प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा देश के चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए ज्ञानेश कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1988 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, और केरल कैडर से ताल्लुक रखते हैं. ज्ञानेश कुमार सेवानिवृत्ति से पहले संसदीय मामलों के मंत्रालय तथा अमित शाह के नेतृत्व वाले सहकारिता मंत्रालय में सचिव पद पर रह चुके हैं.
जिस वक्त केंद्र सरकार ने संसद में जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का बिल पारित किया था, उस वक्त ज्ञानेश कुमार केंद्रीय गृह मंत्रालय में कश्मीर डिविज़न के प्रभारी हुआ करते थे. इसके बाद उन्हें सहकारिता मंत्रालय का सचिव नियुक्त किया गया, जिससे पहले वह संसदीय मामलों के मंत्रालय के सचिव रहे थे. वह सेवानिवृत्ति की आयु के बाद भी पद पर बनाए रखे गए, और अंततः 31 जनवरी, 2024 को सेवानिवृत्त हुए.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया के अंतर्गत विधि मंत्रालय के नेतृत्व में एक सर्च कमेटी शॉर्टलिस्ट तैयार करती है, और उसके बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाला नियुक्ति पैनल अंतिम निर्णय लिया करता है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल में प्रधानमंत्री के अलावा भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता को होना चाहिए, लेकिन इसके बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधान न्यायाधीश के स्थान पर एक केंद्रीय मंत्री को नियुक्त करने का कानून पारित कर दिया. इस नए क़ानून को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स तथा कांग्रेस पार्टी की नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होने वाली है.
भारतीय निर्वाचन आयोग में दो आयुक्तों के पद तब रिक्त हुए थे, जब फरवरी में अनूपचंद्र पाण्डेय रिटायर हुए थे, और फिर हाल ही में अरुण गोयल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दे दिया.
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