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This Article is From May 30, 2016

हैदराबाद के कप्तान वार्नर ने अपनी कप्तानी से ट्रॉफी जीती और दिल भी...

हैदराबाद के कप्तान वार्नर ने अपनी कप्तानी से ट्रॉफी जीती और दिल भी...
डेविड वार्नर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: कहते हैं कि दूसरे नंबर पर रहने वाला हमेशा इम्तिहान में ज्यादा मेहनत करता है और गलतियों से सबक सीखता है। और जिसने ऐसा कर लिया कामयाबी उसके कदम चूमती है। ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है कि सनराइजर्स हैदराबाद के कप्तान डेविड वार्नर के बारे में। वार्नर ने अपने दम पर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को उनके ही अपने मैदान पर हरा दिया। इस आईपीएल 9 के फाइनल मैच में वार्नर की कप्तानी और सूझबूझ ने एक हारता हुआ मैच जिता दिया।

इस आईपीएल के टॉप गेंदबाजों की बात हो या फिर टॉप बल्लेबाजों की बात हो, फाइनल में पहुंचने वाली टीमों के खिलाड़ी टॉप पर रहे। टॉप पोजीशन के मामले में विराट कोहली के बल्लेबाज और गेंदबाजों ने ज्यादा सीटें जीतीं, लेकिन फाइनल में यह जानते हुए भी वार्नर ने जीत हासिल की।

डेविड वार्नर खुद मेहनती हैं जो मैदान पर उनकी बॉडी लैंग्वेज में दिखाई भी देता है। उनकी संजीदगी भी कुछ ऐसी है कि लोग उनके दीवाने हो गए हैं।

टॉस पर बैटिंग का निर्णय
इस आईपीएल सीजन में यह देखा गया कि आरसीबी ने अच्छा चेज किया और उसकी बैटिंग लाइन अप सबसे मजबूद मानी जा रही थी। वहीं सनराइजर्स की बॉलिंग लाइन अप को काफी मजबूत समझा जा रहा था। लेकिन टॉस जीतने के बाद बैटिंग का निर्णय करना वार्नर की समझदारी ही कही जाएगा। एक मजबूत बैटिंग टीम को चेज करने के लिए मजबूर करना और अपने गेंदबाजों पर इतना भरोसा एक कप्तान ही कर सकता था। उनका पहले बैटिंग करने का निर्णय मैच की  जीत में अहम साबित हुआ।

अपने टेलएंडर्स पर वार्नर का भरोसा
आईपीएल के फाइनल मैच का प्रेशर कैसे विपक्षी टीम पर डालना है यह सब गणित वार्नर ने पहले ही लगा लिया था। वार्नर को मालूम था कि उनकी टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों में इतना दम है कि वे अंतिम ओवरों में 50-60 रन स्कोर कर सकते हैं। वार्नर का यह दांव में कामयाब रहा। वार्नर को कटिंग और दीपक हूडा से काफी उम्मीदें थीं। वार्नर यह मानकर चल रहे थे कि 200 के करीब का आंकड़ा उनकी टीम को जिताने के लिए काफी होगा। उन्हें अपने गेंदबाजों का भी सही से अंदाजा था। उनकी फिरकी से लेकर रफ्तार की समझ और एक कप्तान तथा गेंदबाज के बीच का तालमेल काफी अहम साबित हुआ।

फाइनल मैच का प्रेशर झेलना सभी के बस की बात नहीं
पहले बैटिंग करते हुए हैदराबाद ने इस सीजन का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया। ये अलग बात है कि बेंगलोर को फाइनल मैच के लिए दिया गया यह स्कोर काफी नहीं जान पड़ रहा था क्योंकि बेंगलोर एक अच्छा चेजर साबित हुआ था। लेकिन वार्नर को मालूम था कि फाइनल मैच का प्रेशर झेलना सभी के बस की बात नहीं है। उनका सोचना सही साबित हुआ। क्रिस गेल और विराट के आउट होने के बाद बेंगलोर की टीम लड़खड़ा गई और जीत के लिए जरूरी लक्ष्य से पीछे रह गई है।

वार्नर एक परिपक्व खिलाड़ी हैं
कहा जाता है कि वार्नर एक परिपक्व खिलाड़ी हैं। मैदान पर वह अपना आपा नहीं खोते हैं। फाइनल से पहले मुकाबले में मैदान पर प्रवीण कुमार ने कुछ कह दिया था और तब भी वार्नर के चेहरे पर न तो शिकन दिखी और न ही गुस्सा। एक कप्तान के तौर वह अति उत्साही नहीं दिखाई देते हैं। यह खूबी उनके मुश्किल वक्त में भी उनके चेहरे पर दिखती है। फाइनल मैच में जब गेल धुआंदार पारी खेल रहे थे। नौवें ओवर में ही टीम ने 100 से ज्यादा का स्कोर खड़ा कर लिया था, तब भी वार्नर ऐसे दिखाई दे रहे थे मानो यह सब उन्होंने सोच रखा था।

गेंदबाजी का सही इस्तेमाल
वार्नर ने देखा कि गेल और विराट ने रन रेट को 10-11 पर ला दिया है और ऐसे में वार्नर ने गेंदबाजी में बदलाव किया और अपने सबसे कामयाब गेंदबाजों को मैदान में उतारा। मुस्तफिजुर रहमान को छठा ओवर दिया और केवल चार रन दिए। रन रेट कुछ नीचे आया। कटिंग, हेनरिक्स और फिर दसवें ओवर में मुस्तफिजुर को वापस लाए। कटिंग ने 11 वें ओवर में गेल को आउट किया। 13वें ओवर में विराट कोहली को बरिंदर सरां ने पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया। 14वें ओवर में विराट की उम्मीद डिविलियर्स भी सस्ते में आउट हो गए। और टीम पर दबाव चरम पर पहुंच गया। देखा जाए तो 11-14 वां ओवर यह तय कर चुका था कि मैच किस और जा रहा है।

कटिंग का चयन
अंतिम पांच ओवरों में गेंदबाजों का सही इस्तेमाल वार्नर की कामयाबी का एक और अहम कारण बना। इन पांच ओवरों में बेंगलोर की टीम केवल 42 रन ही बना पाई और मैच हार गई। कहा जा रहा है कि वार्नर ने बेन कटिंग का जिस प्रकार से इस्तेमाल इस मैच में किया वह तुरुप का इक्का साबित हुए। बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही जगह कटिंग ने मैच को जिताने में अहम योगदान दिया। खास बात यह रही है कि इस आईपीएल सीजन में बेन कटिंग ने ज्यादा मैच नहीं खेले। इस पूरे सीजन में फाइनल को लेकर उन्होंने चार मैच ही खेले। फाइनल में इस खिलाड़ी को खिलाने के लिए वार्नर की सूझबूझ ही जिम्मेदार है। इसे मैदान पर उतारने के लिए कप्तान ने केन विलियमसन, ट्रेंट बोल्ट और एऑन मार्गन  को बिठाया। ये सभी जाने-माने दिग्गज क्रिकेटर हैं।

सुनील गावस्कर भी हुए कायल
एनडीटीवी के क्रिकेट एक्सपर्ट सुनील गावस्कर ने भी मैच में जीत के अहम कारणों में वार्नर की कप्तानी एक वजह बताई है। उन्होंने कहा, सिर्फ बैटिंग ही नहीं, कप्तानी का भी इस जीत में अहम योगदान रहा है।

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