लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के सामने खड़े हो गए यह 6 बड़े संकट...

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में कांग्रेस अपनी करारी हाल को अभी भूली भी नहीं थी कि उसके सामने 6 और बड़े संकट खड़े हो गए हैं.

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के सामने खड़े हो गए यह 6 बड़े संकट...

कांग्रेस के सामने आए ये 6 बड़े संकट

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019  (Lok Sabha Election 2019)  में कांग्रेस अपनी करारी हाल को अभी भूली भी नहीं थी कि उसके सामने 6 और बड़े संकट खड़े हो गए हैं. कांग्रेस पार्टी पर अब आने वाले तीन राज्यों में- हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इतना ही नहीं कांग्रेस के सामने मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में सरकार बचाने का भी संकट है. लोकसभा चुनाव परिणाम (Lok Sabha Election Result 2019) के दो दिन बाद यानी शनिवार  कांग्रेस  के खराब प्रदर्शन के कारणों पर मंत्रणा करने के लिए कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC)) की बैठक हुई. बताया जा रहा है कि इस बैठक में राहुल गांधी  (Rahul Gandhi)  ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के सदस्यों ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया. सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई. कांग्रेस पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार कर वोटरों को लुभाने की कोशिश भी की थी, लेकिन नतीजों ने कांग्रेस को बहुत आश्चर्य की स्थिति में डाल दिया. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में कांग्रेस को 543 में से सिर्फ 52 सीटें ही मिलीं.  इसी प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी इन 6 बड़ी संकटों से घिर गई है.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने साल 2014 से भी ज्यादा प्रचंड जीत दर्ज की है. साल 2014 में बीजेपी ने जहां 7 सीटों पर कब्जा जमाया था तो वहीं इस बार के चुनाव में पार्टी ने 10 की 10 लोकसभा सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की है. राज्य में पूरी तरह से मोदी लहर दिखी. जानकार यही मान रहे थे कि कांग्रेस इस बार हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन करेगी और लगभग 4 सीटों पर जीत दर्ज करेगी. लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को उसकी रणनीति पर सोचने पर मजबूर कर दिया है. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है और राज्य में मोदी लहर को देखते हुए कहीं से नहीं लग रहा है कि कांग्रेस वापस इस बार सत्ता हासिल कर पाएगी. 2014 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 47 सीटों पर जीत दर्ज किया था और अपने दम पर सत्ता की कुर्सी पर बैठी थी. इस बार भी बीजेपी के लिए मौके अधिक हैं, क्योंकि विपक्षी एकता में जहां कमी है तो कांग्रेस अंदरुनी कलह से ग्रस्त है. 


झारखंड विधानसभा चुनाव
झारखंड लोकसभा चुनाव में भी जमकर मोदी लहर चलती दिखी. यहां की 14 लोकसभा सीटों पर पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने 11 सीटों पर कब्जा जमा लिया और कांग्रेस सहित किसी भी पार्टी के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. और बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं. 2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 37 सीटें अपने नाम की थी और उसके सहयोगी दल आजसू को पांच सीटों पर जीत मिली थी. लोकसभा चुनाव 2019 के प्रदर्शन को देखते हुए यही लग रहा है कि कांग्रेस की राह आसान नहीं होने जा रही है. पार्टी को कोई चमत्कार ही जीत दिला सकता है.


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने 41 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की और विरोधियों को पूरी तरह से पस्त कर दिया.  कांग्रेस को यहां महज 5 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. महाराष्ट्र के परिणामों को देखकर कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ही बाजी मारेगी. कांग्रेस को जीत के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. पिछले विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से बीजेपी 122 सीटें और उसकी सहयोगी शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं. कांग्रेस को सिर्फ 42 सीटें ही मिली थीं. अब देखना होगा कि कांग्रेस राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कैसा प्रदर्शन कर पाती है.

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मध्य प्रदेश में सरकार बचाने का संकट

कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. बीजेपी को यहां 109, बसपा को 2, सपा को 1 और निर्दलीय को 4 सीटें मिली थीं. कांग्रेस और बीजेपी में महज 5 सीटों का ही फासला था. लेकिन सपा-बसपा और निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस ने यहां सरकार बना ली थी. हाल ही में मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधानसभा का सत्र बुलाए जाने की मांग की थी. नेता प्रतिपक्ष भार्गव ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि वर्तमान सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है. इसलिए उनकी मांग है कि राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.  इसके लिए वे राज्यपाल को पत्र लिखने वाले हैं.  भार्गव ने आगे कहा, "विधानसभा सत्र में सत्ताधारी दल की शक्ति का भी परीक्षण हो जाएगा. कांग्रेस के पास दूसरों के सहयोग से बहुमत है, भाजपा चाहती तो वह भी जोड़-तोड़ करके सरकार बना सकती थी, मगर भाजपा ने ऐसा नहीं किया. बता दें कि बीजेपी बहुमत के आंकड़े के बहुत ज्यादा दूर नहीं है. केंद्र में एक बार फिर मोदी सरकार के आने के बाद कमलनाथ सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि बीजेपी केंद्र के बाद राज्य की सत्ता पर काबिज होने का दांव चल सकती है. 

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर संकट

साल 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस ने 78 सीटें, जेडीएस ने 37, बसपा ने 1, केपीजेपी ने 1 और अन्य ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी यहां सरकार नहीं बना सकी थी. कांग्रेस और कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस ने गठबंधन कर राज्य में सरकार बना ली थी. लेकिन अब कुमारस्वामी की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मुख्यमंत्री कुमारस्वामी कई मौकों पर यह बात कह चुके हैं. साथ ही कांग्रेस के कई विधायकों की नाराजगी की बातें सामने आती रही हैं. लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद ऐसी खबरें आ रही हैं कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी  कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. हालांकि इन खबरों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि कर्नाटक में बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है.


राजस्थान में भी मंडरा रहे हैं संकट के बादल

राजस्थान कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की अटलकबातजी के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी की पराजय के कारणों को गिनाने गुरुवार से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. भाजपा ने राज्य में 24 सीटें जीती, जबकि एक अन्य सीट पर उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की. कांग्रेस की यह हार काफी शर्मनाक रही, क्योंकि पार्टी अभी छह महीने पहले ही विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में आई है. पार्टी के एक नेता ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, "सत्ता के दो केंद्र बनने के कारण हमारी पार्टी में स्थितियां खराब हुईं. एक नेता जमीन से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा हाईफाई है और ग्रामीण इलाकों में भी अंग्रेजी में बोलता है." एक अन्य वरिष्ठ नेता ने अपने टेबल पर पड़े कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के चित्र की ओर उंगली दिखाते हुए कहा, "इन्होंने हमें पूरी छूट नहीं दी." और टेबल पर पड़े राहुल गांधी के चित्र की तरफ इशारा करते हुए कहा, "वह राहुल संगठन में युवाओं को शामिल कर उसे बदलना चाहते थे, लेकिन इन लोगों (सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह) ने उन्हें रोक दिया."

सूत्रों ने कहा कि कई नेता सोचते हैं कि पार्टी का नेता कोई एक होना चाहिए. एक स्थानीय पार्टी नेता ने कहा, "ज्यादा लोगों का हस्तक्षेप होने से बात बिगड़ जाती है." नेता ने कहा कि जयपुर, जयपुर ग्रामीण, झालावाड़, रातसमंद, अजमेर और भीलवाड़ा सहित कम से कम छह सीटों पर गलत लोगों को टिकट दिए गए. इस बीच भाजपा ने गहलोत से नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है. इन सब चीजों को देख कहा जा सकता है कि राज्सथान में कांग्रेस के लिए संकट के बादल हैं.

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