![Book Review: लड़की के लाखों रुपयों को लूटने वाले हैंडसम फ्रॉड की कहानी है सुरेंद्र मोहन पाठक की 'कॉनमैन' Book Review: लड़की के लाखों रुपयों को लूटने वाले हैंडसम फ्रॉड की कहानी है सुरेंद्र मोहन पाठक की 'कॉनमैन'](https://c.ndtvimg.com/etumdrn8_conman-writer-surender-mohan-pathak_625x300_24_July_18.jpg?downsize=773:435)
मशहूर उपन्यास लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक
नई दिल्ली:
'कॉनमैन' शब्द ही अपने आप में किताब की संक्षिप्त समीक्षा करते हुए बता रहा है कि मशहूर क्राइम लेखक सुरेंद्र मोहन पाठक की रोमांच पैदा कर देने वाली यह कहानी एक धोखेबाज शख्स पर आधारित है. लगभग 4 साल बाद सुनील सीरीज को वापस लाते हुए पाठक ने अपने पाठकों को चौंकाया है. पॉकेट बुक्स में अब तक कुल 299 उपन्यास प्रकाशित हो चुकी सुनील सीरीज की यह 122वीं श्रृंखला है. हालांकि सुरेंद्र मोहन पाठक की पुस्तक 'कॉनमैन' का अंग्रेजी संस्करण 'द डेथ ऑफ अ कॉनमैन' भी आ चुका है. सुनील सीरीज में यह खास बात होती है कि नेशनल डेली 'ब्लास्ट' में चीफ रिपोर्टर यानी एक पत्रकार के रूप में सुनील चक्रवर्ती अपने चालबाज दिमाग और अतरंगे सवालों से न सिर्फ क्राइम केस को अंजाम तक पहुंचाते हैं बल्कि कई गुत्थियां सुलझाते हैं. इस बार सुनील 'कॉनमैन' के जरिए एक ऐसे फ्रॉड शख्स को दबोचने के फिराक में है, जो अपने हैंडसम हंक लुक की वजह से एक खूबसूरत महिला को लाखों रुपए का चूना लगा देता है.
कहानी की शुरुआत एक पंजाबी भाषा बोलने और मस्ती-मजाक करने वाले स्थानीय यूथ क्लब का मालिक रमाकान्त मल्होत्रा से शुरू होती है, जो अपने साथ एक महिला को लेकर सुबह-सुबह अपने दोस्त सुनील के पास मिलने के लिए पहुंचता है. रमाकान्त के साथ आई तीखे नयननक्श, नौजवान और जींस पहनी हुई लड़की कियारा सोबती एक पब्लिकेशन हाउस में एडिटर के पद पर रहती हैं. वह एक शख्स से धोखा खाने के बाद पत्रकार सुनील के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचती है. यहां सुनील उसकी सारी समस्या सुनता है. कियारा अपनी फ्रॉड में फंसने की कहानी शुरू करती है.
उसकी सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए एक शख्स से मुलाकात होती है. जिसका नाम आदित्य खन्ना होता है, जो न्यूयॉर्क के एक नामचीन बैंक में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर रहा होता है. फिर धीरे-धीरे वह फोन से बातचीत करते-करते कियारा से काफी नजदीक आ जाता है और मिलने के लिए मुंबई तक पहुंच आता है. मुंबई में वह कियारा से मिलता है. आदित्य उससे प्यार भरी बातें तो करता है, लेकिन कियारा को छूता तक भी नहीं. जबकि कियारा उसके करीब आने के लिए काफी उत्सुक रहती है. इसके बाद वह कियारा से शादी करने और न्यूयॉर्क छोड़कर करोड़ों रुपए लेकर वापस आने का वादा करता है.
न्यूयॉर्क से लौटने से पहले आदित्य खन्ना अपने नाम सारे गोल्ड बिस्किट, जेवर, नकद डॉलर और सिक्योरिटी बांड एक कंसाइनमेंट से इंडिया भेजता है और इसकी एक कॉपी कियारा को मेल के जरिए भेजता है. यहां पर आदित्य फोन करके यह बताता है कि ड्यूटी की कमी के कारण कंसाइनमेंट को रोक दिया गया है. इसके बाद वह कियारा से कंसाइनमेंट को ड्यूटी से छुड़ाने के लिए रिक्वेस्ट करता है और आदित्य साझे में आकर वह अपने जायदाद के लगभग 19 लाख रुपए दे देती है. चौंकाने वाली बात तो तब सामने आती है जब कियारा कस्टम विभाग जाकर कंसाइनमेंट लेने पहुंचती है और वहां उसे पता चलता है कि ऐसा कोई कंसाइनमेंट आया ही नहीं.
यहीं नहीं, धोखा खाने के बाद आदित्य की उससे संयोग से दोबारा राजनगर के एक होटल में मुलाकात हो जाती है, लेकिन वह अपनी फ्रेंच वाली दाढ़ी में नहीं बल्कि क्लीन शेव रहता है. आदित्य उसे पहचानने से बिलकुल इनकार कर देता है. इसके बाद लगभग 6 महीने बाद पुलिस उसके दरवाजे पर आदित्य खन्ना के खून के सिलसिले में हाजिर हो जाती है. 'कॉनमैन' की इस कहानी में कई बार ऐसे चौंकाने वाले ट्विस्ट आते हैं, जिसपर आप अगर लेटे होंगे तो उठकर बैठ जाएंगे.
क्राइम कहानी के बीच आपको रमाकान्त की बातें बीच-बीच में न सिर्फ गुदगुदाएंगे, बल्कि अतरंगी शब्दों को दोबारा पढ़ने के लिए भी मजबूर करेगा. रमाकांत के किरदार से कई बार 'मोतियांवालयो', 'सोहनयो', 'माईंयवा' जैसे शब्द बोलते हुए पाएंगे. फिलहाल सुरेंद्र मोहन पाठक को ऐसे ही नहीं क्राइम उपन्यास के बादशाह कहा जाता है. उन्होंने अपने ऐसी कहानियों के जरिए पाठकों को हमेशा से बांधे रखा है.
पुस्तक : कॉनमैन
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक
प्रकाशक : वेस्टलैंड पब्लिकेशन प्रा.लि.
कीमत : 175/-
समीक्षक: अलकेष कुशवाहा
कहानी की शुरुआत एक पंजाबी भाषा बोलने और मस्ती-मजाक करने वाले स्थानीय यूथ क्लब का मालिक रमाकान्त मल्होत्रा से शुरू होती है, जो अपने साथ एक महिला को लेकर सुबह-सुबह अपने दोस्त सुनील के पास मिलने के लिए पहुंचता है. रमाकान्त के साथ आई तीखे नयननक्श, नौजवान और जींस पहनी हुई लड़की कियारा सोबती एक पब्लिकेशन हाउस में एडिटर के पद पर रहती हैं. वह एक शख्स से धोखा खाने के बाद पत्रकार सुनील के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचती है. यहां सुनील उसकी सारी समस्या सुनता है. कियारा अपनी फ्रॉड में फंसने की कहानी शुरू करती है.
उसकी सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए एक शख्स से मुलाकात होती है. जिसका नाम आदित्य खन्ना होता है, जो न्यूयॉर्क के एक नामचीन बैंक में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर रहा होता है. फिर धीरे-धीरे वह फोन से बातचीत करते-करते कियारा से काफी नजदीक आ जाता है और मिलने के लिए मुंबई तक पहुंच आता है. मुंबई में वह कियारा से मिलता है. आदित्य उससे प्यार भरी बातें तो करता है, लेकिन कियारा को छूता तक भी नहीं. जबकि कियारा उसके करीब आने के लिए काफी उत्सुक रहती है. इसके बाद वह कियारा से शादी करने और न्यूयॉर्क छोड़कर करोड़ों रुपए लेकर वापस आने का वादा करता है.
न्यूयॉर्क से लौटने से पहले आदित्य खन्ना अपने नाम सारे गोल्ड बिस्किट, जेवर, नकद डॉलर और सिक्योरिटी बांड एक कंसाइनमेंट से इंडिया भेजता है और इसकी एक कॉपी कियारा को मेल के जरिए भेजता है. यहां पर आदित्य फोन करके यह बताता है कि ड्यूटी की कमी के कारण कंसाइनमेंट को रोक दिया गया है. इसके बाद वह कियारा से कंसाइनमेंट को ड्यूटी से छुड़ाने के लिए रिक्वेस्ट करता है और आदित्य साझे में आकर वह अपने जायदाद के लगभग 19 लाख रुपए दे देती है. चौंकाने वाली बात तो तब सामने आती है जब कियारा कस्टम विभाग जाकर कंसाइनमेंट लेने पहुंचती है और वहां उसे पता चलता है कि ऐसा कोई कंसाइनमेंट आया ही नहीं.
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— Westland Books (@WestlandBooks) June 2, 2018
यहीं नहीं, धोखा खाने के बाद आदित्य की उससे संयोग से दोबारा राजनगर के एक होटल में मुलाकात हो जाती है, लेकिन वह अपनी फ्रेंच वाली दाढ़ी में नहीं बल्कि क्लीन शेव रहता है. आदित्य उसे पहचानने से बिलकुल इनकार कर देता है. इसके बाद लगभग 6 महीने बाद पुलिस उसके दरवाजे पर आदित्य खन्ना के खून के सिलसिले में हाजिर हो जाती है. 'कॉनमैन' की इस कहानी में कई बार ऐसे चौंकाने वाले ट्विस्ट आते हैं, जिसपर आप अगर लेटे होंगे तो उठकर बैठ जाएंगे.
क्राइम कहानी के बीच आपको रमाकान्त की बातें बीच-बीच में न सिर्फ गुदगुदाएंगे, बल्कि अतरंगी शब्दों को दोबारा पढ़ने के लिए भी मजबूर करेगा. रमाकांत के किरदार से कई बार 'मोतियांवालयो', 'सोहनयो', 'माईंयवा' जैसे शब्द बोलते हुए पाएंगे. फिलहाल सुरेंद्र मोहन पाठक को ऐसे ही नहीं क्राइम उपन्यास के बादशाह कहा जाता है. उन्होंने अपने ऐसी कहानियों के जरिए पाठकों को हमेशा से बांधे रखा है.
पुस्तक : कॉनमैन
लेखक : सुरेंद्र मोहन पाठक
प्रकाशक : वेस्टलैंड पब्लिकेशन प्रा.लि.
कीमत : 175/-
समीक्षक: अलकेष कुशवाहा
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