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This Article is From Apr 15, 2019

राजनीतिक दलों को बॉन्ड के जरिये मिला 99.80 चंदा 10 लाख और एक करोड़ रुपये मूल्य का

मार्च 2018 से जनवरी 2019 के बीच राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये जो चंदा मिला उनमे 99.80 % चंदा 10 लाख और एक करोड़ रुपये मूल्य के थे.

राजनीतिक दलों को बॉन्ड के जरिये मिला 99.80 चंदा 10 लाख और एक करोड़ रुपये मूल्य का
प्रतिकात्मक चित्र
नई दिल्ली:

मार्च 2018 से जनवरी 2019 के बीच राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये जो चंदा मिला उनमे 99.80 % चंदा 10 लाख और एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. यह खुलासा मध्य प्रदेश के नीमच के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ की आरटीआई में हुआ है. उन्हें एसबीआई से आरटीआई के जरिये ये जानकारी मिली है. चंद्रशेखर गौड़ के मुताबिक करीब दस महीनों में डोनर्स ने राजनीतिक दलों के लिए कुल 1407.09 करोड़ के इलेक्टोरल बांड्स खरीदे, जिनमें से कुल 1403.90 करोड़ के बांड्स सिर्फ 10 लाख और एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. चंद्रशेखर गौड़ ने एनडीटीवी को बताया, 'मैंने एसबीआई से जितनी जानकारी मांगी थी, करीब-करीब सारी जानकारी एसबीआई ने आरटीआई में दिया है. सिर्फ ये जानकारी नहीं दी गयी है कि कितने राजनितिक दलों ने इलेक्टोरल बांड्स को रिडीम किया (भुनाया) है'. 

इलेक्टोरल बॉन्ड मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचिकाकर्ता खुश नहीं, जानें क्या है कारण

चंद्रशेखर गौड़ के मुताबिक डोनर्स ने 10 लाख के कुल 1,459 इलेक्टोरल बांड्स, एक करोड़ के 1,258 बांड्स, एक लाख के 318 बांड्स, दस हज़ार के 12 बांड्स और एक हज़ार के कुल 24 बांड्स खरीदे गए. आपको बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा था कि चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं लगेगी, लेकिन ऐसे सभी दल, जिनको चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिए चंदा मिला है वो सील कवर में चुनाव आयोग को ब्योरा देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी राजनीतिक दल चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के जरिये मिली रकम की जानकारी सील कवर में चुनाव आयोग के साथ साझा करें.

कोर्ट ने जानकारी साझा करने के लिए 30 मई की समय-सीमा निर्धारित की है और कहा है कि पार्टियां प्रत्येक दानदाता का ब्योरा सौंपे. चुनाव आयोग इसे सेफ कस्टडी में रखेगा. दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट मामले की विस्तृत सुनवाई की तारीख तय करेगा. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर आदेश पारित न करे. 
काला धन का सबसे बड़ा डॉन - इलेक्टोरल बॉन्ड 

क्या है चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond)
चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा जुटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से चुनावी बॉन्ड घोषणा की थी. चुनावी बॉन्ड  एक ऐसा बॉन्ड है जिसमें एक करेंसी नोट लिखा रहता है, जिसमें उसकी वैल्यू होती है. ये बॉन्ड पैसा दान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस बॉन्ड के जरिए आम आदमी राजनीतिक पार्टी, व्यक्ति या किसी संस्था को पैसे दान कर सकता है. इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार रुपए जबकि अधिकतम एक करोड़ रुपए होती है. चुनावी बॉन्ड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध हैं.  

VIDEO : राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये दे सकेंगे चंदा

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