"दुनिया चाहती है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग का हब बने.." : NDTV से बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एनडीटीवी से कहा, "कोरोनो वायरस संकट और यूक्रेन युद्ध उन हालिया घटनाओं में से हैं, जिन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया, जिसके कारण दुनिया भर में कीमतों में भारी वृद्धि हुई."

नई दिल्ली:

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एनडीटीवी से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि बी20 समूह के सामने मुख्य मुद्दा आपूर्ति श्रृंखला है, खासकर जब से कोविड महामारी ने दिखाया है कि आपूर्ति श्रृंखला अर्थव्यवस्था को कैसे बाधित कर सकते हैं. विनिर्माण अत्यधिक केंद्रित है. B20 वैश्विक व्यापार समुदाय के साथ जुड़ने के लिए G20 का आधिकारिक संवाद मंच है.

विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया भारत आएगी, क्योंकि इसमें क्षमता और सामर्थ्य है. उन्होंने कहा, "जाहिर है, इसमें भू-राजनीति भी होगी, लेकिन हमारे लिए ये महत्वपूर्ण है कि हम देश में विनिर्माण बढ़ाने के तरीके ढूंढे. क्योंकि यह एक रोजगार समर्थक नीति है. हमारे लिए ये एक बड़ा अवसर है. दुनिया पारदर्शिता के साथ अधिक आपूर्ति श्रृंखला चाहती है.'' उन्होंने कहा कि भारत को ''चीन+1'' के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

एस जयशंकर ने कहा, "वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को लोकतांत्रिक बनाने और स्थिरता के माध्यम से हरित विकास को कैसे प्रोत्साहित किया जाए, इस पर ध्यान देने की जरूरत है. निवेश प्रवाह, डिजिटल इक्विटी और लैंगिक मुद्दों में अंतर को पाटना महत्वपूर्ण है. अगर G20 इन मुद्दों को नहीं उठाएगा, तो कौन उठाएगा?"

उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के व्यापक प्रभाव के परिणामस्वरूप दुनिया भर में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है.

विदेश मंत्री ने कहा, "दुनिया स्वास्थ्य संकटों, आपदाओं और भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण उत्पन्न आपूर्ति श्रृंखला संबंधी चिंताओं के समाधान पर नजर गड़ाए हुए है. कोरोनो वायरस संकट और यूक्रेन युद्ध उन हालिया घटनाओं में से हैं, जिन्होंने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में कीमतों में भारी वृद्धि हुई."

इस पृष्ठभूमि में, भारत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र और चीन के विकल्प के रूप में उभरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.

रविवार को दिल्ली में बी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कुशल और विश्वसनीय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में भारत की भूमिका को रेखांकित किया था.

शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में अपने मुख्य भाषण में, प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे भारत ने सीमाओं से परे टीकों की आपूर्ति की और महामारी के दौरान 'विश्व की फार्मेसी' के रूप में उभरा.

पीएम ने कहा, "कोविड महामारी के दौरान जब दुनिया को दवाओं की जरूरत थी, तो भारत ने 'विश्व की फार्मेसी' के रूप में 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं प्रदान कीं. जब दुनिया को कोविड दवा की जरूरत थी, तो दुनिया भर में लाखों लोगों का कीमती जीवन बचाने के लिए भारत ने अपने खुद के टीकों का उत्पादन बढ़ाया."
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प्रधानमंत्री ने व्यवसाय के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण की वकालत की और कहा कि वैश्विक व्यवसायों को ये समझना चाहिए कि स्थिरता स्वयं एक अवसर और एक व्यवसाय मॉडल है.