सुरेंद्र मोहन पाठक
नई दिल्ली:
भारत के सबसे ज्यादा बिकने वाले क्राइम राइटर सुरेंद्र मोहन पाठक की आत्मकथा जल्द ही उनके चाहने वालों को पढ़ने को मिलेगी. उनकी आत्मकथा अंग्रेजी और हिंदी दोनों में नजर आएगी और यह वैस्टलैंड से प्रकाशित होगी. यह जनवरी 2018 तक बुकस्टोर्स पर उपलब्ध होगी. सुरेंद्र मोहन पाठक का मानना है, "यह मेरे जैसे मिस्ट्री राइटर के लिए बहुत ही अभूतपूर्व और यादगार है." वेस्टलैंड की मीनाक्षी ठाकुर का मानना है, "हम उनके साथ काम करने को लेकर बहुत खुश हैं और उनके छह दशक के जीवन तथा लेखन करियर को जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं. उनकी ये आत्मकथा उनके उपन्यासों की तरह ही रोमांचक होगी.”
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यूं बने थे लेखक
लेखक बनने से पहले सुरेंद्र मोहन पाठक इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज में काम करते थे. उस नौकरी से उन्हें महीने में सिर्फ दो सौ रुपये ही मिलते थे. उन्होंने अनुवाद से शुरुआत की और जेम्स हेडली चेइज को अनुवाद के लिए चुना. हालांकि नौकरी से पहले उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. उन्होंने जेम्स बॉन्ड के उपन्यासों का भी हिंदी में अनुवाद किया. उनकी पहली कहानी ‘57 साल पुराना आदमी’ 1959 में मनोहर कहानियां में छपी. सुनील सीरीज का उपन्यास उनका पहला उपन्यास था, और यह 1963 में पब्लिश हुआ था. यह उपन्यास पुराने गुनाह नए गुनहगार पत्रिका नीलम जासूस में प्रकाशित हुआ था. इसके बाद खोजी पत्रकार सुनील चक्रवर्ती को लेकर उन्होंने 100 किताबों की श्रृंखला की.
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पाठक सुधीर सीरीज में प्राइवेट डिटेक्टिव सुधीर कोहली को दूसरे नायक के रूप में सामने लाए. जीत श्रृंखला में उन्होंने एक चोर को नायक बनाया जिसने प्यार में धोखा खाकर इस रास्ते को अपनाया. सुरेंद्र मोहन पाठक के प्रिय उपन्यासों में विमल श्रृंखला है जिसमें नायक सरदार सुरेंद्र सिंह सोहल एक तेज दिमाग गैंगस्टर है. सुरेंद्र मोहन पाठक अब तक लगभग 300 उपन्यास लिख चुके हैं.
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यूं बने थे लेखक
लेखक बनने से पहले सुरेंद्र मोहन पाठक इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज में काम करते थे. उस नौकरी से उन्हें महीने में सिर्फ दो सौ रुपये ही मिलते थे. उन्होंने अनुवाद से शुरुआत की और जेम्स हेडली चेइज को अनुवाद के लिए चुना. हालांकि नौकरी से पहले उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था. उन्होंने जेम्स बॉन्ड के उपन्यासों का भी हिंदी में अनुवाद किया. उनकी पहली कहानी ‘57 साल पुराना आदमी’ 1959 में मनोहर कहानियां में छपी. सुनील सीरीज का उपन्यास उनका पहला उपन्यास था, और यह 1963 में पब्लिश हुआ था. यह उपन्यास पुराने गुनाह नए गुनहगार पत्रिका नीलम जासूस में प्रकाशित हुआ था. इसके बाद खोजी पत्रकार सुनील चक्रवर्ती को लेकर उन्होंने 100 किताबों की श्रृंखला की.
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पाठक सुधीर सीरीज में प्राइवेट डिटेक्टिव सुधीर कोहली को दूसरे नायक के रूप में सामने लाए. जीत श्रृंखला में उन्होंने एक चोर को नायक बनाया जिसने प्यार में धोखा खाकर इस रास्ते को अपनाया. सुरेंद्र मोहन पाठक के प्रिय उपन्यासों में विमल श्रृंखला है जिसमें नायक सरदार सुरेंद्र सिंह सोहल एक तेज दिमाग गैंगस्टर है. सुरेंद्र मोहन पाठक अब तक लगभग 300 उपन्यास लिख चुके हैं.
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