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श्रीकांत पांगारकर के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में क्यों आया उबाल और शिवसेना को पलटना पड़ा फैसला

Gauri Lankesh Case: गौरी लंकेश केस एक बार फिर चर्चा में है. इस हत्याकांड के आरोपी को शिवसेना ने पहले अपनी पार्टी में शामिल कराया और फिर इसे स्थगित कर दिया. जानिए क्या है कारण..

श्रीकांत पांगारकर के कारण महाराष्ट्र की राजनीति में क्यों आया उबाल और शिवसेना को पलटना पड़ा फैसला
एकनाश शिंदे की पार्टी ने श्रीकांत को शामिल करने के फैसले को स्थगित कर दिया है.

महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम हुआ है. आज ही गौरी लंकेश (Gauri Lankesh) हत्याकांड के आरोपी श्रीकांत पांगारकर (Shrikant Pangarkar) को शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) में शामिल किया गया. इसके बाद विपक्ष की तरफ से जोरदार हमला हुआ. विवाद के बाद शिवसेना की तरफ से पत्र जारी कर बताया गया कि श्रीकांत पांगारकर की नियुक्ति के आदेश को स्थगित कर दिया गया है. 

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महाराष्ट्र के जलना में गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी श्रीकांत पांगारकर को आज बड़े धूमधाम से शिवसेना (Shivsena) में शामिल कराया गया. इसके साथ ही पांगारकर को जलना विधानसभा का चुनावी प्रभारी भी बना दिया गया. शिवसेना ने इस मामले में अपना रुख साफ करते हुए यहां तक कह दिया कि पांगारकर के आरोपों को लेकर फैलाए जा रहे नैरेटिव को वो खारिज करते हैं. पार्टी की ओर से कहा गया कि SIT की जांच और अदालत के फैसले के बाद पांगारकर पर कोई आरोप नहीं बचता है.

शिवसेना प्रवक्ता अरुण सावंत ने कहा कि गौरी लंकेश हत्या मामले में SIT और कोर्ट ने श्रीकांत पांगारकर को क्लीन चिट दी है और उसे निर्दोष साबित किया है. इसके बावजूद विपक्ष द्वारा गलत राजनीति की जा रही है. विपक्ष द्वारा फेक नरेटिव फैलाया जा रहा है.वहीं पांगारकर की वापसी पर विपक्षी दलों ने शिवसेना पर तीखा हमला बोला. शिवसेना (यूबीटी) के आनंद दुबे ने कहा कि हमने इस आरोपी को अपने शिवसेना पार्टी से बहुत पहले निकाल दिया था. गौरी लंकेश की हत्या में यह जेल जाकर आ चुका है और अब इसे शिवसेना ने दोबारा अपने पार्टी में लिया. ये सिर्फ शिवसेना की नीति और नीयत का पता देता है. उसे पार्टी में सिर्फ चुनाव जीतने के लिए लिया गया है. इस पार्टी को लोगों के भलाई या राज्य की कोई चिंता नहीं, बल्कि अपने जीत का लालच है.

श्रीकांत पांगारकर को 2017 में गौरी लंकेश की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था.एसआईटी की जांच में पता चला था कि पांगारकर हत्या के मुख्य साजिशकर्ता अमोल काले के लगातार संपर्क में थे.पांगारकर को 2018 के हथियार जब्ती और सनबर्न फेस्टिवल को निशाना बनाने की साजिश के मामले में भी शामिल किया गया था.इस साल अगस्त और सितंबर में बॉम्बे हाई कोर्ट और कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें सबूतों की कमी के कारण राहत दी है.

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