क्या गांधी परिवार में दशकों पुरानी सियासी दुश्मनी अब खत्म हो जाएगी? क्या राहुल और वरुण एक साथ आ जाएंगे? ये सवाल तब से ही उठ रहा है, जब से कांग्रेस ने वरुण गांधी को पार्टी ज्वॉइन करने का खुला ऑफर दिया है. लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) 19 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं, ऐसे में सबकी निगाहें फिलहाल इस बात पर टिकी हैं, कि बीजेपी ने किसका टिकट काट दिया और किसे कहां से उम्मीदवार बनाया है. अब सबकी निगाहें वरुण गांधी (Varun Gandhi) पर टिकी हुई हैं. दरअसल रविवार को बीजेपी ने अपने 111 उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी की, जिसमें पीलीभीत से मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया.
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क्या कांग्रेस जॉइन करेंगे वरुण गांधी?
वैसे तो पीलीभीत सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. वरुण गांधी की मां मेनका गांधी इस सीट से 6 बार सांसद चुनी गईं, तो वहीं वरुण गांधी यहां से 2 बार सांसद चुने गए, यानी कि वह पिछले 10 सालों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. लेकिन इस बार बीजेपी ने वरुण गांधी को पीलीभीत से लोकसभा चुनाव का टिकट न देकर यहां से जतिन प्रसाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वरुण को बीजेपी ने इस चुनाव दरकिनार क्या किया कि कांग्रेस इस मौके को भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस अपना पासा फेंक चुकी है. वरुण गांधी को कांग्रेस ने पार्टी ज्वॉइन करने का खुला ऑफर दे दिया. जिसके बाद अब सबकी निगाहें इसी बात पर लगी हैं कि वरुण गांधी का अगला कदम आखिर क्या होगा.
गांधी परिवार के बीच खत्म होगी राजनीतिक दुश्मनी?
माना जा रहा है कि अगर वरुण गांधी कांग्रेस का ऑफर स्वीकार करते हैं तो गांधी परिवार के बीच सालों से जारी सियासी दुश्मनी खत्म हो जाएगी. चचेरे भाई राहुल गांधी और वरुण गांधी फिर एक बार सियासी तौर पर साथ आ जाएंगे. दरअसल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण गांधी को कांग्रेस ज्वॉइन करने का ऑफर दिया है.अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी पर करारा वार करते हुए यहां तक कह दिया कि वरुण को गांधी होने की कीमत चुकानी पड़ रही है. गांधी परिवार से ताल्लुक रखने की वजह से बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है. इसके साथ ही अधीर रंजन ने राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण गांधी की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए कहा, "वह एक बड़े, सुशिक्षित और साफ छवि के राजनेता हैं. हम चाहते हैं कि वरुण गांधी अब कांग्रेस में शामिल हों. अगर पार्टी ज्वॉइन करते हैं, तो हमें खुशी होगी."
वरुण गांधी को मिली किस बात की सजा?
वैसे तो बीजेपी पहले ही ये कह चुकी है कि कई मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा, लेकिन फिर भी वरुण गांधी का टिकट पीलीभीत से काटा जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसकी एक बड़ी वजह वरुण का मुखर होना भी माना जा रहा है. दरअसल वरुण गांधी पिछले काफी समय से अपनी ही पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करते रहे हैं. सोशल मीडिया पर उनके बयान खूब छाए रहे. चाहे शराब का प्रचार हो या फिर सारस या आरिफ की दोस्ती की कहानी या फिर यूपी में सड़कों के निर्माण का मुद्दा, वरुण गांधी के बीजेपी सांसद रहते इन मुद्दों को तेजी से उठाया. यहां तक कि बेरोजगारी, अग्निवीर योजना और केंद्र की फ्री राशन योजना तक वरुण गांधी को रास नहीं आई. कहा तो ये भी जा रहा है कि अपनी ही सरकार के विरोध में स्वर उठाना भी वरुण का टिकट काटे जाने की बड़ी वजह है, हालांकि बीजेपी ने उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दिया है.
वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा?
बीजेपी में रहते पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी के बाद लगातार ये सवाल उठने लगे कि क्या वरुण गांधी का बीजेपी से मोह भंग होने लगा है. अब कांग्रेस ज्वॉइन करने का खुला ऑफर उनको मिला है. देखना ये होगा कि वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा. क्या वह अपने चचेरे भाई राहुल गांधी के साथ जाएंगे या फिर बीजेपी का साथ नहीं छोड़ेंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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