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आपके बच्चे को जरूर पता होनी चाहिए गीता में लिखीं ये 5 बातें, साइकोलोजिस्ट ने कहा- आज ही सिखा दें

What does the Bhagavad Gita say about parenting: चाइल्ड साइकोलोजिस्ट श्वेता गांधी कहती हैं, हर पेरेंट्स को अपने बच्चे को गीता में लिखी ये 5 बातें जरूर सिखानी चाहिए. ये बातें न सिर्फ उनकी पर्सनैलिटी को मजबूत बनाएंगी, बल्कि उन्हें बेहतर इंसान बनने में भी मदद करेंगी. आइए जानते हैं इनके बारे में-

आपके बच्चे को जरूर पता होनी चाहिए गीता में लिखीं ये 5 बातें, साइकोलोजिस्ट ने कहा- आज ही सिखा दें
बच्चे को जरूर बताएं गीता में लिखी ये 5 बातें

Parenting Tips: आज की तेज रफ्तार जिंदगी का असर बड़ों के साथ-साथ बच्चों पर भी देखने के लिए मिल रहा है. वे पढ़ाई, कंपटीशन और सोशल प्रेशर के बोझ के तलते दबते जा रहे हैं. ऐसे में पेरेंट्स का बच्चों को सही शिक्षा देना या बच्चे को सही तरीके से गाइड करना बेहद जरूरी है. इसी कड़ी में चाइल्ड साइकोलोजिस्ट श्वेता गांधी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की है. इस पोस्ट में उन्होंने भगवद्गीता की पांच अनमोल बातें बताई की हैं. श्वेता गांधी कहती हैं, हर पेरेंट्स को अपने बच्चे को गीता में लिखी ये 5 बातें जरूर सिखानी चाहिए.  ये बातें न सिर्फ उनकी पर्सनैलिटी को मजबूत बनाएंगी, बल्कि उन्हें बेहतर इंसान बनने में भी मदद करेंगी. आइए जानते हैं इनके बारे में- 

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नंबर 1- मेहनत पर ध्यान दो, रिजल्ट पर नहीं

चाइल्ड साइकोलोजिस्ट कहती हैं, अपने बच्चे को सिखाएं कि 'कर्म करो, फल की चिंता मत करो'. उन्हें ये बताया जरूरी है कि उनकी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी मेहनत पर है. रिजल्ट उनके हाथ में नहीं होता. जब बच्चे मेहनत पर ध्यान लगाना सीख जाते हैं, तो वे तनाव कम महसूस करते हैं और अपनी पढ़ाई या किसी भी काम को और बेहतर तरीके से करने की कोशिश करते हैं.

नंबर 2- हर स्थिति में शांत रहो

जीवन में जीत और हार दोनों आती हैं. बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि जीत मिल जाए तो बहुत ज्यादा खुश न हों और हार मिल जाए तो दुख में न डूबें. संतुलित रहना ही असली ताकत है. इससे बच्चा भावनाओं पर नियंत्रण करना सीखता है और मुश्किल समय में भी शांत रहकर सही फैसला ले पाता है.

नंबर 3- सच बोलो और दयालु बनो

ईमानदारी और दया दो ऐसे गुण हैं, जो किसी भी इंसान को अंदर से मजबूत बनाते हैं. बच्चों में ये आदतें शुरू से डालनी चाहिए. उन्हें समझाएं कि सच बोलना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यही सही रास्ता है. साथ ही, दूसरों के लिए दयालु होना बच्चे को अच्छे रिश्ते बनाने और संवेदनशील बनने में मदद करता है.

नंबर 4- मन और भावनाओं पर कंट्रोल

अगर बच्चे अपनी भावनाओं को समझना सीख जाएं, तो वे गुस्सा, जलन या डर जैसी चीजों से आसानी से बाहर आ सकते हैं. उन्हें यह सिखाना चाहिए कि प्रतिक्रिया देने से पहले थोड़ा रुकें, सोचें और फिर जवाब दें. ये आदत उनके पूरे जीवन में काम आएगी.

नंबर 5- हर व्यक्ति में अच्छाई देखें

दुनिया में हर इंसान अलग है. बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि सभी का सम्मान करें. हर व्यक्ति में कुछ न कुछ अच्छा होता है और उससे कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. यह सोच उन्हें विनम्र, खुले विचारों वाला और सामाजिक बनाने में मदद करेगी.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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