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This Article is From Feb 08, 2017

जब विपक्ष से पीएम ने कहा - 'आज मैं आपके मैदान में खेलना पसंद करुंगा'

जब विपक्ष से पीएम ने कहा - 'आज मैं आपके मैदान में खेलना पसंद करुंगा'
सोमवार को संसद में सत्ता और विपक्ष के बीच बहस बिल्कुल क्रिकेट मैच के अंदाज में हुई
नई दिल्ली: लोकसभा के मैदान पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्ष के बीच एक शानदार बहस का क्रिकेट मैच देखने को मिला. विपक्ष के तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे कप्तानी कर रहे थे तो सरकार के तरफ से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला. टॉस जीतकर विपक्ष ने पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया. विपक्ष के तरफ से कई नेताओं ने गेंदबाज़ी की यानी सरकार से सवाल पूछे.

युवा गेंदबाज़  यानी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ दुष्यंत चौटाला और सबसे अनुभवी गेंदबाज़ यानी सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को अपने तेज  सवालों के जरिए आउट करने की पूरी कोशिश की. सरकार के तरफ से बल्लेबाज के रूप में महेश शर्मा, वीरेंदर चौधरी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रंट फुट में आकर खेलते हुए इन सवालों का जवाब दिया. कई बार भी हुआ जब सरकार पूरी तरह डिफेंसिव मूड में नज़र आई.

इस बहसिया मैच में सबसे अच्छी और सटीक गेंदबाज़ी मल्लिकार्जुन खड़गे ने की. एक पुराने सांसद के रूप में अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए खड़गे अपने तीखे सवालों से सरकार को कई बार आउट करने की कोशिश की, लेकिन कप्तान मोदी हर बार बच निकलने में कामयाब रहे.

प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार सवाल रूपक गेंद को अपने कुशल जवाबों की चोट से बाउंडरी के बहार फेंका तो कई बार गेंद को छोड़ दिया यानी बिना जवाब देते हुए नज़र आए. कई बार ऐसा भी जब प्रधानमंत्री के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नज़र नहीं आया और बार-बार अपील यानी हो-हल्ला किया लेकिन, अंपायर का भूमिका निभा रही सुमित्रा महाजन ने विरोधी टीम की अपील को ख़ारिज कर दिया. स्पीकर ने कई बार यह भी कहा, 'चाहे आप हो-हल्ला के रूप में कितना अच्छा प्रदर्शन कर लें लेकिन आप का यह प्रदर्शन रिकॉर्ड बुक में नहीं जाएगा.'

हम आप को पुरे मैच यानी बहस का जानकारी तो नहीं दे सकते, लेकिन चलिए विपक्ष के कप्तान मल्लिकार्जुन खड़गे और सरकार के तरफ से कप्तानी कर रहे पीएम मोदी के बीच हुई बहस की कुछ हाईलाइट के बारे में आप को बताते हैं.

खड़गे का पहला ओवर
कई सवालों के साथ खड़गे अपना पहला ओवर फेंकने हुए नज़र आए. खड़गे के पहले ओवर में सरकार पर आरोप लगे कि सरकार की करतूत से जनता रो रही है. सरकार ने आम बजट के साथ रेलवे बजट को समायोजित क्यों कर दिया. इतने सालों से चल रही इस प्रथा को क्यों बंद कर दिया गया. रेलवे एक पब्लिक सर्विस और पब्लिक सेक्टर है, इस सिर्फ करोबारी संस्था नहीं है जिस में सिर्फ फायदा देखें. आज रेलवे को कमर्शियल के रूप में देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह नुक्सान में जा रही है.

प्रधानमंत्री ने खड़गे की गेंदों को सही तरीके से खेलने यानी जवाब देते हुए कहा कि रेलवे के पहले और अब में काफी फर्क है. पहले सिर्फ रेलवे ही ट्रांसपोर्ट का मोड़ था, लेकिन अब ट्रांसपोर्टेशन के और कई मोड़ हैं. फिर पीएम ने फ्रंट फुट में खेलते हुए कहा रेलवे और बजट में सरकार ने कई बदलाव किया है. कई बार रेलवे बजट में लिए गए फैसले नेताओं को खुश करने के लिए जाते थे. कई वादे सिर्फ कागज़ों पर होते थे.
फिर प्रधानमंत्री ने ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोलते हुए कहा कि ब्यूरोक्रेसी को ऐसे चीज सूट करती है कि राजनेता ताली बज दें और इनके गाडी चलती रहे. देश में गलत चीज विकसित हो चुकी है. किस न किसी को जिम्मदेरी लेकर इन्हें खत्म करना होगा.

खड़गे का दूसरा ओवर
इस ओवर के गेंदें यानी सवालों के साथ खड़गे काफी परिचित हो गए थे. कई बार इस गेंद के जरिए खड़गे की टीम सरकार को हराने में सफल हुई. इस बार खड़गे ने मनरेगा की गुगली फेंकी और कहा, यह वह मनरेगा है जिसे कांग्रेस सरकार ने लेकर आई थी. सरकार ने शुरुआत में मनरेगा का मज़ाक उड़ाया लेकिन यही मनरेगा अब  लोगों को रोज़गार दे रहा है. सरकार ने मनरेगा के लिए 48000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं लेकिन यह रुपया बहुत कम है. आज के दिन में मनरेगा के लिए कम से कम 90 हज़ार करोड़ रुपया रखना चाहिए.


प्रधानमंत्री मोदी का जवाब
पीएम ने एक कदम आगे जाते हुए इस गुगली को खेलते हुए कहा, “आप ने तीन सालों 600 करोड़ रुपया बढ़ाया था, हम ने 11000 करोड़ रुपया बढ़ाया. सरकार ने स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया, तालाब पर जोर दिया. हमने इसे आगे बढ़ने में भरपूर प्रयास किया और आगे भी करते रहेंगे. पीएम मोदी का कांग्रेस पर सबसे बड़ा हमला कि कांग्रेस ने मनरेगा में 1035 बार नियम बदले.  क्या कारण था कि मनरेगा जैसे योजना जो लंबे समय से चल रही थी उसे भी लाने के बाद आप को 1035 बार परिवर्तन करने पड़े.

नोटबंदी से जुड़ा ओवर
खड़गे का सरकार पर आरोप था कि अगर सरकार को काले धन निकालना था तो और कई रास्ते थे. कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. आप ने लोगों को सजा दी. लोगों को आप ने तंग और तबाह कर दिया. लाइन में लगकर कम से कम 125 लोग मरे. इस के लिए देश के लोगों से कम से कम आप को माफ़ी मांगनी चाहिए थी. आप तीन मकसद पूरा करने के लिए नोटबंदी लाए थे, काले धन बहार लाना, नकली नोट बंद करना और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना. क्या ये तीन मकसद पूरा करने में आप सफल हुए हैं..?
 
पीएम ने फ्रंट फुट पर खेला यह ओवर

अब प्रधानमंत्री की बारी थी. प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा जब अर्थ व्यवस्था मजबूत थी तब सरकार ने नोटबंदी लाई. विदेशों से कालाधन लाने के लिए हमारी सरकार ने एसआईटी बनाई.  कालाधन को लेकर कई देशों के साथ सरकार ने समझौते किए.

प्रधानमंत्री ने कहा, हम ने नोटबंदी पर चर्चा चाही लेकिन विपक्ष ने नहीं चाहा. विपक्ष के नेता सिर्फ टीवी में बाइट देते रहे. लेकिन आप को याद रखना चाहिए भ्रष्टाचार की शुरुआत सिर्फ कैश से होती है. साल 1988 में बेनामी सम्पति कानून बनाया गया तब राजीव गाँधी का सरकार थी.  बहुमत कांग्रेस के पास था लेकिन क्यों  26 सालों तक इस कानून को नोटिफाई नहीं किया गया.

अब गरीबों के नाम पर पीएम ने खड़गे को घेरा. पीएम ने कहा, 'अब मैं इस रास्ते से पीछे हटने वाला नहीं हूं. ग़रीबों के लिए लढाई लड़ता रहुंगा. नोट बंदी के लिए समय सही था.अगर समय दुर्बल होता तो हम सफलता पूर्वक नहीं कर पाते.'

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