
Dussehra 2025: देशभर में दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है, जिसमें भगवान राम की पूजा की जाती है और रावण का अंत होता है. राम को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है और रावण बुराई का... इसीलिए बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न रावण दहन कर मनाया जाता है. जब रावण के पुतले को जलाया जाता है तो जय श्रीराम के नारे गूंजने लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण के देश श्रीलंका में लोग दशहरा कैसे मनाते हैं और इस दिन किसकी पूजा होती है? आइए हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं.
श्रीलंका में था रावण का महल
श्रीलंका में ही रावण की सोने की लंका थी, यहां सिगिरिया को ही रावण की लंका वाली जगह के तौर पर जाना जाता है. हर साल हजारों पर्यटक यहां पहुंचते हैं. अशोक वाटिका से लेकर बाकी चीजें यहां दिखाई जाती हैं. श्रीलंका में रावण जैसे विद्वान का जन्म हुआ, ऐसे में यहां के कुछ लोग रावण का काफी सम्मान करते हैं और उसे पूज्य भी मानते हैं.
दशहरे पर रावण के साथ दो लोग कौन होते हैं? जिनका हर बार जलाया जाता है पुतला
किसकी होती है पूजा?
श्रीलंका के लोग भी दशहरा मनाते हैं ओर इस दिन दीप और लाइट्स जलाकर भगवान राम को याद किया जाता है. हालांकि यहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता है. यहां भी ज्यादार लोग इस दिन को अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर मनाते हैं. श्रीलंका में भी भगवान राम के कई मंदिर हैं, जिनमें रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. दशहरे के मौके पर भी इनमें भीड़ होती है. दशहरे का त्योहार श्रीलंका में वैसा नहीं मनाया जाता है, जैसे भारत में होता है. हालांकि लोग एक दूसरे को मिठाई बांटते हैं और घर पर रोशनी करते हैं.
भारत में रावण दहन और मेला
भारत के लगभग सभी हिस्सों में दशहरे के मौके पर मेले लगते हैं, ये मेले कई दिन पहले से लग जाते हैं और इनमें रामलीला का आयोजन भी होता है. 9 दिन के बाद 10वें दिन दशहरा मनाया जाता है और इसी दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं. इस दिन हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं और पुतले के रूप में खड़े रावण के अंत को देखते हैं.
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