गुजरात दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सालों से संघर्ष कर रही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड के खिलाफ जानबूझकर साजिश रची जा रही है। ये मानव अधिकार के लिए लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज दबाने की कोशिश है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने तीस्ता के समर्थन में आयोजित पत्रकार परिषद में ये आरोप लगाए। पत्रकार परिषद का आयोजन "हम आजादियों के हक में" नामक संस्था ने मुंबई प्रेस क्लब में किया था।
तुषार गांधी ने आगे कहा कि दोनों चूंकि गुजरात दंगों के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए संघर्ष कर रहें हैं इसलिए उनके खिलाफ ये साजिश रची जा रही है। पत्रकार परिष्द में बताया गया कि गुलबर्गा सोसायटी में म्युजीयम के लिए सिर्फ 4 लाख 32 हजार 460 रुपये आए थे जो बैंक अकाउंट में जमा हैं।
फिर ये धोखाधड़ी कैसे हुई? उन्होंने ट्रस्ट के पैसों से मौज उड़ाने के आरोप को भी गलत बताया। तुषार गांधी ने कहा कि मैंने कभी तीस्ता और जावेद को महंगे कपड़े पहने नहीं देखा, महंगें कपड़े कौन पहनता है ये सभी जानते हैं। पत्रकार परिषद में फिल्मकार आनंद पटवर्धन भी मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि तीस्ता और जावेद दोनों 15-16 दिसंबर और 5-6 जनवरी को अहमदाबाद पुलिस के सामने हाजिर होकर सारे सवालों का जवाब दे चुके हैं। फिर जांच के लिए गिरफ्तारी की मांग क्यों? उन्होंने साफ किया कि वो जांच के खिलाफ नहीं बल्कि गिरफ्तारी की मांग के खिलाफ हैं।
संस्था के मुताबिक साल 2003 से 2014-15 तक सबरंग ट्रस्ट और सीजेपी दोनों को कुल 9,74,75,100 रुपया बतौर चंदा मिला था। उसमें से 3,85,00,896 रुपये को लेकर विवाद है।
उसमें से भी सिर्फ 75 लाख 26 हजार 54 रुपये दोनों को वेतन के तौर पर दिए गए हैं क्योंकि दोनों अपना पूरा वक्त ट्रस्ट के काम के लिए ही देते हैं। बाकी के रुपये भी ट्रस्ट के काम के लिए खर्च किए गए हैं। फिर धाखाधड़ी कहां हुई?
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सेतलवाड़ की गिरफ्तारी पर 19 फरवरी तक के लिए रोक लगाई है। तीस्ता और उनके पति पर आरोप है कि दंगा पीड़ितों के म्युजियम के लिए आए चंदे का इस्तेमाल दोनों ने अपने नीजी कामों के लिए किया है।
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