फाइल फोटो
नई दिल्ली:
यूपी के सीएम योगी ने योगगुरु रामदेव को मना लिया है. पतंजलि फ़ूड पार्क यूपी में ही बनेगा. दरअसल इस फ़ूड पार्क को मंज़ूरी पतंजलि हर्बल के नाम से मिली थी लेकिन बाद में पतंजलि इसे पतंजलि फ़ूड पार्क कर दिया, जिससे समस्या आ रही थी. यूपी के उद्योग मंत्री सतीश महाना ने बताया कि कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास करके ये समस्या सुलझा ली जाएगी. इससे पहले पतंजलि के सहसंस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने उत्तर-प्रदेश सरकार पर लेटलतीफ़ी का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब पतंजलि ग्रेटर नोएडा में फूड पार्क नहीं बनाएंगे और उसकी ज़मीन यूपी सरकार को लौटा देंगे. आचार्य बालकृष्ण ने ये भी कहा कि पतंजलि के लोग मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों और अधिकारियों से भी मिले अपनी समस्या बताई लेकिन बात नहीं बनी. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी ने खुद बालकृष्ण से फोन पर बात करके उन्हें मनाने की कोशिश की.
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इससे पहलेे यूपी के फ़ूड प्रोसेसिंग सेक्रेटरी जेपी मीणा का कहना था कि प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन और बैंक लोन से जुड़ी 5 शर्तें हैं जिन्हें किसी भी कंपनी को पूरी करनी होती है. उन्होंने कहा कि शर्तें पूरी करने के लिए पतंजलि को एक महीने का एक्सटेंशन भी दिया गया है. वहीं मुख्यमंत्री योगी ने इस मसले पर बालकृष्ण से फोन पर बात भी की है और उन्हें मनाने की कोशिश की गई है. बातचीत के बाद पतंजलि की शिकायतें दूर करने के लिए अधिकारियों को जल्द काम करने के भी निर्देश दिए जाने की ख़बर है.
इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बताया था, “हम इस परियोजना को रद्द कर रहे हैं क्योंकि हमें यूपी सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है.” उन्होंने अधिक कोई विवरण दिये बिना कहा कि कंपनी अब परियोजना को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है. राज्य से बाहर निकलने के कारण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, " हमें इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला. हमने मंजूरी के लिए लंबे समय तक इंतजार किया है लेकिन यह राज्य सरकार से नहीं मिल सकी. अब हमने परियोजना को स्थानांतरित करने का फैसला किया है." खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा पतंजलि को इस परियोजना को शुरू करने हेतु जरूरी मंजूरी लेने के लिए जून अंत तक का समय दिया गया था. संपर्क करने पर खाद्य प्रसंस्करण सचिव जेपी मीणा ने बताया था, " अंतिम अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करने के लिए पतंजलि को चार महीने का समय दिया गया था. जमीन और बैंक ऋण सहित चार से पांच शर्ते हैं , जो मेगा फूड पार्क स्थापित करने वाले किसी भी कंपनी को पूरा करना होगा."
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मीणा ने आगे कहा था , " हमने इस परियोजना को रद्द नहीं किया है. हमने पतंजलि को एक महीने का विस्तार दिया है. उन्हें इस शर्त को पूरा करना होगा. अगर पतंजलि इस शर्त को पूरा नहीं करते हैं, तो हमारे पास रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हमने पहले भी ऐसा कई परियोजनाओं के मामले में किया है." बालकृष्ण ने दावा किया कि पतंजलि ने इस परियोजना के लिए वित्तीय संस्थानों से समर्थन प्राप्त कर लिया था. उन्होंने कहा, " हमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से दो बार समय विस्तार प्राप्त हुआ और अब यह समय समाप्त हो रहा है क्योंकि हमें राज्य सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिल सका." मेगा फूड पार्क को 30 महीने के भीतर अमल में लाये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
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इससे पहले पतंजलि ने कहा था कि यमुना एक्सप्रेसवे आधारित यह संयंत्र पूरी क्षमताके साथ संचालित होने पर सालाना 25,000 करोड़ रुपये के सामान का उत्पादन करेगा. पतंजलि ने कहा कि इससे 10,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी.
यह था पतंजलि फ़ूडपार्क Noida के प्रस्तावित विशाल संस्थान का स्वरूप, जिससे मिलता हज़ारों लोगों को रोज़गार तथा जिससे प्राप्त होता लाखों किसानों को समृद्धशाली जीवन... pic.twitter.com/QDRTihINRL
— Acharya Balkrishna (@Ach_Balkrishna) June 5, 2018
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इससे पहलेे यूपी के फ़ूड प्रोसेसिंग सेक्रेटरी जेपी मीणा का कहना था कि प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन और बैंक लोन से जुड़ी 5 शर्तें हैं जिन्हें किसी भी कंपनी को पूरी करनी होती है. उन्होंने कहा कि शर्तें पूरी करने के लिए पतंजलि को एक महीने का एक्सटेंशन भी दिया गया है. वहीं मुख्यमंत्री योगी ने इस मसले पर बालकृष्ण से फोन पर बात भी की है और उन्हें मनाने की कोशिश की गई है. बातचीत के बाद पतंजलि की शिकायतें दूर करने के लिए अधिकारियों को जल्द काम करने के भी निर्देश दिए जाने की ख़बर है.
इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बताया था, “हम इस परियोजना को रद्द कर रहे हैं क्योंकि हमें यूपी सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिली है.” उन्होंने अधिक कोई विवरण दिये बिना कहा कि कंपनी अब परियोजना को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है. राज्य से बाहर निकलने के कारण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, " हमें इस परियोजना के लिए राज्य सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला. हमने मंजूरी के लिए लंबे समय तक इंतजार किया है लेकिन यह राज्य सरकार से नहीं मिल सकी. अब हमने परियोजना को स्थानांतरित करने का फैसला किया है." खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा पतंजलि को इस परियोजना को शुरू करने हेतु जरूरी मंजूरी लेने के लिए जून अंत तक का समय दिया गया था. संपर्क करने पर खाद्य प्रसंस्करण सचिव जेपी मीणा ने बताया था, " अंतिम अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करने के लिए पतंजलि को चार महीने का समय दिया गया था. जमीन और बैंक ऋण सहित चार से पांच शर्ते हैं , जो मेगा फूड पार्क स्थापित करने वाले किसी भी कंपनी को पूरा करना होगा."
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मीणा ने आगे कहा था , " हमने इस परियोजना को रद्द नहीं किया है. हमने पतंजलि को एक महीने का विस्तार दिया है. उन्हें इस शर्त को पूरा करना होगा. अगर पतंजलि इस शर्त को पूरा नहीं करते हैं, तो हमारे पास रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हमने पहले भी ऐसा कई परियोजनाओं के मामले में किया है." बालकृष्ण ने दावा किया कि पतंजलि ने इस परियोजना के लिए वित्तीय संस्थानों से समर्थन प्राप्त कर लिया था. उन्होंने कहा, " हमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से दो बार समय विस्तार प्राप्त हुआ और अब यह समय समाप्त हो रहा है क्योंकि हमें राज्य सरकार से आवश्यक मंजूरी नहीं मिल सका." मेगा फूड पार्क को 30 महीने के भीतर अमल में लाये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
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इससे पहले पतंजलि ने कहा था कि यमुना एक्सप्रेसवे आधारित यह संयंत्र पूरी क्षमताके साथ संचालित होने पर सालाना 25,000 करोड़ रुपये के सामान का उत्पादन करेगा. पतंजलि ने कहा कि इससे 10,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी.
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