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विझिंजम बंदरगाह का PM मोदी ने किया उद्घाटन, जानिए क्यों है देश का गेमचेंजर पोर्ट | Explained

Transshipment Vizhinjam Port: इस एक्सप्लेनर में जानिए ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह क्या होते हैं, भारत में इसकी जरूरत क्यों थी और विझिंजम बंदरगाह की क्या खासियत है.

विझिंजम बंदरगाह का PM मोदी ने किया उद्घाटन, जानिए क्यों है देश का गेमचेंजर पोर्ट | Explained
Vizhinjam Port: केरल में तैयार हुआ देश का पहला ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह- विझिंजम

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई को केरल में 8,900 करोड़ रुपये की लागत वाले 'विझिंजम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज बंदरगाह' का उद्घाटन किया. यह देश का पहला समर्पित कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है, जो विकसित भारत के समुद्री क्षेत्र में की जा रही परिवर्तनकारी प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है.

चलिए इस एक्सप्लेनर में हम आपको आसान भाषा में बताएंगे:

  • ट्रांसशिपमेंट पोर्ट होता क्या है?
  • भारत को ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की जरूरत क्यों हैं?
  • विझिंजम बंदरगाह की क्या खासियत है?
  •  विझिंजम बंदरगाह को उसकी लोकेशन खास क्यों बनाती है?

Q-ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह होता क्या है?

ट्रांसशिपमेंट किसी कार्गो या कंटेनरों को एक जहाज से दूसरे जहाज में अंतिम गंतव्य बंदरगाह (POD) तक ले जाने की प्रक्रिया है. यह आमतौर पर तब होता है जब सीधे शिपिंग मार्ग उपलब्ध नहीं होते हैं. और जिस बंदरगाह पर इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता है, वह ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह होता है. आपको उदाहरण से बताते हैं. मान लीजिए किसी कार्गो को लोडिंग पोर्ट (POL) से जहाज A पर लाया जाता है, और उस कार्गो को ट्रांसशिपमेंट पोर्ट पर उतारा जा सकता है. फिर इसे POD पर डिलीवरी के लिए जहाज B पर फिर से लोड किया जा सकता है.

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Q- भारत को ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की जरूरत क्यों हैं?

  • भारत में गहरे पानी के कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह का अभाव है. वर्तमान में, भारत का 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो विदेश के बंदरगाहों पर संभाला जाता है.
  • देश का 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर संभाला जाता है. इससे भारतीय उद्योग लागत में वृद्धि, संभावित अक्षमताओं और भीड़भाड़ से जुड़े मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं. ये बात भारत की व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए दीर्घकालिक जोखिम पैदा करती हैं.
  • इसकी वजह भारत से निकली या भारत को जा रही कार्गो की ट्रांसशिपमेंट हैंडलिंग से भारतीय बंदरगाहों को हर साल संभावित राजस्व में 200-220 मिलियन डॉलर तक का नुकसान होता है.
  • भारतीय निर्यातकों/आयातकों को वर्तमान में देश के भीतर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल की कमी के कारण हर कंटेनर 80-100 डॉलर की अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ रहा है.

Q- विझिंजम बंदरगाह की क्या खासियत है?

भारत के ट्रांसशिपमेंट बंदगाह के अभाव का समाधान केरल से आया है- विझिंजम बंदरगाह. विझिंजम प्रोजेक्ट का उद्देश्य मुख्य रूप से सिंगापुर, कोलंबो, सलालाह और दुबई के विदेशी बंदरगाहों पर किए जा रहे भारतीय कार्गो ट्रांसशिपमेंट को स्वदेश लाना है. दरअसल भारत में अबतक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग के पास गहरे पानी के बंदरगाहों की अनुपस्थिति है, जो 24,000 टीईयू क्षमता तक के बहुत बड़े मदर वेसल की जरूरत को पूरा कर सकतें. एक बार विझिंजम बंदरगाह स्थापित हो जाने पर, यहां होने वाला ट्रांसशिपमेंट जहाज और नेविगेशन लागत में बचत करेगा और आखिर में जाकर आम लोगों के लिए वस्तुओं की कीमत कम होगी. 

विझिंजम बंदरगाह में पूरे भारत की सेवा के लिए भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक विश्व स्तरीय ट्रांसशिपमेंट हब बनने की क्षमता है. और इसकी वजहें निम्न हैं:

  • यूरोप, फारस की खाड़ी और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों से इसकी निकटता है. इसकी लोकेशन पूर्व-पश्चिम शिपिंग एक्सीस के बहुत करीब है, 10 समुद्री मील के भीतर है.
  • विझिंजम बंदरगाह समुंद्री तट के एक किलोमीटर के अंदर तक 18 से 20 मीटर की प्राकृतिक जल गहराई से संपन्न है. इस वहज से यह बहुत बड़े मातृ जहाजों (मदर वेसल) को जगह दे सकता है.
  • यह सभी मौसम में काम करने वाला बंदरगाह होगा, जो लगभग 24,000 टीईयू क्षमता के नई पीढ़ी के जहाजों को खड़ा कर सकता है.
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Q- विझिंजम बंदरगाह को उसकी लोकेशन खास क्यों बनाती है?

उपर बताई बातों के अलावा (इंटरनेशनल शिपिंग मार्ग पर होना या तट पर 18-20 मीटर का प्राकृतिक जल होना) बंदरगाह मौजूदा रेल और सड़क नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. सलेम और कन्याकुमारी को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे 47 इस बंदरगाह से 2 किमी की दूरी पर है. बंदरगाह को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला राष्ट्रीय रेल नेटवर्क 12 किमी की दूरी पर है. त्रिवेन्द्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंदरगाह से 15 किमी की दूरी पर है.

इस बंदरगाह के पास न्यूनतम तटीय बहाव का लाभ है जिसकी वजह से ऑपरेशन के दौरान सीमित रखरखाव ड्रेजिंग होती है. यही वजह है कि संचालन एवं रखरखाव लागत काफी कम होगी. कम ड्रेजिंग और उसके निपटान के कारण, प्रोजेक्ट के संचालन के परिणामस्वरूप समुद्री प्रभाव भी न्यूनतम होंगे.

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