अहमदाबाद:
गुजरात दंगे (2002) की जांच कर रहे एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर लगे उन आरोपों को खारिज दिया, जिसमें कहा जाता रहा है कि गुलबर्ग नरसंहार मामले में उनकी भूमिका रही है।
फैसला आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि मोदी के खिलाफ निंदा अभियान बंद होना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने दोहराया कि दंगे के दौरान हुई हत्याओं के पर्याप्त सबूत हैं।
महानगर दंडाधिकारी एमएस भट्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जांचकर्ताओं को 2002 के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मोदी सहित किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। एसआईटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट फरवरी में भट्ट को सौंप दी थी।
दंगाइयों द्वारा मार डाले गए कांग्रेसी नेता एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने मोदी और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों पर दंगों की साजिश रचने के आरोप लगाए थे।
पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी उन 69 लोगों में शामिल थे, जिन्हें दंगाइयों की एक भीड़ ने 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में जिंदा जला डाला था।
न्यायाधीश भट्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एसआईटी के अनुसार, जाकिया की शिकायत में सूचीबद्ध किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हो पाया है।
मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई सबूत न मिलने सम्बंधी एसआईटी की रपट के बारे में यह पहली आधिकारिक पुष्टि है।
न्यायालय ने जांच दल से यह भी कहा है कि वह रपट की एक प्रति 30 दिनों के भीतर जाकिया जाफरी को उपलब्ध कराए और उसी समय एसआईटी की रपट पूरी तरह सार्वजनिक होगी।
न्यायालय ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार और स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के अनुसार शिकायतकर्ता को रपट और सम्बंधित दस्तावेजों की प्रति प्रदान की जाए। जाकिया को जांच रपट, गवाहों के बयान और सभी सम्बंधित दस्तावेजों की प्रतियां 30 दिनों के भीतर प्रदान की जाएंगी।"
जाकिया ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह अंतिम रपट से निराश हैं और उन्होंने मरते दम तक न्याय के लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है।
जाकिया ने कहा, "मुझे दुख हुआ है लेकिन भरोसा है कि मुझे न्याय मिलकर रहेगा। मैं मरते दम तक न्याय के लिए लड़ती रहूंगी।" जाकिया ने दावा किया है कि उनके पति ने मदद के लिए पुलिस और मुख्यमंत्री कार्यालय को लगातार फोन किए थे, लेकिन कुछ लाभ नहीं हुआ था।
एसआईटी ने जाकिया की याचिका पर अपनी अंतिम रपट फरवरी में सीलबंद लिफाफे के भीतर न्यायालय को सौंपे थे और मुख्य याचिकाकर्ता को रपट की प्रति देने का निर्णय न्यायालय पर छोड़ दिया था।
मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के बाद भाजपा ने कहा कि उनके खिलाफ निंदा अभियान बंद होना चाहिए।
वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा है, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। हमारे लिए यह एक बड़ी राहत है। 10 वर्ष से चल रहा निंदा अभियान बंद होना चाहिए।"
पार्टी महासचिव रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि मोदी को दंगों में फंसाने के लिए एक अभियान चल रहा है।
प्रसाद ने यह भी कहा, "जांच मनगढ़ंत सबूत पर नहीं चल सकती। कानून की अपनी प्रक्रिया होगी, जो लोग दंगों में दोषी हैं, उन्हें दंडित किया जा रहा है।"
कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद ने कहा, "यह सच्चाई है कि सांप्रदायिक दंगों में 3000 लोगों की मौत हुई और इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है।"
फैसला आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि मोदी के खिलाफ निंदा अभियान बंद होना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने दोहराया कि दंगे के दौरान हुई हत्याओं के पर्याप्त सबूत हैं।
महानगर दंडाधिकारी एमएस भट्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जांचकर्ताओं को 2002 के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में मोदी सहित किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। एसआईटी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट फरवरी में भट्ट को सौंप दी थी।
दंगाइयों द्वारा मार डाले गए कांग्रेसी नेता एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी ने मोदी और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों पर दंगों की साजिश रचने के आरोप लगाए थे।
पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी उन 69 लोगों में शामिल थे, जिन्हें दंगाइयों की एक भीड़ ने 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में जिंदा जला डाला था।
न्यायाधीश भट्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एसआईटी के अनुसार, जाकिया की शिकायत में सूचीबद्ध किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हो पाया है।
मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई सबूत न मिलने सम्बंधी एसआईटी की रपट के बारे में यह पहली आधिकारिक पुष्टि है।
न्यायालय ने जांच दल से यह भी कहा है कि वह रपट की एक प्रति 30 दिनों के भीतर जाकिया जाफरी को उपलब्ध कराए और उसी समय एसआईटी की रपट पूरी तरह सार्वजनिक होगी।
न्यायालय ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार और स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के अनुसार शिकायतकर्ता को रपट और सम्बंधित दस्तावेजों की प्रति प्रदान की जाए। जाकिया को जांच रपट, गवाहों के बयान और सभी सम्बंधित दस्तावेजों की प्रतियां 30 दिनों के भीतर प्रदान की जाएंगी।"
जाकिया ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह अंतिम रपट से निराश हैं और उन्होंने मरते दम तक न्याय के लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है।
जाकिया ने कहा, "मुझे दुख हुआ है लेकिन भरोसा है कि मुझे न्याय मिलकर रहेगा। मैं मरते दम तक न्याय के लिए लड़ती रहूंगी।" जाकिया ने दावा किया है कि उनके पति ने मदद के लिए पुलिस और मुख्यमंत्री कार्यालय को लगातार फोन किए थे, लेकिन कुछ लाभ नहीं हुआ था।
एसआईटी ने जाकिया की याचिका पर अपनी अंतिम रपट फरवरी में सीलबंद लिफाफे के भीतर न्यायालय को सौंपे थे और मुख्य याचिकाकर्ता को रपट की प्रति देने का निर्णय न्यायालय पर छोड़ दिया था।
मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के बाद भाजपा ने कहा कि उनके खिलाफ निंदा अभियान बंद होना चाहिए।
वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा है, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एसआईटी ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। हमारे लिए यह एक बड़ी राहत है। 10 वर्ष से चल रहा निंदा अभियान बंद होना चाहिए।"
पार्टी महासचिव रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि मोदी को दंगों में फंसाने के लिए एक अभियान चल रहा है।
प्रसाद ने यह भी कहा, "जांच मनगढ़ंत सबूत पर नहीं चल सकती। कानून की अपनी प्रक्रिया होगी, जो लोग दंगों में दोषी हैं, उन्हें दंडित किया जा रहा है।"
कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद ने कहा, "यह सच्चाई है कि सांप्रदायिक दंगों में 3000 लोगों की मौत हुई और इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं है।"
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
Gujarat Riots Case, Gulbarg Housing Society, Narendra Modi, SIT Report On Gujarat Riots, Teesta Setalvad, Zakia Jafri, गुजरात दंगा मामला, गुलबर्ग सोसाइटी, नरेन्द्र मोदी, गुजरात दंगों पर एसआईटी रिपोर्ट, जकिया जाफरी