वीके शशिकला के सामने सबसे बड़ी चुनौती (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और शशिकला पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते फैसला सुना सकता है. इससे तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रहीं वीके शशिकला का भविष्य भी तय होगा. दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता और शशिकला समेत सभी को बरी कर दिया था, जबकि बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने 4 साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था. कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द अपना फैसला सुनाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजमेंट लगभग तैयार है और एक हफ्ते में फैसला सुनाएंगे.
इससे पूर्व खबर आई थी कि तमिलनाडु की जनता को जल्द ही वीके शशिकला के रूप में अपनी नयी मुख्यमंत्री मिलने वाली हैं. रविवार को AIADMK की हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया जिसमें ओ पन्नीरसेल्वम ने सीएम पद से इस्तीफा दिया, साथ ही शशिकला के नाम का भी प्रस्ताव रखा. शशिकला को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और सूत्रों की मानें तो वह जल्द ही सीएम पद की शपथ ले सकती हैं.
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट से बरी की गई तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 7 जून को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि संपत्ति अर्जित करना गलत नहीं है. अगर आप सही तरीके से प्रॉपर्टी बनाते तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है. अगर किसी ने एक लाख रुपये का लोन लिया और अपने पास बचे पैसे को मिलाकर 2 लाख कि कोई प्रॉपर्टी खरीद ली तो उसमें गलत क्या है. गलत तब है जब लोन से एक लाख रुपये गलत तरीके से लिए गए हों.
स्पेशल कोर्ट ने सजा दी थी और कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था. इसकी वजह से उन्हें सितंबर 2014 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी,लेकिन पिछले साल मई मे कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा कि हाइकोर्ट ने संपत्ति का गलत आकलन किया है. इसके बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं. कर्नाटक हाईकोर्ट के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट के फैसले पर कर्नाटक सरकार और डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा गया था कि हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति का गलत आकलन किया है. हाईकोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है. जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए.
इससे पूर्व खबर आई थी कि तमिलनाडु की जनता को जल्द ही वीके शशिकला के रूप में अपनी नयी मुख्यमंत्री मिलने वाली हैं. रविवार को AIADMK की हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया जिसमें ओ पन्नीरसेल्वम ने सीएम पद से इस्तीफा दिया, साथ ही शशिकला के नाम का भी प्रस्ताव रखा. शशिकला को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है और सूत्रों की मानें तो वह जल्द ही सीएम पद की शपथ ले सकती हैं.
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट से बरी की गई तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 7 जून को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि संपत्ति अर्जित करना गलत नहीं है. अगर आप सही तरीके से प्रॉपर्टी बनाते तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है. अगर किसी ने एक लाख रुपये का लोन लिया और अपने पास बचे पैसे को मिलाकर 2 लाख कि कोई प्रॉपर्टी खरीद ली तो उसमें गलत क्या है. गलत तब है जब लोन से एक लाख रुपये गलत तरीके से लिए गए हों.
स्पेशल कोर्ट ने सजा दी थी और कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. दरअसल आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था. इसकी वजह से उन्हें सितंबर 2014 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी,लेकिन पिछले साल मई मे कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट की याचिका में कहा कि हाइकोर्ट ने संपत्ति का गलत आकलन किया है. इसके बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं. कर्नाटक हाईकोर्ट के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट के फैसले पर कर्नाटक सरकार और डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा गया था कि हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति का गलत आकलन किया है. हाईकोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है. जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए.
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