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This Article is From Mar 16, 2017

एक ऐसी मशीन जिससे EVM पर शक करने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी बाकी

वीवीपैट एक प्रिंटर मशीन है जो ईवीएम की बैलेट यूनिट से जुड़ी होती है

Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
चुनाव आयोग 2019 के आम चुनाव तक हर EVM के साथ VVPAT मशीन लगाना चाहता है
गोवा विधानसभा चुनावों में हर बूथ पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया
हर बूथ पर वीवीपैट मशीन के लिए चुनाव आयोग ने केंद्र से 3174 करोड़ मांगे
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने गुरुवार को एक बार फिर से कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है और इसके साथ किसी तरह छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. आयोग ने पिछले कुछ सालों में सुप्रीम कोर्ट और देश के कई उच्च न्यायलयों के फैसलों का हवाला दिया है, जिनमें ईवीएम पर पूरा भरोसा जताया गया है. आयोग ने फिर कहा है कि भले ही सोशल मीडिया में कई वीडियो सर्कुलेट हो रहे हैं, (जिनमें ईवीएम के साथ गड़बड़ी करते दिखाया गया है) लेकिन अभी तक कोई भी चुनाव आयोग की ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के दावे को साबित नहीं कर पाया है.

वीवीपैट लगाना ईवीएम पर भरोसा जगाने का कदम
चुनाव आयोग ने कहा है कि उसका इरादा अगले लोकसभा चुनावों तक हर ईवीएम के साथ एक वीवीपैट (वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीन लगाने का है, जिससे चुनाव में गड़बड़ी के सारे शक-सुबहे दूर होंगे.

क्या है वीवीपैट (VVPAT)?
वीवीपैट (VVPAT) यानी वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल एक प्रिंटर मशीन है, जो ईवीएम की बैलेट यूनिट से जुड़ी होती है. ये मशीन बैलेट यूनिट के साथ उस कक्ष में रखी जाती है, जहां मतदाता गुप्त मतदान करने जाते हैं. वोटिंग के समय वीवीपैट से एक परची निकलती है, जिसमें उस पार्टी और उम्मीदवार की जानकारी होती है, जिसे मतदाता ने वोट डाला. वोटिंग के लिए ईवीएम का बटन दबाने के साथ वीवीपैट पर एक पारदर्शी खिड़की के ज़रिये मतदाता को पता चल जाता है कि उसका वोट संबंधित उम्मीदवार को चला गया है. मतगणना के वक्त अगर कोई विवाद हो तो वीवीपैट बॉक्स की पर्चियां गिनकर ईवीएम के नतीजों से मिलान किया जा सकता है.

क्या है वीवीपैट की स्थिति?
चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनावों के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल शुरू किया है. आयोग का इरादा 2019 तक सारी ईवीएम के साथ वीवीपैट जोड़ने का है लेकिन अब तक केवल करीब 50,000 वीवीपैट मशीनें ही आ पाई हैं, जबकि 15.50 लाख मशीनों की और जरूरत है. चुनाव आयोग ने हाल में गोवा विधानसभा चुनावों में हर बूथ पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया.

वीवीपैट हासिल करने में क्या दिक्कत है?
आयोग का कहना है कि वीवीपैट मशीन हर बूथ पर लगाने के लिए उसे कुल 3174 करोड़ रुपये चाहिए. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से चरणबद्ध तरीके से हर ईवीएम के साथ वीवीपैट जोड़ने को कहा है. चुनाव आयोग का कहना है कि वीवीपैट के लिए केंद्र सरकार से लगातार रकम की मांग की जा रही है और अगर पूरा पैसा मिल जाए तो 30 महीने के अंदर पर्याप्त वीवीपैट मशीन आ जाएंगी.

क्यों ज़रूरी है वीवीपैट?
वीवीपैट से न केवल मतदाता को अपने वोट के सही उम्मीदवार को जाने की तसल्ली होगी, बल्कि विवाद होने पर वोटिंग का पेपर ट्रेल भी उपलब्ध रहेगा. इस तरह से ईवीएम को लेकर उठाये जा रहे सवालों को पूरी तरह हल किया जा सकता है.

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