विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सरकार ने विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) पर लगाये गए प्रतिबंध को उचित ठहराते हुए कहा है कि जाकिर नाइक ओसामा बिन लादेन का गुणगान करता था और कहता था कि प्रत्येक मुस्लिम को आतंकवादी होना चाहिए. वह यह भी दावा करता था कि यदि इस्लाम वास्तव में चाहता तो 80 प्रतिशत भारतीय हिंदू नहीं रहते.
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत प्रतिबंधित करने के फैसले के दो दिन बाद गृह मंत्रालय ने जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा कि आईआरएफ और उसके सदस्यों विशेष तौर पर संस्थापक एवं उसका अध्यक्ष जाकिर नाइक अपने अनुयायियों को अलग अलग धार्मिक समुदायों के बीच धर्म के आधार पर वैमनस्यता या शत्रुता की भावना बढ़ाने या बढ़ाने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें सहायता देते थे.
अधिसूचना में कहा गया, ‘केंद्र सरकार को सूचना मिली थी कि आईआरएफ अध्यक्ष जाकिर नाइक के बयान एवं भाषण आपत्तिजनक हैं और उनकी प्रकृति विध्वंसकारी हैं क्योंकि वह ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों का गुणगान करता था और कहता था कि प्रत्येक मुस्लिम को आतंकवादी होना चाहिए. वह दावा करता था कि यदि इस्लाम वास्तव में चाहता तो 80 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या हिंदू नहीं रहती क्योंकि ‘यदि हम चाहते’ तो तलवार से उनका धर्मांतरण करा देते. वह आत्मघाती विस्फोटों को जायज ठहराता था, हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करता था. वह दावा करता था कि स्वर्ण मंदिर मक्का और मदीना जितना पवित्र नहीं हो सकता. वह अन्य धर्मों के खिलाफ अन्य अपमानजनक बयान देता था.’
गृह मंत्रालय ने कहा कि भाषणों एवं बयानों के जरिये नाइक अलग अलग धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता एवं नफरत को बढ़ावा देता रहा है और भारत एवं विदेश के मुस्लिम युवाओं और आतंकवादियों को आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रोत्साहित करता था. गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसी विभाजनकारी विचारधारा भारत की बहुलतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के खिलाफ है और इसे भारत के प्रति निष्ठाहीनता उत्पन्न करने के तौर पर देखा जा सकता है और इसलिए यह एक गैरकानूनी गतिविधि है.
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुधीर कुमार सक्सेना की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘आतंकवादी हमले की घटनाओं में गिरफ्तार कुछ आतंकवादियों या गिरफ्तार आईएसआईएस समर्थकों ने खुलासा किया है कि वे नाइक के कट्टरपंथी बयानों से प्रभावित थे. उसके भाषणों की प्रकृति विध्वंसकारी होने का स्पष्ट तौर पर संकेत मिलता है.’ केंद्र सरकार का विचार है कि आईआरएफ और उसके अध्यक्ष जाकिर नाइक की उपरोक्त गतिविधियां और अत्यंत भड़काउ और विभिन्न धार्मिक समूहों एवं समुदायों के बीच सद्भाव बनाये रखने को लेकर नुकसानदायक हैं.’
उसने कहा, ‘यदि तत्काल कदम नहीं उठाये गए तो इसकी बहुत आशंका है कि कई युवक आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रेरित होंगे और कट्टरपंथी बनेंगे. उसने कहा, ‘उपरोक्त परिस्थितियों के चलते केंद्र सरकार का इसको लेकर दृढ़ विचार है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत प्रतिबंधित करने के फैसले के दो दिन बाद गृह मंत्रालय ने जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा कि आईआरएफ और उसके सदस्यों विशेष तौर पर संस्थापक एवं उसका अध्यक्ष जाकिर नाइक अपने अनुयायियों को अलग अलग धार्मिक समुदायों के बीच धर्म के आधार पर वैमनस्यता या शत्रुता की भावना बढ़ाने या बढ़ाने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें सहायता देते थे.
अधिसूचना में कहा गया, ‘केंद्र सरकार को सूचना मिली थी कि आईआरएफ अध्यक्ष जाकिर नाइक के बयान एवं भाषण आपत्तिजनक हैं और उनकी प्रकृति विध्वंसकारी हैं क्योंकि वह ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों का गुणगान करता था और कहता था कि प्रत्येक मुस्लिम को आतंकवादी होना चाहिए. वह दावा करता था कि यदि इस्लाम वास्तव में चाहता तो 80 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या हिंदू नहीं रहती क्योंकि ‘यदि हम चाहते’ तो तलवार से उनका धर्मांतरण करा देते. वह आत्मघाती विस्फोटों को जायज ठहराता था, हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करता था. वह दावा करता था कि स्वर्ण मंदिर मक्का और मदीना जितना पवित्र नहीं हो सकता. वह अन्य धर्मों के खिलाफ अन्य अपमानजनक बयान देता था.’
गृह मंत्रालय ने कहा कि भाषणों एवं बयानों के जरिये नाइक अलग अलग धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता एवं नफरत को बढ़ावा देता रहा है और भारत एवं विदेश के मुस्लिम युवाओं और आतंकवादियों को आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रोत्साहित करता था. गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसी विभाजनकारी विचारधारा भारत की बहुलतावादी एवं धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के खिलाफ है और इसे भारत के प्रति निष्ठाहीनता उत्पन्न करने के तौर पर देखा जा सकता है और इसलिए यह एक गैरकानूनी गतिविधि है.
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुधीर कुमार सक्सेना की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘आतंकवादी हमले की घटनाओं में गिरफ्तार कुछ आतंकवादियों या गिरफ्तार आईएसआईएस समर्थकों ने खुलासा किया है कि वे नाइक के कट्टरपंथी बयानों से प्रभावित थे. उसके भाषणों की प्रकृति विध्वंसकारी होने का स्पष्ट तौर पर संकेत मिलता है.’ केंद्र सरकार का विचार है कि आईआरएफ और उसके अध्यक्ष जाकिर नाइक की उपरोक्त गतिविधियां और अत्यंत भड़काउ और विभिन्न धार्मिक समूहों एवं समुदायों के बीच सद्भाव बनाये रखने को लेकर नुकसानदायक हैं.’
उसने कहा, ‘यदि तत्काल कदम नहीं उठाये गए तो इसकी बहुत आशंका है कि कई युवक आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए प्रेरित होंगे और कट्टरपंथी बनेंगे. उसने कहा, ‘उपरोक्त परिस्थितियों के चलते केंद्र सरकार का इसको लेकर दृढ़ विचार है कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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