा है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह को दिग्गी राजा व अर्जुन सिंह के नाम से भी पहचाना जाता है. वर्तमान में वह एक भारतीय राजनेता, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता है. कांग्रेस पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से अपना उम्मीदवार बनाया है. इतना ही नहीं, वर्तमान में दिग्विजय सिंह पार्टी में महासचिव के पद पर है. दिग्विजय सिंह के सामने बीजेपी उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर है. करीब 50 सालों से भारतीय राजनीति में सक्रिय दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी में रहते हुए कई उतार-चढ़ाव देखें. उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक साथ काम किया.
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दिग्विजय सिंह का व्यक्तिगत जीवन-
दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को राघोगढ़ में सामंती परिवार में हुआ था. राघोगढ़, ग्वालियर राज्य के अधीन एक राज्य था. करीब 71 साल के दिग्विजय सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इंदौर के डेली कॉलेज से ली और इसके बाद इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इंदौर के श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान से दिग्विजय सिंह ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की. उन्होंने दो शादियां की. पहली शादी साल 1969 में आशा कुमारी से की थी. साल 2013 में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने की वजह से पत्नी की मृत्यु हो गई. जबकि दूसरी शादी राज्यसभा की टीवी एंकर अमृता राय से साल 2015 में की. राघोगढ़ को वर्तमान में मध्यप्रदेश के गुना जिले से जाना जाता है.
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दिग्विजय सिंह का राजनीतिक सफर-
दिग्विजय सिंह की जिस साल शादी हुई, उसी साल उन्होंने अपने राजनैतिक करियर में कदम रख दिया. सबसे पहले वह राघोगढ़ में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने और फिर 1970 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली. हालांकि दिग्विजय सिंह के पिता बालभद्र सिंह भारतीय जनसंघ पार्टी से जुड़े थे, फिर भी वह कांग्रेस पार्टी में कदम बढ़ाया. 1977 में दिग्विजय सिंह ने पहली बार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बने और जीत भी हासिल की. गुना जिले में राघोगढ़ से विधायक चुने गए. सन् 1984 में लोकसभा चुनाव के दौरान राघोगढ़ के ही सांसद के रूप में चुने गए. यहां सांसद बनने के बाद पार्टी ने उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस कमिटी का अध्यक्ष बनाया. सन् 1985 से लेकर 1988 तक इस पद पर दिग्विजय सिंह कार्यरत रहे. हालांकि 1993 में जब जीत हासिल की तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. अपने कार्यकाल में अच्छे काम के चलते जनता ने उन्हें काफी पसंद किया और 1998 में फिर से जीत हासिल करके मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. 2003 तक सीएम बने रहने के बाद दिग्विजय सिंह अगले चुनाव में हार गए और फिर अगले 10 साल तक कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि बाद में वापसी करते हुए पार्टी ने उन्हें 2013 में राष्ट्रीय महासचिव बनाया.
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