नई दिल्ली:
मलयालम लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार को 30वां मूर्तिदेवी पुरस्कार दिया गया. वर्ष 2016 का यह पुरस्कार वीरेंद्र कुमार को उनकी पुस्तक 'हैमवाता भूमिइल' के लिए प्रदान किया गया. भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा जारी बयान में बताया गया कि प्रो. सत्यव्रत शास्त्री की अध्यक्षता में हुई मूर्तिदेवी पुरस्कार चयन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से मलयालम लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार को वर्ष 2016 का 30वां मूर्तिदेवी पुरस्कार देने का निर्णय किया गया.
'हैमवाता भूमिइल' का हिन्दी अनुवाद 'वादियां बुलाती हैं हिमालय की' शीषर्क से किया गया है. यह पुस्तक एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें यह बताने की कोशिश की गयी है कि हिमालय मात्र एक भव्य पर्वत नहीं है अपितु एक महान संस्कृति का अभिन्न अंग है. वह दर्शन, काव्य, संगीत, चित्रकला, शिल्पकला आदि क्षेत्रों में सृजनात्मकता की प्रेरणा देने वाला प्रकृति का अनुपम वरदान है.
इस रचना में लेखक के अनुभव और यादों का जीवंत चित्रण है. यह पुस्तक लेखक की बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देता है. एमपी वीरेंद्र कुमार का जन्म 15 अगस्त 1937 को हुआ था और लोहिया की विचारधारा से प्रभावित होकर वह समाजवादी बन गये. उन्हें लेखक, समाजसेवी, व्यवसायी और राजनीतिज्ञ के तौर पर जाना जाता है. वह इस वक्त राज्यसभा के सदस्य हैं.
सांस्कृतिक विरासत, भारतीय दर्शन और मानवीय मूल्यों को अपने लेखन के जरिये उभारने वाले लेखक को दिये जाने वाले मूर्तिदेवी पुरस्कार में सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और चार लाख रूपये की राशि प्रदान की जाती है. नामचीन लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार की रचनाओं का हिन्दी और अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है.
'हैमवाता भूमिइल' का हिन्दी अनुवाद 'वादियां बुलाती हैं हिमालय की' शीषर्क से किया गया है. यह पुस्तक एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें यह बताने की कोशिश की गयी है कि हिमालय मात्र एक भव्य पर्वत नहीं है अपितु एक महान संस्कृति का अभिन्न अंग है. वह दर्शन, काव्य, संगीत, चित्रकला, शिल्पकला आदि क्षेत्रों में सृजनात्मकता की प्रेरणा देने वाला प्रकृति का अनुपम वरदान है.
इस रचना में लेखक के अनुभव और यादों का जीवंत चित्रण है. यह पुस्तक लेखक की बहुआयामी प्रतिभा का परिचय देता है. एमपी वीरेंद्र कुमार का जन्म 15 अगस्त 1937 को हुआ था और लोहिया की विचारधारा से प्रभावित होकर वह समाजवादी बन गये. उन्हें लेखक, समाजसेवी, व्यवसायी और राजनीतिज्ञ के तौर पर जाना जाता है. वह इस वक्त राज्यसभा के सदस्य हैं.
सांस्कृतिक विरासत, भारतीय दर्शन और मानवीय मूल्यों को अपने लेखन के जरिये उभारने वाले लेखक को दिये जाने वाले मूर्तिदेवी पुरस्कार में सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और चार लाख रूपये की राशि प्रदान की जाती है. नामचीन लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार की रचनाओं का हिन्दी और अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है.
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