विज्ञापन
This Article is From Jan 01, 2019

भिक्षां देहि : दिल्ली की सड़कों पर भीख क्यों मांग रहे हैं संस्कृत शिक्षक

दिल्ली की कड़ाके की ठंड में संस्कृत शिक्षक दिन-रात धरना देते रहे लेकिन न तो कोई मंत्री उनसे मिलने आया न ही कोई अन्य नेता

भिक्षां देहि : दिल्ली की सड़कों पर भीख क्यों मांग रहे हैं संस्कृत शिक्षक
दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर सड़क पर भीख मांग रहे संस्कृत शिक्षक.
नई दिल्ली:

संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा है और इसलिए इसे आदर दिया जाता है लेकिन संस्कृत की शिक्षा देने वाले बदहाल हैं. आर्थिक तंगी के गुजर रहे संस्कृत शिक्षक कुछ दिनों से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. गत 27 दिसंबर को इन शिक्षकों ने जंतर मंतर पर अपना प्रदर्शन शुरू किया और फिर जनकपुरी के संस्कृत संस्थान के सामने बैठ गए. दिल्ली की कड़ाके की ठंड में यह लोग दिन-रात धरना दिए रहे लेकिन न तो कोई मंत्री इनसे मिलने आया न कोई नेता.

साल 2014 में एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सुषमा स्वराज, उमा भारती से लेकर कई बड़े नेताओं ने संस्कृत में शपथ ली थी. मुख्य मकसद था संस्कृत भाषा और शिक्षा को बढ़ावा देना. नेताओं की इस पहल की कई लोगों ने तारीफ की थी. सिर्फ शपथ ही नहीं, इस सरकार के गठन के बाद कई ऐसे निर्णय लिए गए जो संस्कृत भाषा और शिक्षा की बढ़ावा देने के लिए हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि गेस्ट और कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के रूप में काम कर रहे संस्कृत शिक्षकों की तनख्वाह काफी कम है और कई सालों से नहीं बढ़ी है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की सड़कों पर संस्कृत शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : दिहाड़ी मजदूरों से भी कम पैसे कमाते हैं संस्‍कृत ग्रेजुएट्स, नहीं मिल पाती आसानी से नौकरी

देश के अलग-अलग राज्यों के शिक्षक इस प्रदर्शन में शामिल हुए. कोई जम्मू-कश्मीर से आया है तो कोई केरल से. कई महिलाएं भी इस प्रदर्शन में शामिल हुईं. महिलाओं को कहना है कि उन्हें मेटरनिटी लीव भी नहीं मिलती है. जब सरकार की तरफ से कोई इनसे मिलने नहीं आया और इनकी मांग पर गौर नहीं किया तो सोमवार को यह शिक्षक दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगते हुए नज़र आए.

यह भी पढ़ें : पिथौरागढ़ के 'अन संग हीरो' पंडित गिरीश चंद जोशी की अनोखी कहानी...

कई सालों से यह शिक्षक कॉन्ट्रैक्ट या गेस्ट के रूप में पढ़ा रहे हैं. कॉन्ट्रैक्ट टीचरों को 39 हजार रुपये वेतन मिलता है जबकि अतिथि शिक्षक (गेस्ट टीचर) को 25 हजार रुपये मिलते हैं. कई सालों से इनका वेतन नहीं बढ़ा है. यह लोग नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आता है. देश भर में इसके 12 कैंपस हैं. कई जगहों पर 40 से 50 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. इनकी जगह ठेके पर शिक्षक रखे गए हैं. कुछ को गेस्ट टीचर के रूप में रखा गया है.

oiln5qq8

 इन शिक्षकों ने 200 से अधिक सांसदों को ईमेल किए लेकिन किसी की तरफ से जवाब नहीं आया. इनका दावा है कि इन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भी पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि 12 कैंपस में 450 शिक्षक हैं, इनमें से 250 कॉन्ट्रेक्ट पर हैं और गेस्ट टीचर हैं. 55 प्रतिशत शिक्षक कॉन्ट्रेक्ट पर पढ़ा रहे हैं. अगर यह शिक्षक परमानेंट होते तो 85000 रुपये वेतन मिल रहा होता. प्रदर्शन में आए शिक्षकों ने कहा कि आईआईटी और आईआईएम में संस्कृत विषय को जगह दी जा रही है, यह अच्छा है लेकिन राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को अनदेखा क्यों किया जा रहा है?

 

e3m2bb2k

 बुधवार को संस्कृत शिक्षक संघ ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के कुलपति से उनकी मुलाकात हुई है और कुलपति ने उनकी मांग पर गौर करने का अश्वासन दिया है. एक शिक्षक ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा की कुलपति ने कहा है कि उनकी मांग को गौर करने के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी. अगर कमेटी को लगता है कि उनकी मांग जायज है तो वह अपनी रिपोर्ट संस्था के बोर्ड को भेजेगी. अगर बोर्ड उनकी मांग मान लेती है तो फिर यह मानव संसाधन मंत्रालय के पास जाएगा और वहां पास होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय जाएगा.

VIDEO : बेटे के जुल्म के चलते भिखारी बना पीएचडी शिक्षक

शिक्षकों का कहना है कि अगर 20 जनवरी तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो यह लोग संस्था के सामने आमरण अनशन पर बैठेंगे.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com