खुशवंत सिंह की पुस्तक 'कैप्टन अमरिंदर सिंह : द पीपल्स महाराजा' का कवर...
2006 के आखिर में विकास यात्रा को बीच में ही छोड़कर वह तीन दिन की ट्रिप के लिए अजमेर पहुंचे. उनके इस हॉलीडे ट्रिप में कुछ पाकिस्तानी दोस्त भी थे. उनमें से एक आकर्षक 50 साल की पत्रकार अरूसा आलम भी थीं. वह उसी साल उनसे जालंधर में साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन (SAFMA) फंक्शन में भी मिल चुके थे. उसमें अरूसा SAFMA की इस्लामाबाद चैप्टर की मुखिया थीं. उस मीटिंग के बाद उनके बीच दोस्ती के ताल्लुकात आने वाले वर्षों में बढ़ते गए. जाहिर तौर से इस दोस्ती से दोनों देशों में बवंडर खड़ा हो गया.
हालांकि यह भी सही है कि निजी जिंदगी में वह इससे पहले भी इस तरह के विवाद का सामना कर चुके थे (1990 के दशक में). उस दौर में भी एक महिला पायलट के साथ कथित रूप से उनके संबंध सुर्खियों का सबब बने थे. अमरिंदर ने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. अमरिंदर को करीब से जानने वाले इस बात से सहमत होंगे कि कठिन से कठिन समस्याओं का सामना सीधे तौर पर करने की उनकी काबिलियत है. भले ही उसके लिए उनको निजी या राजनीतिक स्तर पर बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. इसका आने वाले वर्षों में उनको खामियाजा भी उठाना पड़ा.
अरूसा के मसले पर अखबारों, कुछ टीवी चैनलों की सुर्खियों और राजनीतिक चर्चाओं के बीच उनके परिवार के भीतर भी नाराजगी के स्वर उभरे क्योंकि वे इस बात से आहत थे कि कैप्टन और उनके बीच दूरी बढ़ रही है. हालांकि बाद में उनकी बढ़ती करीबी का परिवार, खानदान और दोस्तों में से जिसने भी विरोध किया था, उनमें से हरेक के साथ उन्होंने अपने कार्यों के जरिये अपने रिश्तों को फिर से दुरुस्त किया...
...अमरिंदर का अपने दोस्तों के साथ पंजाब से अचानक गायब होकर अजमेर शरीफ दरगाह जाना और पंजाब में कोहरे की दशाओं के कारण (क्योंकि एयरक्राफ्ट नहीं उतर सकता था) उनकी यात्रा के एक दिन और बढ़ने से अकालियों को मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधने का मौका मिल गया...
खुशवंत सिंह की पुस्तक 'कैप्टन अमरिंदर सिंह : द पीपल्स महाराजा' के अंश. पुस्तक हे हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित. अंश प्रकाशित करने की अनुमति हे हाउस इंडिया द्वारा. स्टोरों में तथा ऑनलाइन उपलब्ध.
हालांकि यह भी सही है कि निजी जिंदगी में वह इससे पहले भी इस तरह के विवाद का सामना कर चुके थे (1990 के दशक में). उस दौर में भी एक महिला पायलट के साथ कथित रूप से उनके संबंध सुर्खियों का सबब बने थे. अमरिंदर ने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. अमरिंदर को करीब से जानने वाले इस बात से सहमत होंगे कि कठिन से कठिन समस्याओं का सामना सीधे तौर पर करने की उनकी काबिलियत है. भले ही उसके लिए उनको निजी या राजनीतिक स्तर पर बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. इसका आने वाले वर्षों में उनको खामियाजा भी उठाना पड़ा.
अरूसा के मसले पर अखबारों, कुछ टीवी चैनलों की सुर्खियों और राजनीतिक चर्चाओं के बीच उनके परिवार के भीतर भी नाराजगी के स्वर उभरे क्योंकि वे इस बात से आहत थे कि कैप्टन और उनके बीच दूरी बढ़ रही है. हालांकि बाद में उनकी बढ़ती करीबी का परिवार, खानदान और दोस्तों में से जिसने भी विरोध किया था, उनमें से हरेक के साथ उन्होंने अपने कार्यों के जरिये अपने रिश्तों को फिर से दुरुस्त किया...
...अमरिंदर का अपने दोस्तों के साथ पंजाब से अचानक गायब होकर अजमेर शरीफ दरगाह जाना और पंजाब में कोहरे की दशाओं के कारण (क्योंकि एयरक्राफ्ट नहीं उतर सकता था) उनकी यात्रा के एक दिन और बढ़ने से अकालियों को मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधने का मौका मिल गया...
खुशवंत सिंह की पुस्तक 'कैप्टन अमरिंदर सिंह : द पीपल्स महाराजा' के अंश. पुस्तक हे हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित. अंश प्रकाशित करने की अनुमति हे हाउस इंडिया द्वारा. स्टोरों में तथा ऑनलाइन उपलब्ध.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं