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छिपकली की पूंछ से लेकर Condom तक! इन घिनौनी चीजों से नशा करते हैं लोग

नशे की दुनिया में लोग किस हद तक जा सकते हैं, यह खबर बताती है। कुछ लोग lizard tail intoxication, scorpion smoking, condom boiling addiction, snake venom drug use, dreamfish hallucination और datura poisoning effects जैसे खतरनाक और घिनौने तरीकों से नशा करते हैं.

छिपकली की पूंछ से लेकर Condom तक! इन घिनौनी चीजों से नशा करते हैं लोग

Weird Addiction Trends: नशे की दुनिया कितनी अजीब और खतरनाक हो सकती है, इसका अंदाजा हम अक्सर शराब, सिगरेट, गांजा या ड्रग्स तक ही लगाते हैं. लेकिन हकीकत इससे कहीं ज्यादा डरावनी है. दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो नशे के लिए छिपकली की पूंछ, बिच्छू, कंडोम, सांप का जहर और यहां तक कि कुछ मछलियों तक का सहारा लेते हैं.

यह सुनकर घिन भी आती है और हैरानी भी होती है कि इंसान नशे के लिए किस हद तक जा सकता है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ बेहद विचित्र और खतरनाक नशों के बारे में...

बिच्छू से नशा

कुछ जगहों पर अफीम की लत छोड़ने की कोशिश कर रहे लोग बिच्छू को एक विकल्प की तरह इस्तेमाल करते हैं. मरे हुए बिच्छू को धूप में सुखाया जाता है, फिर उसे कोयले पर जलाकर उसका धुआं अंदर लिया जाता है. खासकर उसकी पूंछ में मौजूद जहर को नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

कई लोग जली हुई पूंछ को हशीश और तंबाकू के साथ मिलाकर सिगरेट में भी पीते हैं. इसका असर करीब 10 घंटे तक रहता है, जिसमें शुरुआती छह घंटे बेहद दर्दनाक बताए जाते हैं. धीरे‑धीरे इसकी लत लगने पर वहम और याददाश्त पर भी बुरा असर पड़ता है.

छिपकली की पूंछ का इस्तेमाल

भारत में कई मामलों में लोग छिपकली की पूंछ को सुखाकर बीड़ी या सिगरेट में पीते पाए गए हैं. एक कैदी ने बताया था कि वह छिपकलियों को मारकर उनकी पूंछ काटता, धूप में सुखाता और फिर जले हुए हिस्से को बीड़ी में भरकर पीता था. उसके अनुसार, इससे उसे तुरंत नशा महसूस होता था, बिल्कुल गांजे जैसा. उसने यह आदत जेल के अन्य कैदियों से सीखी थी, जो पहले से ही छिपकली की पूंछ का पाउडर नशे के लिए इस्तेमाल करते थे.

कंडोम से नशा कैसे होता है

पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में कंडोम की अचानक बढ़ती मांग ने सभी को चौंका दिया था. बाद में पता चला कि कई युवा कंडोम को उबालकर उसकी भाप लेते थे. कंडोम में मौजूद एरोमैटिक कंपाउंड उबालने पर टूटते हैं और उनकी भाप लेने से नशे जैसा असर होता है. डॉक्टरों के अनुसार यह तरीका बेहद खतरनाक है और शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. कई घंटों तक नशे में रहने वाले युवा इस बात को समझ ही नहीं पाते कि वे अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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सांप के जहर का नशा

भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ इलाकों में सांप के ज़हर का नशा भी देखा गया है. नशेड़ी सपेरों या आदिवासी लोगों के जरिए सांप से कटवाते हैं. इसके लिए खास जगहें बनाई जाती हैं, जहां लोग कुर्सियों पर बैठते हैं और सांप उन्हें काटता है. शुरुआत में सांप उंगली या पैर के अंगूठे पर काटता है, फिर होंठ, जीभ या कान के लोब पर भी काटा जाता है. इस प्रक्रिया को बेहद खतरनाक माना जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे नशे के रूप में अपनाते हैं.

ड्रीमफ़िश का असर

कुछ खास मछलियां, जैसे सर्पा सालपा, खाने के बाद अजीब तरह के वहम और भ्रम पैदा करती हैं. इस असर को इचथियोएलीइनोटॉक्सिज़्म कहा जाता है. इन मछलियों में मौजूद टॉक्सिन नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं और LSD जैसे प्रभाव पैदा करते हैं. बताया जाता है कि मछली खाने के कुछ ही मिनटों में यह असर शुरू हो जाता है और लगभग 36 घंटे तक बना रहता है. कई लोगों ने इसे बेहद परेशान करने वाला अनुभव बताया है.

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धतूरा का खतरनाक नशा

धतूरा एक ऐसा पौधा है जिसमें साइकोएक्टिव और एंटीकोलिनर्जिक गुण पाए जाते हैं. इसकी लगभग सभी किस्में जहरीली होती हैं, लेकिन कई लोग इसे नशे के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं. धतूरा में मौजूद स्कोपोलामाइन और एट्रोपिन जैसे एल्कलॉइड गंभीर भ्रम, वहम और सपनों जैसे अनुभव पैदा करते हैं. यह नशा शरीर और दिमाग दोनों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है.

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