भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने मंगलवार को कहा कि पार्टी का उन मौतों से कोई संबंध नहीं है जो कथित रूप से इस खौफ की वजह से हुईं कि राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) लागू किया जा सकता है. भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने दावा किया कि यहां तक कि डेंगू से हुई मौतों को भी NRC को लेकर खौफ से हुई मौतें बताया जा रहा है. घोष ने हालांकि कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो 'बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों' से छुटकारा दिलाने के लिए राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) लागू करेंगे. उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, 'हमने NRC को लेकर कोई खौफ पैदा नहीं किया. हमें जिम्मेदार ठहराना अनुचित है. भाजपा ने असम में NRC लागू नहीं की. यह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार किया गया.'
असम की तरह पश्चिम बंगाल में NRC की ज़रूरत नहीं : अमित शाह से ममता बनर्जी
दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा पर NRC को लेकर खौफ पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इसके चलते राज्य में छह लोगों की मौत हुई है. हालांकि इससे पहले पिछले सप्ताह गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा था कि असम की तरह पश्चिम बंगाल में NRC की जरूरत नहीं है. उस मुलाकात ने 19 उन लाख लोगों की ओर ध्यान दिलाया था, जिनमें से कई 'वास्तविक वोटर' हैं, जिनका नाम असम में कहा कि असम के नागरिक रजिस्टर में शामिल नहीं किए गए. ममता बनर्जी ने अमित शाह को बताया कि पश्चिम बंगाल में असम जैसे NRC की ज़रूरत नहीं है.
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बता दें कि असम में नागरिक रजिस्टर, जिसमें से 19 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए हैं, लागू किए जाने को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. यहां तक कि प्रदेश में BJP के भी कुछ नेताओं ने इसकी आलोचना की, और दावा किया कि सूची में बहुत-से बंगाली हिन्दुओं के नाम हटा दिए गए, जो पार्टी के कोर वोटर ग्रुप का हिस्सा थे.
VIDEO : बीजेपी और ममता आमने-सामने
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