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This Article is From Dec 06, 2024

कोरोना का हमारे शरीर पर असर कितना बाकी? जानिए देश की मशहूर वायरॉलजिस्ट गगनदीप कांग ने क्या बताया

वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग 2023 से बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में एंटरिक रोगों, डायरिया संक्रमण और रोग निगरानी पर काम का नेतृत्व कर रही हैं. वो 'टिल वी विन: इंडियाज फाइट अगेंस्ट द कोविड-19 पैन्डेमिक' किताब की को-ऑथर भी हैं.

नई दिल्ली:

देश की टॉप माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर गगनदीप कांग (Gagandeep Kang ) को NDTV के हेल्थ लीडर ऑफ द ईयर 2024 से सम्मानित किया गया है. डॉ. गगनदीप कांग ने खासतौर पर बच्चों के स्वास्थ्य, आंतों से जुड़ी बीमारियों, इंफेक्शन और रोटावायरल पर काम किया है. इनकी रिसर्च की वजह से ही रोटावायरल वैक्सीन बनाना संभव हुआ. उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. NDTV के इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड्स 2024 में डॉक्टर कांग ने बताया कि कोरोना वायरस (Covid-19) महामारी के 3 साल बाद भी हमारे शरीर पर इसका कितना असर बाकी है. 

गगनदीप कांग ने बताया, "बेशक कोरोना अब अतीत की कहानी हो गया हो. अब दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में कफ और कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम तक सीमित रह गया हो... फिर भी हमें कुछ सावधान रहने की जरूरत हैं. लॉन्ग कोविड के लक्षणों और इसके साइड इफेक्ट से हम काफी कुछ सीख चुके हैं. इसे हमने एक सिंड्रोम में क्लब कर दिया है, लेकिन अभी हमें बहुत कुछ रिसर्च करने की जरूरत है. ये रिसर्च सिंगल और मल्टिपल इंफेक्शन केस दोनों में जरूरी है."

गगनदीप कांग कहती हैं, "भारत में हम अपनी समस्याओं के लिए पश्चिमी देशों से समाधान लेते हैं. ऐसा हम बीते कई दशकों से करते आ रहे हैं. हेल्थ सेक्टर में ये बात सटीक तौर पर लागू होती है. हमें भारत में स्वास्थ्य मुद्दों पर नए सिरे से काम करने की जरूरत है. हमें अपनी समस्याओं का समाधान खुद निकालने के योग्य बनने की जरूरत है. अच्छी बात ये है कि हमने अपने हेल्थ सिस्टम के सवालों का जवाब खुद ढूंढना शुरू कर दिया है."

कांग कहती हैं, "भारत के हेल्थ सेक्टर में दो एरिया हैं, जहां पर हमें बहुत काम करने की जरूरत है. पहला- टीबी. इसमें हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है. टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस एक गंभीर संक्रामक बीमारी है. यह दुनिया भर में पाई जाती है. 2022 में टीबी कोविड-19 के बाद दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा संक्रामक रोग बना था. कोविड तो कम हो गया, लेकिन टीबी अभी भी है."

कांग कहती हैं, "हेल्थ सेक्टर का दूसरा एरिया न्यूट्रिशन है, जिसपर हमें काम करने की जरूरत है. हमारे बच्चे ज्यादातर अंडर न्यूट्रिशन हैं. खास बात ये है कि भारत में जहां पारंपरिक इलाज के तरीके हैं, दवाइयां हैं, लेकिन हम उन्हें अपना नहीं रहे हैं. आज वेस्टर्न लाइफस्टाइल अपनाने की होड़ में हमारे पास वेर्स्टन लाइफस्टाइल की बीमारियां भी आ रही हैं. हमें इसपर भी काम करना होगा. हमें डाइट, वर्कआउट और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना होगा. हम योग को कतई नहीं भूल सकते. योग आज यूनियन हो चुका है." 

बता दें कि गगनदीप कांग 2023 से बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में एंटरिक रोगों, डायरिया संक्रमण और रोग निगरानी पर काम का नेतृत्व कर रही हैं. वो 'टिल वी विन: इंडियाज फाइट अगेंस्ट द कोविड-19 पैन्डेमिक' किताब की को-ऑथर भी हैं. इस किताब को भारत के प्रमुख प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने पब्लिश किया है. मार्केट में आते ही ये किताब बेस्टसेलर बन गई थी. कांग 2016 में इन्फोसिस अवॉर्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं.

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