विज्ञापन
This Article is From Sep 19, 2023

आंकड़ों में महिलाएं : महिला आरक्षण बिल से ही बढ़ पाएगा महिलाओं का प्रतिनिधित्व, वरना अब तक तो...

महिला आरक्षण बिल के कानून बन जाने, और फिर सीटों के परिसीमन और जनगणना की औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद उस कानून के प्रभावी हो जाने पर 2029 के आम चुनाव में महिलाओं की भागीदारी आज की तुलना में बेहद बढ़ने वाली है, और घरों को चलाने में कुशल मानी जाने वाली महिलाएं देश को भी सुचारु रूप से चलाकर दिखाएंगी.

आंकड़ों में महिलाएं : महिला आरक्षण बिल से ही बढ़ पाएगा महिलाओं का प्रतिनिधित्व, वरना अब तक तो...
केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिलाओं को अब तक सर्वाधिक प्रतिनिधित्व PM नरेंद्र मोदी की दूसरे कार्यकाल की सरकार में मिला है...
नई दिल्ली:

महिला आरक्षण बिल लोकसभा में एक बार फिर प्रस्तुत कर दिया गया है, और इस पांचवीं कोशिश में इसके पारित हो जाने की संभावना भी साफ़ नज़र आ रही है. देश की संसद के निचले सदन, यानी लोकसभा एवं सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण की गारंटी देने वाले इस विधेयक के लागू होने पर निश्चित रूप से महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, और महिला सशक्तीकरण की दिशा में भारत के प्रयास सार्थक होंगे.

1/6 प्रतिनिधित्व भी कभी नहीं मिला महिलाओं को...

दरअसल, स्वतंत्र भारत का अब तक का इतिहास बताता है कि महिलाओं को लोकसभा में एक-तिहाई प्रतिनिधित्व तो दूर, एक-बटा-छह प्रतिनिधित्व भी कभी नहीं मिला है. आज़ादी के बाद से अब तक सबसे ज़्यादा महिला प्रतिनिधित्व मौजूदा 17वीं लोकसभा में ही आधी आबादी को मिल सका है, जो 15.2 फ़ीसदी है. इससे पहले कभी किसी भी लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इतना ज़्यादा नहीं रहा है. 1977 में तो लोकसभा में महिलाओं की नुमांयदगी एक-बटा-30 तक पहुंच गई थी, और कुल साढ़े तीन फ़ीसदी महिला सांसद लोकसभा में पहुंच पाई थीं.

Latest and Breaking News on NDTV

इस वक्त संसद में कुल 14.52% हैं महिला सांसद...

इस समय देश की संसद के दोनों सदनों, यानी लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व क्रमशः 15.2 फ़ीसदी और लगभग 13 फ़ीसदी है. लोकसभा में इस समय कुल 539 सदस्य हैं, जिनमें से 82 महिला सांसद हैं, और राज्यसभा में कुल सदस्य संख्या 239 है, जिनमें से 31 महिला सांसद हैं. यानी कुल मिलाकर 778 सांसदों में से 113 महिलाएं हैं, जो 14.52 फ़ीसदी होता है.

Latest and Breaking News on NDTV

राज्य विधानसभाओं में भी कम है महिलाओं की नुमांयदगी...

देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं की नुमांयदगी बेहद कम है, और पिछले विधानसभा चुनाव के लिहाज़ से देखें, तो हम पाते हैं कि सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व जिस छोटे-से सूबे में महिलाओं को मिल रहा है, वह पूर्वोत्तर का त्रिपुरा है, जिसकी 60 सीटों वाली विधानसभा में 15 फ़ीसदी महिला विधायक हैं. इसके अलावा, छत्तीसगढ़ की 90-सदस्यीय विधानसभा में 14.4%, पश्चिम बंगाल की 294-सदस्यीय विधानसभा में 13.7%, झारखंड की 81-सदस्यीय विधानसभा में 12.4%, राजस्थान की 200-सदस्यीय विधानसभा में 12%, उत्तर प्रदेश की 403-सदस्यीय विधानसभा में 11.7%, उत्तराखंड की 70-सदस्यीय विधानसभा में 11.4%, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 70-सदस्यीय विधानसभा में 11.4%, पंजाब की 117-सदस्यीय विधानसभा में 11.1%, बिहार की 243-सदस्यीय विधानसभा में 10.7% तथा हरियाणा की 90-सदस्यीय विधानसभा में 10% महिला विधायक हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

सबसे ज़्यादा महिला सांसद BJP से हैं...

वैसे, देखा जाए, मौजूदा लोकसभा में महिलाओं को सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व स्वाभाविक रूप से सत्तारूढ़ दल, यानी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बदौलत ही मिल रहा है, क्योंकि वर्तमान लोकसभा में सबसे ज़्यादा 42 महिला सांसद BJP की ही हैं, यानी लोकसभा की कुल महिला सांसदों में आधी से ज़्यादा BJP से हैं. उनके अलावा, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की 9 महिला सांसद हैं, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की 7 महिला सांसद लोकसभा में मौजूद हैं. इन बड़ी पार्टियों के अलावा, बीजू जनता दल (BJD) की 5 और वाईएसआरसीपी की 4 महिला सांसद संसद के निचले सदन में मौजूद हैं. दो महिला सांसद द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) तथा दो निर्दलीय महिला सांसद भी हैं. शेष सभी महिला सांसद अपनी-अपनी पार्टी से अकेली महिला प्रतिनिधि हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिलाओं को सर्वाधिक प्रतिनिधित्व दिया PM मोदी ने...

एक बात और, अब तक के सभी केंद्रीय मंत्रिमंडलों में महिलाओं को सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मौजूदा नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में ही मिला है. नरेंद्र मोदी के दूसरे प्रधानमंत्रित्व काल में उनके मंत्रिमंडल में कुल 14.1 फ़ीसदी महिलाएं मंत्री हैं, जबकि उनके पहले कार्यकाल (2014-2019) में उनके मंत्रिमंडल में महिलाओं को 10.5 फ़ीसदी नुमांयदगी ही मिल सकी थी. उससे पहले, डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली दोनों संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकारों, यानी 2004-2009 और 2009-2014 में क्रमशः 11.4 फ़ीसदी और 13.8 फ़ीसदी प्रतिनिधित्व महिलाओं के हिस्से आया था.

Latest and Breaking News on NDTV

सो, इतना तय है कि महिला आरक्षण बिल के कानून बन जाने पर, और फिर सीटों के परिसीमन और जनगणना की औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद उस कानून के प्रभावी हो जाने पर 2029 के आम चुनाव में महिलाओं की भागीदारी आज की तुलना में बेहद बढ़ने वाली है, और घरों को चलाने में कुशल मानी जाने वाली महिलाएं देश को भी सुचारु रूप से चलाकर दिखाएंगी.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com