
नई दिल्ली:
5 सितंबर 2017 की सुबह. मैं अमेरिका के अपने घर में बैठा हुआ था. फोन पर दूसरी तरफ बेंगलुरु से मेरी थीं. उन्होंने सुबकते हुए कहा, 'गौरी को गोली मार दी...टीवी पर भी यही दिखा रहे हैं' मेरी के फोन से पहले एक अन्य दोस्त ने भी दिल्ली से मुझे यही सूचना दी थी और अब मेरी के फोन से यह कन्फर्म हो गया था. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था...गौरी चली गई...इस तरह! उसे किसने मारा होगा, आखिर क्या दुश्मनी रही होगी? गौरी मेरी पूर्व पत्नी तो थी हीं, उससे कहीं ज्यादा अज़ीज दोस्त थीं. मैं अचानक अतीत में गोते लगाने लगा...गौरी लंकेश की हत्या को पिछले महीने ही एक साल पूरे हुए हैं. वरिष्ठ पत्रकार और गौरी लंकेश के पूर्व पति चिदानंद राजघाटा ने हाल ही में प्रकाशित अपनी किताब ''इलिब्रल इंडिया'' (Illiberal India) में गौरी से अपने रिश्ते के बारे में तो विस्तार से लिखा ही है. साथ ही हत्या के पीछे के कारणों को भी तलाशने की कोशिश की है. वेस्टलैंड बुक्स से प्रकाशित इस किताब में उन्होंने गौरी के व्यक्तित्व और मान्यताओं को भी अलग-अलग संदर्भ में समझने की कोशिश की है और उस पर भी तफसील से प्रकाश डाला है.
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हत्या से 4 महीने पहले किया था फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट
यूं तो गौरी लंकेश और चिदानंद राजघाटा शादी के कुछ सालों बाद ही अलग हो गए थे, लेकिन वे हमेशा अच्छे दोस्त रहे. तलाक के करीब 4 साल बाद चिदानंद राजघाटा अमेरिका बस गए, लेकिन गौरी से बातचीत जारी रही. वह लिखते, 'मैंने कई वर्षों तक फेसबुक पर गौरी के फ्रेंड रिक्वेस्ट को इग्नोर किया, क्योंकि वह बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी. मुझे इससे डर लगता था. अंतत: मई 2017 में मैंने उसके फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लिया. हालांकि मैंने गौरी को कहा कि यहां कोई राजनैतिक चर्चा/बहस नहीं करेंगे...उसने लिखा...वादा नहीं कर सकती. फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के 4 महीनों के अंदर ही गौरी की हत्या कर दी गई.
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निधन के बाद किया गया ट्रोल
चिदानंद राजघाटा अपनी किताब में इस बात का भी जिक्र करते हैं कि गौरी लंकेश के निधन के बाद किस तरह उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया. लोगों ने गौरी और उनके संबंधों पर तरह-तरह के सवाल उठाए और इसे अपने तरीके से जस्टीफाई करने का प्रयास किया. राजघाटा अपनी किताब में ट्रोल अार्मी को जवाब देते हुए लिखते हैं, '' हालांकि हम लोग युवा और थोड़े नासमझ थे, लेकिन हमेशा एक दूसरे का सम्मान किया''.
किताब : 'इलिब्रल इंडिया'' (Illiberal India)
लेखक : चिदानंद राजघाटा
प्रकाशक : वेस्टलैंड बुक्स
दाम : 499 रुपये (हार्ड बाउंड)
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यूं तो गौरी लंकेश और चिदानंद राजघाटा शादी के कुछ सालों बाद ही अलग हो गए थे, लेकिन वे हमेशा अच्छे दोस्त रहे. तलाक के करीब 4 साल बाद चिदानंद राजघाटा अमेरिका बस गए, लेकिन गौरी से बातचीत जारी रही. वह लिखते, 'मैंने कई वर्षों तक फेसबुक पर गौरी के फ्रेंड रिक्वेस्ट को इग्नोर किया, क्योंकि वह बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी. मुझे इससे डर लगता था. अंतत: मई 2017 में मैंने उसके फ्रेंड रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लिया. हालांकि मैंने गौरी को कहा कि यहां कोई राजनैतिक चर्चा/बहस नहीं करेंगे...उसने लिखा...वादा नहीं कर सकती. फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने के 4 महीनों के अंदर ही गौरी की हत्या कर दी गई.
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किताब : 'इलिब्रल इंडिया'' (Illiberal India)
लेखक : चिदानंद राजघाटा
प्रकाशक : वेस्टलैंड बुक्स
दाम : 499 रुपये (हार्ड बाउंड)
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