गांव के करीब 60 युवकों की जलसंकट के कारण शादी नहीं हो पा रही।
तेइयामार गांव ( छतरपुर):
मध्यप्रदेश का छतरपुर जिला लगातार तीसरे साल सूखे का सामना कर रहा है। जिले के ज्यादातर हिस्सों में भारी जलसंकट की स्थिति है। हालात यहां तक हैं कि यहां के तेइयामार गांव के युवाओं को अपने लिए दुल्हन तलाशने तक में मुश्किल हो रही है। कोई भी अपनी बेटी की शादी ऐसे गांव में नहीं करना चाहता जहां पर्याप्त मात्रा में पानी ही नहीं हो।
सरकार यहां एक बांध बना दे
मोहन यादव की उम्र 32 साल हो चुकी है। पांच साल से घर वाले उनके लिए दुल्हन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार यहां मोहन जैसे करीब 60 युवक हैं जो ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मोहन ने कहा, 'लोग यह कहते हुए अपनी बेटी की शादी यहां करने को तैयार नहीं होते कि मेरे गांव में पानी की समस्या है और शादी के बाद उसे पानी लाने के लिए कई किलोमीटर तक जाना पड़ेगा। मैं शादी करना चाहता हूं।' मोहन चाहते हैं कि इस मामले में मदद के लिए सरकार सामने आए। उन्होंने कहा, जलसंकट का समाधान संभव है यदि सरकार यहां बांध बना दे।' गौरतलब है कि छतरपुर जिला मप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले इस क्षेत्र के 13 जिले भीषण सूखे का सामना कर रहे हैं। तेरिया में दर्जनभर कुएं और 400 फीट तक गहरे बोरवेल सूख चुके हैं और ग्रामीणों को करीब एक किलोमीटर तक चलकर पानी लाना पड़ता है।
स्टाप डैम बनाने के लिए जगह की पहचान की : तहसीलदार
चंद्र अवस्थी ने NDTV को बताया, 'मेरे घर के नजदीक का कुआं सूख चुका है। अब मुझे पानी लाने के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। मैं दिन में पानी के लिए चार से पांच बार कुएं तक जाता हूं। यह थकान भरा है। जलसंकट के कारण गांव के युवाओं को दुल्हन नहीं मिल पा रहीं।' पिछले कई सालों से सूखे और जलसंकट ने यहां खेती और सामाजिक जीवन पर विपरीत असर डाला है। जिला प्रशासन का कहना है कि वह जल समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा। बकस्वाहा की तहसीलदार बिनीता जैन ने कहा, 'हमने स्टाप डैम बनाने के लिए जगह की पहचान कर ली है। एक बार कलेक्टर की ओर से प्रोजेक्ट की मंजूरी मिल जाए, भूमि अधिग्रहण के बाद हम डैम तैयार करेंगे। अगले एक से डेढ़ साल में हम तेइयामार गांव की जल समस्या का समाधान कर देंगे।'
सरकार यहां एक बांध बना दे
मोहन यादव की उम्र 32 साल हो चुकी है। पांच साल से घर वाले उनके लिए दुल्हन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार यहां मोहन जैसे करीब 60 युवक हैं जो ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मोहन ने कहा, 'लोग यह कहते हुए अपनी बेटी की शादी यहां करने को तैयार नहीं होते कि मेरे गांव में पानी की समस्या है और शादी के बाद उसे पानी लाने के लिए कई किलोमीटर तक जाना पड़ेगा। मैं शादी करना चाहता हूं।' मोहन चाहते हैं कि इस मामले में मदद के लिए सरकार सामने आए। उन्होंने कहा, जलसंकट का समाधान संभव है यदि सरकार यहां बांध बना दे।' गौरतलब है कि छतरपुर जिला मप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले इस क्षेत्र के 13 जिले भीषण सूखे का सामना कर रहे हैं। तेरिया में दर्जनभर कुएं और 400 फीट तक गहरे बोरवेल सूख चुके हैं और ग्रामीणों को करीब एक किलोमीटर तक चलकर पानी लाना पड़ता है।
स्टाप डैम बनाने के लिए जगह की पहचान की : तहसीलदार
चंद्र अवस्थी ने NDTV को बताया, 'मेरे घर के नजदीक का कुआं सूख चुका है। अब मुझे पानी लाने के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। मैं दिन में पानी के लिए चार से पांच बार कुएं तक जाता हूं। यह थकान भरा है। जलसंकट के कारण गांव के युवाओं को दुल्हन नहीं मिल पा रहीं।' पिछले कई सालों से सूखे और जलसंकट ने यहां खेती और सामाजिक जीवन पर विपरीत असर डाला है। जिला प्रशासन का कहना है कि वह जल समस्या के समाधान के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा। बकस्वाहा की तहसीलदार बिनीता जैन ने कहा, 'हमने स्टाप डैम बनाने के लिए जगह की पहचान कर ली है। एक बार कलेक्टर की ओर से प्रोजेक्ट की मंजूरी मिल जाए, भूमि अधिग्रहण के बाद हम डैम तैयार करेंगे। अगले एक से डेढ़ साल में हम तेइयामार गांव की जल समस्या का समाधान कर देंगे।'
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