नई दिल्ली:
व्यापमं मामले में 634 छात्रों के एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है लेकिन दोनों जजों के फैसले में मतभेद होने की वजह से मामले को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजा गया है।
ये मामला 2008- 2012 के दौरान व्यापमं के जरिये 634 छात्रों के एडमिशन से जुड़ा है। गुरुवार तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस चेलमेश्वर ने अपने फैसले में कहा कि ये 634 छात्र स्नातक के बाद पांच साल बिना किसी तनख्वाह के इंडियन आर्म्ड फ़ोर्स में काम करेंगे। इस दौरान इनको कोई सैलरी नहीं मिलेगी। हालांकि कुछ एलाउंस मिलेगा, जो नकद भी हो सकता है। वही जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने अपने फैसले में छात्रों की याचिका को ख़ारिज कर दिया। अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया है और अब तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल रैकेट के जरिये चीटिंग कर एडमिशन पाये 634 छात्रों का एडमिशन व्यापमं ने रद्द कर दिया था। जिसको हाई कोर्ट ने बरक़रार रखा था। इसी को लेकर छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
ये मामला 2008- 2012 के दौरान व्यापमं के जरिये 634 छात्रों के एडमिशन से जुड़ा है। गुरुवार तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस चेलमेश्वर ने अपने फैसले में कहा कि ये 634 छात्र स्नातक के बाद पांच साल बिना किसी तनख्वाह के इंडियन आर्म्ड फ़ोर्स में काम करेंगे। इस दौरान इनको कोई सैलरी नहीं मिलेगी। हालांकि कुछ एलाउंस मिलेगा, जो नकद भी हो सकता है। वही जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने अपने फैसले में छात्रों की याचिका को ख़ारिज कर दिया। अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया है और अब तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल रैकेट के जरिये चीटिंग कर एडमिशन पाये 634 छात्रों का एडमिशन व्यापमं ने रद्द कर दिया था। जिसको हाई कोर्ट ने बरक़रार रखा था। इसी को लेकर छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
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