नई दिल्ली:
किताबों में पूरी दुनिया का ज्ञान छुपा होता है, लेकिन वर्तमान समय में किसी के पास किताब पढ़ने का टाइम नहीं है. हर कोई स्मार्टफोन में बिजी नजर आता है और अब यही आदत बच्चों में भी आने लगी है. बच्चे किताब छोड़ स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताते हैं. कहा जाता है कि किताबें हमेशा जिंदा रहती हैं और किताबों के अक्षर ज्ञान का प्रतीक हैं. किताबों से प्रेरणा लेकर इंसान किसी भी हालात का सामना कर सकता है. इसलिए बच्चों को किताबें पढ़ने की आदत डालें.
2 अप्रैल को इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स बुक डे के मौके पर हम बच्चों के लिए अलग-अलग विद्वानों द्वारा कही गईं ज्ञान की बातें बता रहे हैं जो बच्चों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं.
स्वामी विवेकानन्द : एक विचार लें. उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें. उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचार को जिए. आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो. और दुसरे सभी विचारों को छोड़ दे. यही सफ़लता का तरीका हैं.
अब्राहम लिंकन : हमेशा याद रखिये कि सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी और संकल्प से ज्यादा महत्त्व रखता है.
डेल कार्नेगी : असफलता से सफलता का सृजन कीजिए. निराशा और असफलता, सफलता के दो निश्चित आधार स्तम्भ हैं.
अल्बर्ट आइंस्टीन : सफल आदमी बनने के बजाय एक महत्वपूर्ण आदमी बनने की सोचिए.
नेपोलियन हिल : बोलने से पहले आपको दो बार सोचना चाहिए. क्योंकि आपके शब्द, किसी के मन में सफलता या असफलता के बीज बों सकते हैं.
गौत्तम बुद्ध : जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते.
अब्दुल कलाम : महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं.
चाणक्य : कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिए – मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें.
महात्मा गांधी : खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं.
रबिन्द्रनाथ टैगोर : हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं,एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी.
2 अप्रैल को इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स बुक डे के मौके पर हम बच्चों के लिए अलग-अलग विद्वानों द्वारा कही गईं ज्ञान की बातें बता रहे हैं जो बच्चों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं.
स्वामी विवेकानन्द : एक विचार लें. उस विचार को अपनी जिंदगी बना लें. उसके बारे में सोचिये, उसके सपने देखिये, उस विचार को जिए. आपका मन, आपकी मांसपेशिया, आपके शरीर का हर एक अंग, सभी उस विचार से भरपूर हो. और दुसरे सभी विचारों को छोड़ दे. यही सफ़लता का तरीका हैं.
अब्राहम लिंकन : हमेशा याद रखिये कि सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी और संकल्प से ज्यादा महत्त्व रखता है.
डेल कार्नेगी : असफलता से सफलता का सृजन कीजिए. निराशा और असफलता, सफलता के दो निश्चित आधार स्तम्भ हैं.
अल्बर्ट आइंस्टीन : सफल आदमी बनने के बजाय एक महत्वपूर्ण आदमी बनने की सोचिए.
नेपोलियन हिल : बोलने से पहले आपको दो बार सोचना चाहिए. क्योंकि आपके शब्द, किसी के मन में सफलता या असफलता के बीज बों सकते हैं.
गौत्तम बुद्ध : जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते.
अब्दुल कलाम : महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं.
चाणक्य : कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिए – मैं ये क्यों कर रहा हूं, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें.
महात्मा गांधी : खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं.
रबिन्द्रनाथ टैगोर : हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं,एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी.
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