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This Article is From May 17, 2019

कन्हैया कुमार का फेसबुक पर पोस्ट- आज हिंदू नहीं बल्कि विज्ञान, लॉजिक और संविधान खतरे में हैं

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की ओर से बिहार के बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने बंगाल हिंसा के दौरान ईश्वचंद विद्यासागर की तोड़ी गई मूर्ति को लेकर अपने फेसबुक अकाउंट पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है.

कन्हैया कुमार का फेसबुक पर पोस्ट- आज हिंदू नहीं बल्कि विज्ञान, लॉजिक और संविधान खतरे में हैं
कन्हैया कुमार
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कन्हैया कुमार का फेसबुक पोस्ट
बंगाल हिंसा पर लिखा
बेगूसराय से हैं उम्मीदवार
नई दिल्ली:

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) की ओर से बिहार के बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने बंगाल हिंसा के दौरान ईश्वचंद विद्यासागर की तोड़ी गई मूर्ति को लेकर अपने फेसबुक अकाउंट पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है. कन्हैया कुमार ने कहना है कि आज हिंदू नहीं बल्कि विज्ञान, लॉजिक और संविधान खतरे में हैं. उन्होंने लिखा, ''आज करोड़ों रुपये खर्च करके यह झूठ फैलाया जा रहा है कि देश में हिंदू ख़तरे में हैं. सच तो यह है कि आज हिंदू नहीं बल्कि विज्ञान, लॉजिक और संविधान ख़तरे में हैं.''

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कन्हैया कुमार ने आगे लिखा, ''जिन लोगों ने विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी है, उन्होंने असल में पूरे देश में विद्या के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ रखा है. भाजपा ने पूरे देश में लगभग दो लाख सरकारी स्कूल बंद करा दिए हैं. हरियाणा में 300 से ज़्यादा स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई बंद करा दी गई है. शिक्षा के बजट में लगातार कटौती की जा रही है. इन तमाम कदमों के पीछे एक ही मकसद है और वह है नागरिकों को भीड़ में तब्दील करके एक ऐसी विचारधारा को मज़बूत करना जिसने आज तक लोकतंत्र और इंसानियत पर चोट करने के अलावा और कोई काम नहीं किया है. लोकतंत्र में हिंसा और प्रतिहिंसा की कोई जगह नहीं है. चाहे हिंसा किसी भी तरफ़ से हो, यह समस्या का समाधान नहीं है.

जिन्होंने विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी है, वे अगर भविष्य में विद्यासागर सेतु को भी तोड़ने की बात कहें तो हमें आश्चर्य नहीं होगा. अंग्रेजों ने फूट डालकर राज करने की नीति अपनाई थी और उनके लिए मुख़बिरी करने वाले लोग आज लोगों को बांटने के साथ उनका ध्यान भटकाने की नीति भी अपना रहे हैं. ध्यान भटकाना तभी आसान होगा जब स्कूल-अस्पताल पर बात नहीं करके श्मशान-कब्रिस्तान को राजनीति के केंद्र में रखा जाएगा. बौद्धिकता के खिलाफ नफरत का माहौल बनाने के लिए विश्वविद्यालयों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली भाजपा ने देश का बहुत बड़ा नुकसान किया है. इस नुकसान की भरपाई चुनावी जीत से नहीं, बल्कि आने वाले समय में नागरिकों की सामूहिक कोशिशों से ही की जा सकेगी.

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हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नरेंद्र दाभोलकर, गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे, कलबुर्गी आदि अज्ञान के अंधेरे को दूर करते हुए ज्ञान के पथ पर शहीद हो गए. उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए हमें अज्ञान को कॉमन सेंस बनाने की साज़िश करने वालों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर संघर्ष करना है.''

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