अग्नाश्य के कैंसर से जूझ रहे गोवा के मुख्यमंत्री (Goa Chief Minister) मनोहर पर्रिकर(Manohar Parrikar) ने दो महीने पहले ही कहा था कि वह आखिरी सांस तक जनता की सेवा करते रहेंगे. अपने इस वादे को निभाने के लिए सचमुच उन्होंने पूरी कोशिश की. 63 साल की उम्र में जिंदगी और मौत से लड़ते हुए रविवार को मनोहर पर्रिकर ने आखिरी सांस ली. गोवा में बीजेपी सरकार के मंत्री विश्वजीत राणे ने मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के आखिरी समय की गतिविधियों के बारे में एनडीटीवी को जानकारी दी. उन्होंने कहा-....अब कोई दूसरा मनोहर पर्रिकर नहीं हो सकता. मंत्री विश्वजीत राणे ने हाल के एक उदाहरण के जरिए बताया कि किस कदर मनोहर पर्रिकर अपने काम के प्रति बेहद समर्पित थे.
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राणे ने कहा,"बेहद बीमार अवस्था में, शरीर में ट्यूब और बैग लगा होने पर भी लगातार काम करते रहे. मगर मैं हकीकत में उनके इस समर्पण को नहीं समझ पाता, अगर हास्पिटल में उस दिन....उनसे मिलने नहीं गया होता. मैं अपने साथ अस्पतालों से जुड़ी एक फाइल लेकर गया था, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के हस्ताक्षर की जरूरत थी. उन्होंने मुझे दरवाजे से अंदर बुलाया और कहा कि वह वह वास्तव में उस फाइल पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं, जिसमें मैं लाया हूं." राणे ने कहा कि यह आखिरी फाइल थी, जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किए. मंत्री ने कहा कि इस उदाहरण से पता चलता है कि किस तरह निस्वार्थ भाव से वह गोवा की सेवा कर रहे थे. मंत्री ने कहा कि मनोहर पर्रिकर की ओर से गोवा के लिए किए गए कामों को कभी नहीं भुलाया जा सकता. यद्यपि हम सभी जानते थे कि पर्रिकर बहुत गंभीर रूप से बीमार हैं, फिर भी उनके निधन से हमें धक्का पहुंचा है.गोवा के लोग उन्हें मिस करेंगे.उनके जाने के बाद अब गोवा की राजनीति में हमेशा एक सूनापन रहेगा.
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यह पूछे जान पर कि कैंसर जैसी बीमारी का पता चलने पर भी क्या मनोहर पर्रिकर को सक्रिय राजनीति छोड़ कर घर पर स्वास्थ्य लाभ नहीं करना चाहिए था? गोवा के मंत्री ने कहा कि सेवा और समर्पण की भावना ने उन्हें काम से दूर रहने की अनुमति ही नहीं दी. उन्होंने कहा- हम सभी जिम्मेदार मंत्री उनके मार्गदर्शन में काम कर रहे थे. पिछले दस दिनों से बेहद अस्वस्थ होने के बाद भी वह हमेशा मिलने के लिए उपलब्ध रहते थे. केंद्र सरकार ने मनोहर पर्रिकर के निधन पर एक दिन के राष्ट्रीय रोक की घोषणा की है.
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