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This Article is From Jan 20, 2023

Explainer: बिहार सरकार की "जातीय गणना", क्‍यों हो रहा इस पर विवाद

जातिगत जनगणना और जाति आधारित सर्वे में अंतर होता है. बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव कहते हैं कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्‍हें ये समझने की जरूरत है कि ये जातिगत जनगणना नहीं "जाति आधारित सर्वे" है.

Explainer: बिहार सरकार की "जातीय गणना", क्‍यों हो रहा इस पर विवाद
जातिगत जनगणना नहीं "जाति आधारित सर्वे"

नई दिल्‍ली: बिहार में जाति आधारित सर्वे, जिसे जातिगत जनगणना या जातीय गणना भी कहा जा रहा है जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित सर्वे को रद्द करने के लिए याचिकाएं दाखिल हुई थीं, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है. सर्वोच्‍च न्‍यायालय का कहना है कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं. प्रथम दृष्‍टया ये 'पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन' लगती है. सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि अगर जाति आधारित सर्वे पर रोक लगाई गई, तो सरकार कैसे निर्धारित करेगी कि आरक्षण कैसे प्रदान किया जाए? इससे पहले बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यही कहा था कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इसी के आधार पर भविष्‍य में लोककल्‍याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी. 

राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग
बिहार में जाति आधारित सर्वे कराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गईं. याचिकाएं एक सोच एक प्रयास नामक संगठन, हिंदू सेना और बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की हैं. हिन्दू सेना ने अपनी याचिका में कहा है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ना चाहती है.याचिका में बिहार में जातिगत जनगणना के लिए 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने दाखिल याचिका में कहा है कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना है. भारत का संविधान वर्ण और जाति के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है. जाति संघर्ष और नस्लीय संघर्ष को खत्म करने के लिए राज्य संवैधानिक दायित्व के अधीन है.  

जाति आधारित सर्वे के खिलाफ उठ रहे ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट के सामने इस याचिका में कई सवाल उठाए गए थे. पूछा गया कि क्‍या बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराने की कार्यवाही की जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है? क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत जनगणना करवाए जाने का अधिकार देता है? क्या 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना जनगणना कानून 1948 के खिलाफ है? क्या कानून के अभाव में जाति जनगणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत जनगणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों द्वारा एकसमान निर्णय से  लिया गया हैं? क्या बिहार जाति जनगणना के लिए राजनीतिक दलों का निर्णय सरकार पर बाध्यकारी है? क्या बिहार सरकार का 6 जून का नोटिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का अभिराम सिंह मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है?

जातिगत जनगणना नहीं "जाति आधारित सर्वे"
जातिगत जनगणना और जाति आधारित सर्वे में अंतर होता है. बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव कहते हैं कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्‍हें ये समझने की जरूरत है कि ये जातिगत जनगणना नहीं "जाति आधारित सर्वे" है. अगर किसी राज्‍य में कोई योजना लानी है, तो हमें यह पता होना चाहिए कि राज्‍य की जातीय स्थिति क्‍या है? किस जाति के कितने लोग हैं और उनकी स्थिति क्‍या है? विभिन्‍न जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति क्‍या है? राज्‍य सरकार के पास लोक कल्‍याणकारी नीतियों को बनाने के लिए साइंटिफिक डाटा होना बेहद जरूरी है. इसलिए ये सर्वे काफी मायने रखता है. आने वाले समय में इसका लाभ देखने को मिलेगा. 

जाति के आधार पर पिछड़ापन आया, तो पिछड़ेपन का निदान भी...
बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि इसका विरोध सिर्फ राजनीतिक कारण से हो रहा है. हम पहले राज्‍य नहीं हैं, जो ऐसा सर्वे करा रहे हैं. इससे पहले कई राज्‍य ऐसा सर्वे करा चुके हैं. हां, बिहार में ये सर्वे पहली बार हो रहा है. इसका विरोध कर रहे लोगों को सोचना चाहिए कि अगर जाति के आधार पर पिछड़ापन आया, तो पिछड़ेपन का निदान भी जाति के आधार पर आंकड़े जुटाकर ही किया जा सकता है. दुनियाभर के देश और सरकारें अपनी योजनाओं, बजट आवंटन, विभिन्न विभागों, उनकी कार्यप्रणाली, कार्य क्षमता, प्रशिक्षण इत्यादि को प्रभावी बनाने और व्यवस्थात्मक सुधार के लिए हर प्रकार के आंकड़े जुटाती है. फिर हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि जाति व्‍यवस्‍था भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई है. भारत में आज भी लोग जाति के आधार पर व्यवसाय/रोजगार करते हैं, विवाह करते हैं, ऊंच-नीच और अपने-पराए की भावना रखते हैं. अतः इसका लोगों की मानसिकता, शिक्षा, आय, सामाजिक अथवा आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है."        

क्‍यों हो रहा जाति आधारित गणना का विरोध
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आशंका जताई कि बांग्लादेशी घुसपैठियों' को बिहार में जाति आधारित जनगणना में शामिल करके वैधता देने का प्रयास किया जा सकता है. वह कहते हैं कि अगर राज्‍य सरकार ने ऐसा किया, तो वह इसका कड़ा विरोध करेंगे. कुछ विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि जाति आधारित गणना कर नीतीश कुमार और उनके सहयोगी अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए कर रहे हैं. सर्वे से उपलब्‍ध आंकड़ों का लाभ अगामी चुनावों में विभिन्‍न जातियों के मतदाताओं को साधने में किया जाएगा. 

बिहार में जाति आधारित गणना का कितना भी विरोध हो रहा हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर तस्‍वीर साफ कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि जाति आधारित आंकड़े जुटाना राज्‍य सरकार की जरूरत है. शायद अब बिहार सरकार के इस अभियान में कोई रुकावट न आए.  

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